Delhi Crime News: दिल्ली पुलिस ने हॉज खास से तमिलनाडु के एक इंजीनियर को जापानी प्रोफेसर का 'डिजिटल अरेस्ट' करने के आरोप में अरेस्ट किया है. उन्होंने पूछताछ में जो खुलासा किया है वो आपके जानकर होश फाख्ता हो जाएंगे. उन्होंने आखिर पुलिस को क्या बताया आइए जानते हैं.
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नई दिल्ली: 'लग्जरी' (Luxury) एक ऐसा शब्द है जिसे हर कोई अपने नाम के साथ जोड़ना चाहता है. ये शब्द सुनने और बोलने में बहुत ही अच्छा लगता है, लेकिन इस शब्द को अपने नाम के साथ जोड़ना इतना आसान नहीं है. आमतौर पर ये शब्द अमीर और एलिट क्लास के लोगों के साथ जोड़ा जाता है, लेकिन कई लोग अपनी जिंदगी को आरामदायक बनाने और लग्जरी लाइफ जीने के लिए गलत कदम उठा लेते हैं. ऐसा ही एक मामला तमिलनाडु से सामने आया है. यहां के एक मैकेनिकल इंजीनियर ने लग्जीरियस लाइफ जीने के लिए गलत कदम उठा लिया और साइबर अपराध सिंडिकेट का मेंबर बन गया.
तिरुचिरापल्ली के इंजीनियर विग्नेश्वर मुरुगानंदम हमेशा विलासितापूर्ण जीवन (luxurious life ) की ख्वाहिश रखते थे. हालांकि, उनके पिता जो एक रिटायर्ड सरकारी कर्मचारी हैं, वो चाहते थे उनकी तरह उनका बेटा भी सरकारी नौकरी करे और बढ़ापे का सहारा बने, लेकिन उनका यह सपना सपना ही रह गया. उनका इंजीनियर बेटा गलत रास्ते पर पहुंच गया और कंबोडिया में एक चीनी साइबर अपराध सिंडिकेट के साथ जुड़ गया. इसका खुलासा तब हुआ जब दिल्ली के सबसे रिहाईशी इलाकों में से एक हौज खास से प्राइवेट कॉलेज एक जापानी प्रोफेसर को छह घंटे के लिए 'डिजिटल रूप से अरेस्ट' करके धोखा देने के आरोप में गिरफ्तार किया.
टीओआई की रिपोर्ट के मुताबिक, इंजीनियर को दिल्ली के हौज़ खास गिरफ्तार किया गया है. मुरुगानंदम ने पूछताछ के दौरान खुलासा किया वह ऑनलाइन के जरिए चीनी से संपर्क में आए थे और उन्हें कंबोडिया में उनकी 'कंपनी' के साथ काम करने का लालच दिया. इसके बदले उन्हें भारी भरकम भुगतान करने का वादा किया.
आरोपी विग्नेश्वर बीते साल अप्रैल में अपने सरगना से मिलने कंबोडियो गया और अपने साथ कई भारतीय बैंक खाते भी ले गए. वहां पहुंचते ही मुरुगानंदम को एक होटल में रखा गया, जहां उन्हें पहले तो सब कुछ सही लग रहा था, लेकिन जैसे-जैसे दिन बीतते गए, उसे एहसास होने लगा कि कुछ गड़बड़ है. उनके सगरना उन्हें यह नहीं बताते थे कि खातों के माध्यम से कितने पैसे का लेन-देन किया जा रहा है. आोखिर कार उन्हें एक दिन महसूस हो गया कि उनसे गैर-कानूनी काम कराए जा रहे हैं.
सिंडिकेट में शामिल कई लोगों को पता नहीं था कि वे'कंपनी' के लिए नहीं, बल्कि गैर-कानूनी तरीके से चलाए जा रहे एक सिंडिकेट के लिए काम कर रहे हैं. इस गैर- कानूनी में भारत समेत और भी कई अन्य देशों के लोग काम करते हैं, जिन्हें उनकी विशेषज्ञता के मुताबिक काम दिया गया था, जिसमें मुरुगानंदम की भूमिका भारतीय बैंक खातों की व्यवस्था और प्रबंधन करने की थी, लेकिन शिविर में एक महीना बिताने के बाद, उन्होंने 'कंपनी' छोड़ने और खुद ही अलग होने का फैसला किया.
हालांकि, भारत वापस आने के बाद वह फिर से कंबोडिया स्थित साइबर स्कैमर्स को बैंक खाते की जानकारी देना शुरू कर दी, और इस काम में उन्होंने खूब पैसा कमाया. मुरुगानंदम को जनवरी की शुरुआत में दक्षिण पश्चिम दिल्ली से पुलिस ने गिरफ्तार कर लिया. दिल्ली पुलिस ने इसके अलावा चार और संदिग्धों को भी अरेस्ट किया था.
डीसीपी ने क्या कहा?
वहीं, इस बारे में जानकारी देते हुए डीसीपी (दक्षिण-पश्चिम) सुरेंद्र चौधरी ने सोमवार को कहा कि मुरुगानंदम उन चीनी नागरिकों के साथ काम कर रहा था, जो कंबोडिया में साइबर सिंडिके चलाते हैं और विदेशों में साइबर अपराधों को अंजाम देते हैं.