Madhuri Dixit के इस गाने पर वकील पहुंच गए कोर्ट, लेकिन म्यूजिक कंपनी ने कमा लिए करोड़ों
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Madhuri Dixit के इस गाने पर वकील पहुंच गए कोर्ट, लेकिन म्यूजिक कंपनी ने कमा लिए करोड़ों

Madhuri Dixit Song: फिल्मों और विवादों का चोली-दामन का साथ है. दोनों साथ-साथ चलते हैं. माधुरी दीक्षित ने सोचा भी नहीं था कि वह जिस गाने पर डांस करने जा रही हैं, वह पूरे देश में तूफान पैदा कर देगा. गाना रिलीज होते ही वकील इस पर रोक के लिए कोर्ट में चले गए, लेकिन इससे फिल्म को ही फायदा हो गया.

 

Madhuri Dixit के इस गाने पर वकील पहुंच गए कोर्ट, लेकिन म्यूजिक कंपनी ने कमा लिए करोड़ों

Madhuri Dixit Dance: हिट म्यूजिक हमेशा सुभाष घई (Subhash Ghai) की फिल्मों की खासियत रहा है. अच्छे गाने फिल्म में लोगों की उत्सुकता बढ़ा देते. सुभाष घई ने लोगों की इस नब्ज को पकड़ रखा था. इसीलिए फिल्म खलनायक (1993) के म्यूजिक पर इस डायरेक्टर-प्रोड्यूसर ने उस दौर में 1.25 करोड़ रुपये खर्च कर दिए थे. इससे उन्हें फायदा हुआ. देशभर में खलनायक (Khalnayak) की 50 लाख से ज्यादा कैसेट्स बिकीं और अल्बम से म्यूजिक कंपनी टिप्स को करीब 3 करोड़ रुपए का मुनाफा हुआ. फिल्म के गाने देशभर में काफी पसंद किए गए. रेडियो, दूरदर्शन पर हर जगह यह गाने बजे. खासतौर पर माधुरी दीक्षित और नीना गुप्ता (Neena Gupta) पर फिल्माया चोली के पीछे क्या है... (Choli Ke Peeche Kya Hai) गाना अचानक गाना कंट्रोवर्सी में आ गया.

अदालत से हुई डिमांड
दिल्ली स्थित वकील आर.पी. चुघ ने जब ये गाना सुना तो सीधा कोर्ट पहुंच गए. गाने के खिलाफ याचिका दायर करते हुए लिखा कि ये भद्दा, अश्लील और महिला विरोधी है. कैसेट की बदौलत लोग इसे बेरोकटोक सुन रहे हैं. उन्होंने सुभाष घई और सेंसर बोर्ड से गाने को फिल्म से हटाने को कहा. उनका कहना था कि म्यूजिक कंपनी खलनायक के गानों की सारी कैसेट मार्केट से वापस ले. उन्होंने सेंसर बोर्ड से मांग की कि फिल्म को तब तक रिलीज न किया जाए, जब तक फिल्म से चोली के पीछे क्या है... गाना हटा न दिया जाए.

राजस्थानी लोकगीत पर आधारित गाना
वकील ने सूचना और प्रसारण मंत्रालय (Information And Broadcast Ministry) को लिखा कि गाने का टीवी ब्रॉडकास्ट रोका जाए. हालांकि केस का कोई मतलब नहीं निकला क्योंकि केस की तारीख पर चुघ ही कोर्ट नहीं पहुंचे. केस खारिज हो गया. हालांकि चोली के पीछे क्या है... गाने का विरोध यहीं नहीं थमा. सैकड़ों लोगों ने सेंसर बोर्ड के तत्कालीन चेयरपर्सन शक्ति सामंत को चिट्ठियां लिखी. गाने को बेहूदा कहा. कहा कि इस गाने के कारण लड़के लड़कियों से बदतमीजी कर रहे हैं, छेड़छाड़ कर रहे हैं. गाना फिल्म से हटाने की मांग की गई. लेकिन कुछ लोग गाने के बचाव में भी थे. राजस्थान (Rajasthan) के पारस सिनेमा से जुड़े एक एग्जिबिटर ने लिखा कि ‘चोली के पीछे’ एक राजस्थानी लोकगीत पर आधारित है, जिसे अक्सर महिलाएं गाती रही हैं. ऐसे कई लोग थे, जिन्हें गाना मनोरंजक लगा, गंदा नहीं. कुल मिला कर फिल्म को इस गाने से बहुत फायदा हुआ. फिल्म बड़ी हिट साबित हुई.

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