Sitamarhi Lok Sabha Chunav 2024 News: बिहार का महत्वपूर्ण जिला और लोकसभा क्षेत्र सीतामढ़ी माता सीता की जन्मस्थली माना जाता है. लक्षमना नदी के तट पर बसे मिथिला का सांस्कृतिक केंद्र सीतामढ़ी लोकसभा क्षेत्र का गठन 1957 में किया गया था.
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Sitamarhi Lok Sabha Chunav Result 2024: बिहार का सीतामढ़ी लोकसभा क्षेत्र प्रागैतिहासिक काल से ही बहुत पवित्र स्थल रहा है. लक्षमना नदी के तट पर बसा यह क्षेत्र सांस्कृतिक मिथिला का केंद्र है. इसका संबंध त्रेतायुग के रामायणकाल से जुड़ा हुआ है. सीतामढ़ी की पहचान भगवान श्रीराम की पत्नी माता सीता की प्राकट्य स्थली के रूप में की जाती है. पड़ोसी देश नेपाल से सीमा साझा करने के कारण सीतामढ़ी जिला और लोकसभा सीट बहुत ही महत्वपूर्ण और संवेदनशील है.
सीतामढ़ी लोकसभा क्षेत्र का मौजूदा राजनीतिक समीकरण
बिहार के सीतामढ़ी को 11 दिसंबर 1972 को मुजफ्फरनगर से अलग कर नए जिले के रूप में मान्यता दी गई थी. जबकि साल 1957 में सीतामढ़ी लोकसभा सीट का गठन किया जा चुका था. इसका क्षेत्रफल 2294 वर्ग किलोमीटर है. सीतामढ़ी की जनसंख्या लगभग 35 लाख है. सीतामढ़ी लोकसभा क्षेत्र में छह विधानसभा सीटों बथनाहा (एससी) , परिहार, सुरसंड, बाजपट्टी, सीतामढ़ी और रुन्नीसैदपुर को शामिल किया गया है. बिहार विधानसभा चुनाव 2020 के नतीजे के मुताबिक इनमें से सीतामढ़ी, सुरसंड और रुन्नीसैदपुर पर राजद का कब्जा है. वहीं दो में भाजपा और एक पर जदयू के विधायक हैं.
सीतामढ़ी लोकसभा क्षेत्र का चुनावी इतिहास, कांग्रेस का रिकॉर्ड बरकरार
सीतामढ़ी लोकसभा क्षेत्र के चुनावी इतिहास की बात करें तो देश की आजादी के बाद 1957 से अब तक सबसे अधिक बार कांग्रेस का कब्जा रहा. कांग्रेस के नागेंद्र प्रसाद यादव यहां से सर्वाधिक 3 बार सांसद रहे हैं. उनकी यह चुनावी हैट्रिक का रिकॉर्ड अभी भी बरकरार है. लोकसभा चुनाव 2019 में सीतामढ़ी सीट को एनडीए के सहयोगी जदयू के सुनील कुमार पिंटू ने जीता था. उनको लगभग 60 प्रतिशत वोट मिले थे. सीतामढ़ी लोकसभा सीट की सबसे बड़ी बात यह है कि 2009 से ही यह सीट एनडीए के कब्जे में है, लेकिन यहां कभी भी भाजपा का सांसद नहीं रहा है.
सीतामढ़ी लोकसभा सीट से जदयू के टिकट को लेकर अंदरखाने संघर्ष
सीतामढ़ी लोकसभा सीट से जदयू अध्यक्ष नीतीश कुमार पहले ही विधान परिषद के पूर्व सभापति देवेश चंद्र ठाकुर के नाम को हरी झंडी दे चुके हैं. वहीं, मौजूदा सांसद सुनील कुमार पिंटू भी जदयू टिकट के लिए जोरआजमाइश कर रहे हैं. इसके अलावा सीतामढ़ी में एनडीए के ज्यादातर विधायक और नेता देवेश चंद्र ठाकुर और सुनील कुमार पिंटू के बीच बंट चुके हैं. जदयू के अंदरखाने की लड़ाई से एनडीए के लिए असहज स्थिति पैदा हो रही है. वहीं, विपक्षी इंडी गठबंधन से राजद ने भी अपने उम्मीदवार का एलान नहीं किया है. लोकसभा चुनाव 2024 के लिए सीतामढ़ी में पांचवें चरण में 20 मई को वोट डाले जाएंगे.
सीतामढ़ी जिला और लोकसभा क्षेत्र की डेमोग्राफी
2011 की जनगणना के अनुसार, सीतामढ़ी की कुल आबादी 3,423,574 जनसंख्या थी. इसमें से 1,803,252 पुरुष और 1,620,322 महिलाएं थीं. 2019 के चुनाव में सीतामढ़ी लोकसभा निर्वाचन क्षेत्र में 1,574,914 मतदाता थे. इनमें से 832,370 पुरुष और शेष 742,544 महिलाएं हैं. सीतामढ़ी में साक्षरता दर 53.53 फीसदी है. लिंगानुपात 885 है. यहां का जनसंख्या घनत्व 1565 प्रति वर्ग किलोमीटर है.
शुरुआत में समाजवादियों का गढ़ रही सीतामढ़ी लोकसभा
सीतामढ़ी लोकसभा क्षेत्र शुरुआती दौर में समाजवादियों का गढ़ रहा है. पहले आम चुनाव 1952 में इस क्षेत्र से प्रजा सोशलिस्ट पार्टी (प्रसोपा) के टिकट पर आचार्य जेबी कृपलानी ने यहां से जीत दर्ज की. इसके बाद के तीन चुनावों 1962, 1967 और 1971 में कांग्रेस के टिकट पर नागेंद्र प्रसाद यादव जीते थे. 1977 में इमरजेंसी के बाद कांग्रेस की जीत का सिलसिला टूटा. जनता पार्टी के नेता श्याम सुंदर दास लोकसभा के सांसद बने. 1980 और 1984 में फिर से कांग्रेस ने वापसी की.
लोकसभा चुनाव 1989 में कांग्रेस को मिला बड़ा धक्का
लोकसभा चुनाव 1989 में जनता दल के हुकुमदेव नारायण यादव सांसद चुने गए. 1991, 1996 और 1999 में जनता दल के नवल किशोर राय ने चुनाव जीता था. वह जीक की हैट्रिक लगाकर कांग्रेस का रिकॉर्ड इसलिए नहीं तोड़ पाए क्यों कि 1998 में राजद के सीताराम यादव ने जीत दर्ज की थी. 2004 में भी सीताराम यादव ही जीते. 2009 में जदयू के अर्जुन रॉय जीते. 2014 में एनडीए की ओर से रालोसपा के टिकट पर रामकुमार शर्मा सांसद चुने गए. 2019 में जदयू के सुनील कुमार पिंटू विजयी हुए थे.
इस तरह सीतामढ़ी लोकसभा सीट पर पांच बार कांग्रेस, जनता दल और जदयू ने तीन-तीन बार और दो बार राजद ने जीत दर्ज की है. जबकि, भारतीय लोक दल, प्रसोपा, जनता पार्टी और रालोसपा ने एक-एक बार जीत दर्ज की है.
सीतामढ़ी लोकसभा क्षेत्र से अब तक चुने गए सांसदों की सूची
1957: आचार्य जे॰ बी॰ कृपलानी, पी एस पी
1962: नागेंद्र प्रसाद यादव, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
1967: नागेंद्र प्रसाद यादव, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
1971: नागेंद्र प्रसाद यादव, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
1977: श्याम सुंदर दास, जनता पार्टी
1980: बलिराम भगत, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
1984: रामश्रेष्ठ खिरहर, भारतीय राष्ट्रीय कांग्रेस
1989: हुकुमदेव नारायण यादव, जनता दल
1991: नवल किशोर राय, जनता दल
1996: नवल किशोर राय, जनता दल
1998: सीताराम यादव, राष्ट्रीय जनता दल
1999: नवल किशोर राय, जनता दल (यूनाइटेड)
2004: सीताराम यादव, राष्ट्रीय जनता दल
2009: अर्जुन रॉय, जनता दल (यूनाइटेड)
2014: राम कुमार शर्मा, कुशवाहा - राष्ट्रीय लोक समता पार्टी
2019: सुनील कुमार पिंटू, जनता दल (यूनाइटेड)