Prashant Kishor: लालू-नीतीश से बाहर निकलेगा बिहार या प्रशांत हो जाएंगे शांत? चुनाव से पहले क्यों गूंजा 'जन सुराज'
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Prashant Kishor: लालू-नीतीश से बाहर निकलेगा बिहार या प्रशांत हो जाएंगे शांत? चुनाव से पहले क्यों गूंजा 'जन सुराज'

Prashant Kishor's Jan Suraj Party: देश भर में विभिन्न राजनीतिक दलों के चुनावी रणनीतिकार रह चुके प्रशांत किशोर उर्फ पीके ने बिहार के गांवों की पदयात्रा शुरू करने के ठीक दो साल बाद गांधी जयंती पर अपनी जन सुराज पार्टी को ऑफिशियली लॉन्च कर दिया. शुरुआत में प्रशांत किशोर को बिहार के राजनीतिक दलों की बात तो दूर, आम जनता ने भी सीरियस नहीं लिया, लेकिन अब बिहार विधानसभा चुनाव 2025 से पहले उनकी सियासी धमक साफ सुनी जा रही है. 

Prashant Kishor: लालू-नीतीश से बाहर निकलेगा बिहार या प्रशांत हो जाएंगे शांत? चुनाव से पहले क्यों गूंजा 'जन सुराज'

Bihar Political News: बिहार विधानसभा चुनाव 2025 की उल्टी गिनती शुरू होने से पहले ही राज्य को एक नया राजनीतिक दल मिल गया है. देश के कई राज्यों में वर्षों तक अलग-अलग राजनीतिक दलों के लिए चुनावी रणनीति बनाने वाले प्रशांत किशोर ने दो साल तक बिहार के गांवों की पदयात्रा करने के बाद बुधवार को गांधी जयंती के मौके पर आधिकारिक रूप से अपनी जन सुराज पार्टी (JSP) का आगाज कर दिया.

प्रशांत को गंभीरता से नहीं लेने वाली पार्टियां भी करने लगी चर्चा

पीके के नाम से मशहूर प्रशांत किशोर को पहले गंभीरता से नहीं लेने का दावा करने वाली सियासी पार्टियां भी अब उनकी चर्चा करने लगी है. सूत्रों के मुताबिक, बिहार के सभी प्रमुख दलों ने बिहार चुनाव पर प्रशांत किशोर की पार्टी के प्रभाव का आकलन करने के लिए कुछ एक्सपर्ट और सर्वेयर तैनात किए हैं. ये लोग शीर्ष नेतृत्व को यह बताएंगे कि बिहार की सभी 243 विधानसभा सीटों पर अगर प्रशांत ने अपने उम्मीदवारों को उतार दिया तो क्या संभावना हो सकती है. 

लालू- नीतीश से बाहर निकलेगा बिहार या प्रशांत हो जाएंगे शांत?

बिहार के पश्चिमी चंपारण जिले से जन सुराज पदयात्रा शुरू करने के ठीक दो साल बाद पार्टी बनाने वाले प्रशांत किशोर ने पूर्व राजनयिक और चार देशों में भारत के राजदूत के रूप में काम कर चुके मनोज भारती को पहला कार्यकारी अध्यक्ष नियुक्त किया है. आइए, जानते हैं कि बिहार को बदलने और लालू प्रसाद यादव और नीतीश कुमार के सियासी कब्जे से बाहर निकालने का दावा करने वाले प्रशांत किशोर कैसे इसे पूरा कर पाएंगे या फिर खुद शांत हो जाएंगे.

सत्ता में आए तो एक घंटे के भीतर शराबबंदी हटा देंगे, बड़ा वादा

पटना के वेटनरी कॉलेज ग्राउंड में आयोजित एक कार्यक्रम में अपनी नवगठित जन सुराज पार्टी के पांच सूत्री एजेंडे के बारे में बताते हुए प्रशांत किशोर ने कहा, “शिक्षा और रोजगार हमारी सर्वोच्च प्राथमिकता होगी. कोई पूछ सकता है कि इसके लिए हमें पैसा कहां से मिलेगा. अगर हम सत्ता में आए, तो हम एक घंटे के भीतर शराबबंदी हटा देंगे. हमें 10 साल में शिक्षा प्रणाली को सुधारने के लिए अनुमानित 5 लाख करोड़ रुपये की जरूरत है. शराबबंदी हटाकर हम अकेले उत्पाद शुल्क से सालाना 20 हजार करोड़ रुपये हासिल कर सकते हैं. इसका इस्तेमाल सीधे शिक्षा क्षेत्र में बदलाव के लिए किया जा सकता है.

बिहार को अब 'विशेष दर्जे के खोखले नारे' की जरूरत नहीं

चुनावी रणनीतिकार रहे पीके के मुताबिक, उनकी नई बनी पार्टी की दूसरी प्राथमिकताएं बुजुर्गों के लिए पेंशन, महिलाओं को आसान ऋण और भूमि सुधार हैं. उन्होंने कहा कि राज्य को 'विशेष दर्जे के खोखले नारे' की जरूरत नहीं है. उन्होंने कहा, 'हम बैंकों को राज्य की जनता द्वारा जमा की गई बचत के अनुपात में पूंजी उपलब्ध कराने के लिए बाध्य करेंगे. पिछले साल (2023-24) बिहार में बैंकों को 4.61 लाख करोड़ रुपये जमा मिले, जिसमें से उन्होंने केवल 1.61 लाख करोड़ रुपये ऋण के रूप में दिए. यह बहुत खराब ऋण-जमा अनुपात है. अगर बिहार में अनुपात 70 फीसदी तक बढ़ा दिया जाता है, तो हमें व्यवसाय करने के लिए 2.5 लाख करोड़ रुपये ऋण के रूप में मिलेंगे.'

हमारे लोग क्यों दूसरे राज्यों में मजदूर के रूप में काम कर रहे?

प्रशांत किशोर ने आरोप लगाया कि बिहार के बैंक दूसरे राज्यों में निवेश कर रहे हैं. उन्होने कहा, 'यही कारण है कि हमारे लोग दूसरे राज्यों में मजदूर के रूप में काम कर रहे हैं.' नई पार्टी की अन्य प्राथमिकताओं के बारे में प्रशांत किशोर ने कहा, 'हमारे बुजुर्गों को सम्मान के साथ जीने के लिए सरकार हर महीने 2,000 रुपये पेंशन देगी. इस पर सालाना 6,000 करोड़ रुपये खर्च होंगे और इसे सालाना बजट से अलग रखा जाएगा... हम महिला उद्यमियों को महज 4 फीसदी सालाना ब्याज पर ऋण भी सुनिश्चित करेंगे. सरकार बाकी 6 फीसदी ब्याज का बोझ उठाएगी.'

लालू- नीतीश के सियासी चंगुल से बिहार को निकालने का दावा

जन सुराज पार्टी के संस्थापक प्रशांत किशोर ने तीन महीने से रुके पड़े भूमि सर्वेक्षण को लेकर नीतीश कुमार सरकार पर निशाना साधा. उन्होंने कहा, "हमें भूमि सुधार और नकदी फसलों से कमाई के नए तरीके चाहिए. भूमि सर्वेक्षण से भाई-बहन और रिश्तेदार आपस में लड़ेंगे. यह भ्रष्टाचार से घिरा हुआ है." प्रशांत किशोर अपनी पदयात्रा के दौरान नीतीश कुमार के अलावा राजद प्रमुख लालू प्रसाद यादव और उनके बेटे तेजस्वी यादव पर लगातार हमलावर रहते हैं. उन्होंने इन नेताओं के सियासी चंगुल से बिहार को बाहर निकालने का भी वादा किया.

मार्च में की जाएगी जेएसपी के चुनावी उम्मीदवारों की घोषणा

प्रशांत किशोर ने कहा कि 2025 के बिहार विधानसभा चुनाव के लिए पार्टी के उम्मीदवारों की घोषणा मार्च में की जाएगी. उन्होंने कहा, "हम अमेरिका में अपनाई गई पद्धति का अनुकरण करेंगे, जहां वरिष्ठ नेताओं की टीम नहीं बल्कि लोग चुनाव से छह महीने पहले पार्टी के उम्मीदवार का चयन करते हैं. नामित उम्मीदवार पार्टी की नीतियों और योजनाओं के साथ अपने-अपने निर्वाचन क्षेत्रों में जाएंगे." 

जन सुराज पार्टी में होगी राइट टू रिकॉल की भी व्यवस्था- पीके

उन्होंने जनसभा में मौजूद लोगों से कहा, "हम नेताओं वापस बुलाने का अधिकार भी लाएंगे. इससे यह सुनिश्चित होगा कि चुनाव जीतने के बाद काम न करने वाले निर्वाचित प्रतिनिधि यह मानकर आराम से न बैठ जाएं कि वे पांच साल तक अपने पद के लाभों का आनंद ले सकते हैं. अगर लोग बीच में ही ऊब जाते हैं, तो उन्हें उनके मतदाताओं द्वारा वापस बुला लिया जाएगा." जनसुराज पार्टी की एक समिति नीतिगत मुद्दों पर निर्णय लेगी. 

नेतृत्व का कोई पद नहीं लेंगे, प्रशांत किशोर ने वादे को दोहराया

प्रशांत किशोर ने बुधवार को लोगों के सामने दोहराया कि वे नेतृत्व का कोई पद नहीं लेंगे. इससे पहले उन्होंने बताया था कि जन सुराज पार्टी के अध्यक्ष को एक साल के कार्यकाल के लिए विभिन्न सामाजिक समूहों से रोटेशन के आधार पर चुना जाएगा, जिसमें पहला अध्यक्ष दलित होगा, दूसरा या तो अत्यंत पिछड़ा वर्ग (ईबीसी) समूह या मुस्लिम समुदाय से होगा, उसके बाद अन्य पिछड़ा वर्ग (ओबीसी) श्रेणी से उम्मीदवार होगा और फिर सामान्य श्रेणी से. उन्होंने पहले भी कहा था, "विचार यह है कि पांच साल के चुनावी कार्यकाल में सभी वर्गों को प्रतिनिधित्व दिया जाए." 

दलित समुदाय के मनोज भारती को क्यों बनाया पहला अध्यक्ष?

जन सुराज पार्टी के पहले अध्यक्ष बनाए गए मधुबनी के मनोज भारती दलित समुदाय से हैं. उन्होंने आईआईटी कानपुर से स्नातक की पढ़ाई पूरी की और आईआईटी दिल्ली से मास्टर डिग्री हासिल की. 1988 बैच के आईएफएस अधिकारी भारती ने इंडोनेशिया, यूक्रेन और बेलारूस जैसे देशों में भारत के राजदूत के रूप में काम किया. प्रशांत किशोर ने कहा, "उन्हें पार्टी का कार्यकारी अध्यक्ष इसलिए नहीं चुना गया क्योंकि वे दलित हैं, बल्कि इसलिए चुना गया क्योंकि वे एक प्रतिभाशाली और योग्य व्यक्ति हैं जो संयोग से दलित हैं."

जाति सर्वेक्षण के आधार पर जेएसपी में आनुपातिक प्रतिनिधित्व

पीके ने कहा, "भविष्य में विभिन्न सामाजिक समूहों से ऐसे प्रतिभाशाली लोगों को पार्टी के प्रमुख पदों पर देखा जा सकता है. जन सुराज को मुख्यधारा की राजनीतिक पार्टियों से अलग करने वाली बात यह है कि यह अपने संगठनात्मक ढांचे में आनुपातिक प्रतिनिधित्व की बात करती है. हम नवीनतम जाति सर्वेक्षण के आधार पर चलेंगे. चूंकि ईबीसी आबादी का 36 फीसदी हिस्सा है, इसलिए इस वर्ग के प्रतिभाशाली और योग्य लोगों को उतना ही प्रतिनिधित्व मिलेगा. 

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'जिसकी जितनी आबादी, उसकी उतनी हिस्सेदारी' की टैगलाइन

प्रशांत किशोर ने कहा कि 'जिसकी जितनी आबादी, उसकी उतनी हिस्सेदारी' हमारी टैगलाइन है. कुछ लोग कहेंगे कि मैं जाति पर भी चर्चा कर रहा हूं. नहीं, मैं सभी को साथ लेकर चलने और समानता की सच्ची भावना में सभी सामाजिक समूहों से सर्वश्रेष्ठ योग्यता को निकाल लाने की बात कर रहा हूं."  पार्टी की विचारधारा के बारे में प्रशांत किशोर ने कहा कि समाजवादी, कम्युनिस्ट, मुस्लिम और पूर्व आरएसएस कार्यकर्ता पार्टी के साथ हैं. उन्होंने कहा, ‘हमारे लिए मानवता सर्वप्रथम है, जिसके बारे में महात्मा गांधी और बी आर अंबेडकर ने बात की थी.’

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जन सुराज पार्टी के लोगों में होंगी गांधी और अंबेडकर की तस्वीरें

प्रशांत किशोर ने कहा कि नई पार्टी के प्रतीक चिह्न (लोगो) पर गांधी और अंबेडकर दोनों की तस्वीरें होंगी. इसके लिए चुनाव आयोग को एक आवेदन भेजा जाएगा. पहले ही दिन जन सुराज पार्टी में शामिल होने वाले कुछ प्रमुख सार्वजनिक और राजनीतिक हस्तियों में पूर्व सांसद देवेंद्र प्रसाद यादव और मोनाजिर हसन, पूर्व एमएलसी और शिक्षाविद रामबली चंद्रवंशी, पूर्व आईएएस अधिकारी आनंद मिश्रा, शिक्षाविद और नालंदा ओपन यूनिवर्सिटी के पूर्व कुलपति के सी सिन्हा, वकील वाई वी गिरि, पूर्व आईपीएस अधिकारी एस के पासवान, हृदय रोग विशेषज्ञ डॉक्टर अजीत प्रधान और पूर्व विधायक दुर्गा प्रसाद सिंह शामिल थे.

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