"इंजीनियर बनकर भी घर में बैठा है" लोग देते थे ताना; कितना बड़ा मकसद लेकर जी रहे थे, ऐसे साबित दिया
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"इंजीनियर बनकर भी घर में बैठा है" लोग देते थे ताना; कितना बड़ा मकसद लेकर जी रहे थे, ऐसे साबित दिया

Success Story: सिविल सेवा परीक्षा 2022 पास करने वाले उत्कर्ष गौरव ने साबित कर दिखाया कि कठिन परिस्थिति से लड़कर आप अपना लक्ष्य हासिल कर सकते हैं. उनकी कहानी कहती है कि मंजिल पाने के लिए साधनों की बजाए हौसला होना ज्यादा जरूरी है. 

"इंजीनियर बनकर भी घर में बैठा है" लोग देते थे ताना; कितना बड़ा मकसद लेकर जी रहे थे, ऐसे साबित दिया

Utkarsh Gaurav Success Story: हम अक्सर आपके लिए ऐसे युवाओं की कहानी लेकर आते हैं, जो आपको कठिन से कठिन परिस्थितियों में भी आगे बढ़ने की प्रेरणा देते हैं. आज भी हम एक ऐये यूपीएससी एस्पिरेंट की सफलता की कहानी आपके बताने जा रहे हैं, जिन्होंने अपनी लगन की बदौलत कई प्रयासों के बाद इस कठिन परीक्षा में सफलता पाई है. आइए जानते हैं पटना के उत्कर्ष गौरव के बारे में, जिन्होंने यूपीएससी का सिविल सर्विस एग्जाम क्लियर करके अपने और अपने परिवार की लाइफ ही बदल कर रख दी.

एक समय ऐसा भी था जब उन्हें लोगों से सुनना पड़ता था कि इंजीनियरिंग करने के बाद भी लड़का अब तक घर पर बैठा हुआ है, लेकिन उन्होंने यूपीएससी की सिविल सेवा परीक्षा पास करके साबित कर दिया कि वह अपनी लाइफ में कितना बड़ा मकसद लेकर जी रहे था. 

जहां यूपीएससी परीक्षा की तैयारी करने के लिए ज्यादातर युवा दिल्ली का रुख करते हैं, वहीं गौरव दिल्ली छोड़ गांव लौटे और घर में ही रहकर पढ़ाई शुरू करना कर दिया.  उत्कर्ष का कहना है कि गांव में रहकर भी देश की सबसे कठिन परीक्षा में सफलता पाई जा सकती है, बस इसके लिए आपको टाइम मैनेजमेंट करना आना जरूरी है.

किसान परिवार से आते हैं आईएएस उत्कर्ष
उत्कर्ष गौरव नालंदा के भागन बीघा के अमरगांव के रहने वाले हैं. उनके पिता किसान और मां हाउसवाइफ हैं. उत्कर्ष ने बेंगलुरु से 2018 मैकेनिकल इंजीनियरिंग की, इसके बाद वह घर लौट गए. घर पर ही रहकर साल 2019 में उन्होंने सिविल सर्विस एग्जाम की तैयारी शुरू की. हालांकि, उन्हें लगातार तीन बार इस एग्जाम में असफलता हाथ लगी. साल 2022 में उनका चौथा अटैम्प्ट था, जिसमें मेंस और इंटरव्यू तक वह पहली बार पहुंचे. इस बार सभी राउंड्स को क्लियर करके उत्कर्ष ने सक्सेस हासिल की.  

सोशल मीडिया का लिमिटेड किया यूज
उत्कर्ष गौरव ने बताया कि तैयारी की शुरुआत में इसका इस्तेमाल करना कम कर दिया था, क्योंकि ज्यादा समय देने से ध्यान भटकता है. लोगों से जुड़े रहने के लिए फोन कॉल का उपयोग करते थे. यू-ट्यूब की हेल्प से 4 घंटे तक सामान्य ज्ञान, ज्योग्रॉफी (वैकल्पिक विषय) के नोट्स बनाने के लिए ऑनलाइन पढ़ाई की. 
 
सेल्फ स्टडी के साथ की ऑनलाइन तैयारी
उत्कर्ष गौरव ने बताया कि 8 महिने की कोचिंग के बाद कोरोना के चलते घर लौटना पड़ा. उन्होंने कहा कि दिल्ली से तैयारी करने में खर्च बहुत आता है . घर में रहने से पैसे और समय दोनों की बचत हुई. वहीं, ऑनइलान स्टडी करके उन्होंने तैयारी पूरी की. इंटरव्यू के समय दिल्ली में रहकर 7 मॉक इंटरव्यू दिए और वापस घर आ गए थे. 

गांव वाले देते थे ताना
उत्कर्ष गौरव ने कहा, "सबसे पहले तो UPSC की तैयारी के लिए दृढ़ इच्छा होनी चाहिए. जब तीसरे प्रयास में मैं प्रीलिम्स भी पास नहीं कर पाया तो पूरी तरह टूट चुका था. गांव में लोग कहते थे कि इंजीनियरिंग करके बैठा हुआ है, लेकिन घर वालों ने समझाया और हार नहीं मानने दी. इसके बाद मैंने  यूपीएससी क्रैक करने का ठान लिया." 

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