Why Judge Breaks Nib of Pen: आपने फिल्मों या टीवी शो में अक्सर कोर्ट की कार्रवाई देखी होगी. उसमें आपने यह भी देखा होगा कि जब जज द्वारा किसी व्यक्ति को फांसी की सजा सुनाई जाती है, उसके बाद जज पेन की निब को तोड़ देते हैं. लेकिन क्या आप जानते हैं कि आखिर ऐसा क्यों किया जाता है?
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Why Judge Breaks Nib of Pen: फांसी की सजा से जुड़े कुछ सवाल अक्सर लोगों के मन में उठते हैं, जिनमें एक यह भी है कि जज फांसी की सजा सुनाने के बाद अपनी पेन की निब क्यों तोड़ देते हैं? दरअसल, यह परंपरा न केवल कानून की गहराई को दर्शाती है, बल्कि इसके पीछे कई प्रतीकात्मक कारण भी हैं.
इस परंपरा के पीछे की वजहें
1. न्याय की पवित्रता का प्रतीक: फांसी की सजा देना एक गंभीर और ऐतिहासिक फैसला होता है. जब कोई जज यह फैसला सुनाते हैं, तो पेन की निब तोड़ने का अर्थ होता है कि उन्होंने यह निर्णय पूरी ईमानदारी, निष्पक्षता और गंभीरता से लिया है. निब तोड़ने से यह संकेत दिया जाता है कि इस फैसले को दोबारा बदला नहीं जा सकता और यह अंतिम फैसला है.
2. दोबारा ना हो ऐसा जघन्य अपराध: जज द्वारा फैसला सुनाने के बाद पेन की निब तोड़ना यह भी इंगित करता है कि ऐसे गंभीर अपराध दोबारा न हों, जिनके लिए फांसी जैसी सजा देनी पड़े.
3. फिर से ना हो उस पेन का उपयोग: जिस पेन से किसी की मौत की सजा लिखी गई हो, उसका दोबारा उपयोग नहीं होना चाहिए, यह विचार भी इस परंपरा के पीछे है.
इतिहास और उत्पत्ति:
वहीं, यह प्रथा ब्रिटिश शासन के दौरान, जब भारत में अंग्रेजी कानून प्रणाली लागू थी, फांसी की सजा सुनाने के बाद जज पेन की निब तोड़ते थे. यह संकेत था कि जिस पेन से मौत की सजा लिखी गई है, उसका पुनः उपयोग नहीं होगा, जिससे न्याय की पवित्रता बनी रहे. आज यह न्यायिक प्रक्रिया का हिस्सा बन गई है, जिसे अधिकांश देशों में आज भी निभाया जाता है.
कानून का सम्मान और संवेदनशीलता
यह परंपरा बताती है कि फांसी की सजा देना कितना गंभीर और संवेदनशील मुद्दा है. यह न केवल कानून के सम्मान को दर्शाती है, बल्कि यह भी सुनिश्चित करती है कि न्यायिक प्रक्रिया में भावनाओं और व्यक्तिगत विचारों का कोई स्थान नहीं है.