RBI Hike Repo Rate: आरबीआई की 2 दिवसीय मौद्रिक समीक्षा निति की बैठक में कई बड़े फैसले लिए गए हैं. रिजर्व बैंक ने रेपो रेट में 0.50 फीसदी यानी 50 बेसिस प्वाइंट की बढ़ोतरी का ऐलान कर दिया है. इस ऐलान के बाद आपकी EMI का बोझ बढ़ेगा.
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RBI Monetary Policy: आरबीआई की 2 दिवसीय मौद्रिक समीक्षा निति की बैठक (RBI Monetary Policy) में कई बड़े फैसले लिए गए हैं. रिजर्व बैंक ने रेपो रेट में 0.50 फीसदी यानी 50 बेसिस प्वाइंट की बढ़ोतरी का ऐलान कर दिया है. इस ऐलान के बाद आपकी EMI का बोझ बढ़ेगा. आपको बता दें कि एक बार फिर आरबीआई ने रेपो रेट को कोरोना महामारी के पहले के रेपो रेट यानी 5.5% के करीब 5.40 फीसदी कर दिया है.
आरबीआई ने दी जानकारी
आरबीआई ने बताया है कि FY23 Q2 में GDP ग्रोथ 6.2% संभव FY23 Q3 में GDP ग्रोथ 4.1% संभव FY23 Q4 में GDP ग्रोथ 4% संभव हो सकता है. आरबीआई के गवर्नर शक्तिकांता दास ने बताया कि 2022-23 के लिए रियल GDP विकास अनुमान 7.2% है जिसमें Q1- 16.2%, Q2- 6.2%, Q3 -4.1% और Q4- 4% व्यापक रूप से संतुलित जोखिमों के साथ होगा. 2023-24 के पहले तिमाही (Q1) में रियल GDP में 6.7% की बढ़ोतरी अनुमानित है: गौरतलब है कि इससे [पहले भी जून में और मई के महीने में आरबीआई ने रेपो रेट में बढ़ोतरी की थी.
ऊंची मुद्रास्फीति से जूझ रही भारतीय अर्थव्यवस्था
शक्तिकांता दास ने कहा कि भारतीय अर्थव्यवस्था ऊंची मुद्रास्फीति से जूझ रही है और इसे नियंत्रण में लाना जरूरी है. दास ने कहा, 'मौद्रिक नीति समिति ने मुद्रास्फीति को काबू में लाने के लिये नरम नीतिगत रुख को वापस लेने पर ध्यान देने का भी फैसला किया है.'
यहां चेक करें लेटेस्ट रेट्स
शक्तिकांत दास ने कहा कि हमारी अर्थव्यवस्था के तेजी से बढ़ने का अनुमान आईएमएफ से लेकर कई संस्थाओं ने दिया है और ये सबसे तेजी से आगे बढ़ेगी. रेपो रेट के अलावा आरबीआई ने SDF को 4.65 फीसदी से बढ़ाकर 5.15 फीसदी कर दिया है. इसके अलावा मार्जिनल स्टैंडिंग फैसिलिटी रेट यानी MSF को 5.15 फीसदी से बढ़ाकर 5.65 फीसदी कर दिया है.
क्या है रेपो रेट?
गौरतलब है कि रेपो रेट वह दर है जिस पर की बैंक को RBI द्वारा कर्ज दिया जाता है और फिर इसी के आधार पर बैंक ग्राहकों को कर्ज देते हैं, जबकि रिवर्स रेपो रेट वह दर है जिस पर बैंकों की ओर से जमा राशि पर RBI उन्हें ब्याज देती है. ऐसे में, जब आरबीआई रेपो रेट बढ़ाती है तब बैंकों पर बोझ बढ़ता है और बैंक की तरफ से तब बैंक रेट में यानो लोन महंगा होता है.
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