13 जनवरी; देश के पहले अंतरिक्ष यात्री राकेश शर्मा का जन्मदिन, जिन्होंने बताई थी स्पेस से भारत की तस्वीर, छा गए थे इस जवाब से
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13 जनवरी; देश के पहले अंतरिक्ष यात्री राकेश शर्मा का जन्मदिन, जिन्होंने बताई थी स्पेस से भारत की तस्वीर, छा गए थे इस जवाब से

First Indian Astronaut: राकेश शर्मा न केवल देश पहले अंतरिक्ष यात्री हैं, बल्कि देश की उन महान शख्सियतों में से एक हैं, जिन्होंने दुनिया में भारत का परचम लहराया. उनका जीवन एक प्रेरणा है, जो हर भारतीय को बड़े सपने देखने और उन्हें पूरा करने का साहस देता है.

13 जनवरी; देश के पहले अंतरिक्ष यात्री राकेश शर्मा का जन्मदिन, जिन्होंने बताई थी स्पेस से भारत की तस्वीर, छा गए थे इस जवाब से

Rakesh Sharma Birth Anniversary: भारत के लिए 13 अप्रैल 1984 एक ऐतिहासिक दिन था, जब राकेश शर्मा ने सोवियत संघ के अंतरिक्ष यान सोयूज टी-11 से अंतरिक्ष की यात्रा की. उन्होंने न केवल भारत का मान बढ़ाया, बल्कि देश के पहले अंतरिक्ष यात्री बनकर इतिहास रच दिया. 13 जनवरी 1949 को जन्मे राकेश शर्मा आज भी युवाओं के लिए प्रेरणा स्रोत हैं. आइए उनके जीवन और उपलब्धियों पर नजर डालते हैं.

शुरुआत जीवन और शिक्षा
राकेश शर्मा का जन्म 13 जनवरी 1949 को पंजाब के पटियाला में हुआ. उन्होंने अपनी शुरुआती शिक्षा हैदराबाद के सेंट जॉर्ज ग्रामर स्कूल से पूरी की. बाद में उन्होंने हैदराबाद के निजाम कॉलेज से ग्रेजुएशन किया. जुलाई 1966 में नेशनल डिफेंस एकेडमी (NDA) में प्रवेश लिया. बचपन से ही उनका सपना था कि वे देश की सेवा करें और यही सपना उन्हें भारतीय वायुसेना तक ले गया.

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भारतीय वायुसेना में शानदार करियर
एनडीए से ग्रेजुएट होने के बाद राकेश शर्मा ने 1970 में भारतीय वायुसेना में टेस्ट पायलट के तौर पर अपनी सेवा शुरू की.  राकेश ने 1971 के भारत पाकिस्तान युद्ध में भी हिस्सा लिया था. उस समय वह पायलट की भूमिका में थे. साल 1982 में यह फैसला लिया गया एक भारतीय रूसी अभियान साथ अंतरिक्ष में जाएगा. अपनी अद्भुत क्षमताओं और कौशल के कारण उन्हें सोवियत अंतरिक्ष इस कार्यक्रम के लिए चुना गया. उनके साहस और निपुणता ने उन्हें अंतरिक्ष यात्रा के लिए एक परफेक्ट कैंडिडेट बनाया.

अंतरिक्ष की यात्रा
राकेश शर्मा ने 2 अप्रैल 1984 को सोवियत संघ के सोयूज टी-11 अंतरिक्ष यान से अपनी ऐतिहासिक यात्रा शुरू की. इस मिशन में उन्होंने 7 दिन, 21 घंटे और 40 मिनट अंतरिक्ष में बिताए. इस दौरान उन्होंने अंतरिक्ष में कई वैज्ञानिक प्रयोग किए और भारतीय झंडे को गर्व से ऊंचा किया. बताया जाता है कि वे स्पेस में भारतीय भोजन साथ ले गए थे. मैसूर स्थित डिफेंस फूड रिसर्च लैब की मदद से उन्होंने ऐसा किया था और अपने सथ सूजी का हलवा, वेज पुलाव और आलू छोले लेकर गए थे. 

'सारे जहां से अच्छा' का ऐतिहासिक जवाब
अंतरिक्ष यात्रा के दौरान तत्कालीन प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी ने उनसे पूछा, "अंतरिक्ष से भारत कैसा दिखता है?" इस पर राकेश शर्मा ने गर्व से उत्तर दिया, "सारे जहां से अच्छा." उनका यह जवाब आज भी हर भारतीय के दिल में गर्व का अहसास कराता है.

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लौटने के बाद मिला सम्मान
अंतरिक्ष यात्रा के बाद राकेश शर्मा का देशभर में भव्य स्वागत किया गया. उन्हें भारत सरकार ने देश के सर्वोच्च नागरिक सम्मान अशोक चक्र से सम्मानित किया. रिटायरमेंट के बाद उन्होंने हिंदुस्तान एरोनॉटिक्स लिमिटेड (HAL) में महत्वपूर्ण योगदान दिया और आज भी भारतीय अंतरिक्ष कार्यक्रम से जुड़े रहते हैं.

देश की शान
राकेश शर्मा ने अपने जीवन से यह साबित किया कि सपने देखना और उन्हें पूरा करना दोनों ही जरूरी हैं. उनके साहसिक कार्य और उपलब्धियां आज भी युवाओं को प्रेरित करती हैं. उनके जीवन से यह सीख मिलती है कि कड़ी मेहनत और समर्पण से कोई भी लक्ष्य हासिल किया जा सकता है.

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