Shaktikanta Das: मौद्रिक नीति समिति (MPC) में पांच अन्य सदस्यों के साथ ब्याज दरों में बढ़ोतरी के बारे में फैसला करते वक्त रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने यह राय जाहिर की थी.
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RBI MPC Meeting: मई से लेकर अब तक रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) की तरफ से पांच बार में 2.25 प्रतिशत रेपो रेट बढ़ाया जा चुका है. पहली बार आरबीआई (RBI) ने रेपो रेट में अचानक 40 बेसिस प्वाइंट का इजाफा किया था. इसके बाद तीन बार 50-50 बेसिस प्वाइंट का इजाफा किया गया. दिसंबर के पहले हफ्ते में केंद्रीय बैंक ने 35 पैसे का इजाफा किया. इस तरह पांच बार रेपो रेट में की गई बढ़ोतरी के बार यह बढ़कर 6.25 प्रतिशत पर पहुंच गया. आरबीआई के इस कदम से महंगाई में कमी आई और बैंकों ने ब्याज दर को बढ़ा दिया है.
ब्याज दर बढ़ोतरी के पक्ष में थे दास
इस बीच यह जानकारी सामने आई है कि आरबीआई गवर्नर शक्तिकांत दास समते एमपीसी सदस्य ब्याज दर में बढ़ोतरी के पक्ष में ही थे. उनका मानना था कि मौद्रिक नीति कार्रवाई में समय से पहले रोक लगाना एक महंगी गलती साबित हो सकती है. मौद्रिक नीति समिति (MPC) में पांच अन्य सदस्यों के साथ ब्याज दरों में बढ़ोतरी के बारे में फैसला करते वक्त रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) के गवर्नर शक्तिकांत दास ने यह राय जाहिर की थी.
...फैसला इस समय एक महंगी गलती साबित होगा
एमपीसी ने महीने की शुरुआत में रेपो रेट में 0.35 प्रतिशत की बढ़ोतरी की थी. बुधवार को बैठक से जुड़ा ब्योरे साझा किया गया. दिसंबर में हुई बढ़ोतरी से पहले आरबीआई ने चार बार में रेपो रेट में 1.90 प्रतिशत का इजाफा किया था. एमपीसी के ब्योरे में कहा गया, 'मेरा... विचार है मौद्रिक नीति कार्रवाई में समय से पहले ठहराव का फैसला इस समय एक महंगी गलती साबित होगा. अनिश्चित हालात को देखते हुए, यह एक ऐसी स्थिति पैदा कर सकता है, जहां बढ़ी हुई मुद्रास्फीति के दबाव को दूर करने के लिए हम खुद को बाद की बैठकों में मजबूत नीतिगत कार्रवाई करते हुए पा सकते हैं.'
एमपीसी की यह बैठक 5-7 दिसंबर के दौरान हुई थी. दास ने कहा कि एक सख्त वातावरण में, खासतौर से जबकि दुनिया भारी अनिश्चितता का सामना कर रही है, मौद्रिक नीति के भविष्य को लेकर स्पष्ट मार्गदर्शन देना सही नहीं होगा. एमपीसी में तीन बाहरी सदस्य - शशांक भिडे, आशिमा गोयल और जयंत आर वर्मा - और तीन आरबीआई अधिकारी - गवर्नर दास, डिप्टी गवर्नर माइकल देवव्रत पात्रा और कार्यकारी निदेशक राजीव रंजन शामिल हैं. पात्रा का भी विचार था कि एमपीसी को रुख बदलने से पहले मुद्रास्फीति में निर्णायक गिरावट का इंतजार करना चाहिए. उन्होंने रेपो दर में 0.35 प्रतिशत बढ़ोतरी के पक्ष में मतदान किया.
(इनपुट : भाषा)
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