लगातार बढ़ती मंहगाई पर सरकार और आरबीआई की तरफ से किए गए प्रयास रंग ला रहे हैं. एक महीने पहले खाने के तेल पर कीमत घटने के बाद अब फिर तेल 14 रुपये सस्ता हो गया है. इसके अलावा क्रूड के दाम गिरने से पेट्रोल-डीजल भी सस्ता होने की उम्मीद है.
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महंगाई पर लगाम लगाने और ग्राहकों को राहत देने के लिए सरकार और रिजर्व बैं की तरफ से लगातार कोशिशें की जा रही हैं. इसका असर आने वाले समय में बाजार में साफ दिखाई देगा. सरकार की कोशिश के बार खाने का तेल 14 रुपये प्रति लीटर तक सस्ता हो गया. इससे पहले भी तेल कंपनियों ने खाने के तेल की कीमत में 15 रुपये प्रति लीटर की कमी की थी. आने वाले दिनों में खाद्य तेल की कीमत में और गिरावट देखने को मिल सकती है. दूसरी तरफ क्रूड की गिरती कीमत से पेट्रोल-डीजल के रेट भी कम होने की संभावना है.
रुपये में आ रही गिरावट को रोकने का प्रयास
अब भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) ने बॉन्ड बाजार में विदेशी निवेश और बैंकों के विदेशी मुद्रा में कर्ज के लिये प्रावधानों में ढील देने को लेकर नोटिफिकेशन जारी किया है. यह रुपये में गिरावट को रोकने के लिये किया गया प्रयास है. अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये की विनिमय दर (Exchange Rate) में गिरावट के बीच इन उपायों की घोषणा की गई.
'प्राधिकृत डीलर श्रेणी-1 बैंक के अंतरराष्ट्रीय बाजारों से विदेशी मुद्रा उधारी' पर जारी नोटिफिकेशन के अनुसार, बैंक 8 जुलाई से 31 अक्टूबर, 2022 के बीच विदेशों से अंतरराष्ट्रीय मुद्रा में लिये गये कर्ज के जरिये जुटाये गये धन का उपयोग भारत में ग्राहकों को विदेशी मुद्रा उधार देने में कर सकते हैं. वर्तमान में बैंक अंतरराष्ट्रीय बाजार से विदेशी मुद्रा में उधार (OFCB) अपनी टियर-1 यानी शेयर पूंजी का 100 प्रतिशत या एक करोड़ डॉलर, जो भी अधिक हो, तक ले सकते हैं. इस प्रकार उधार ली गई धनराशि का उपयोग निर्यात को छोड़कर विदेशी मुद्रा में उधार देने के लिये नहीं किया जा सकता है.
अल्पकालिक निवेश की सीमा से छूट दी जाएगी
रिजर्व बैंक ने कहा कि इस उपाय से कर्ज लेने वाले उस बड़े तबके को विदेशी मुद्रा में कर्ज लेने की सुविधा मिलने की उम्मीद है, जिनके लिये सीधे विदेशी बाजारों तक पहुंचना मुश्किल हो सकता है. केंद्रीय बैंक ने विदेशी पोर्टफोलियो निवेशकों के बॉन्ड बाजार में निवेश से संबंधित दो अधिसूचनाएं भी जारी की हैं. इसके तहत एफपीआई के 8 जुलाई से 31 अक्टूबर, 2022 के बीच सरकारी प्रतिभूतियों और कॉरपोरेट बांड में किये गये निवेश को परिपक्वता या ऐसे निवेशों की बिक्री तक अल्पकालिक निवेश की सीमा से छूट दी जाएगी.
फिलहाल एफपीआई का सरकारी प्रतिभूतियों (ट्रेजरी बिल और राज्य विकास ऋण सहित केंद्र सरकार की प्रतिभूतियों) और कॉरपोरेट बॉन्ड में अल्पकालिक निवेश किसी भी श्रेणी में उस एफपीआई के कुल निवेश के 30 प्रतिशत से अधिक नहीं होना चाहिए. एफपीआई के कॉरपोरेट बांड में निवेश के लिये भी छूट प्रदान की गई है और वे अब एक वर्ष से कम अवधि के लिये भी ऐसे उत्पाद खरीद सकते हैं.
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