Eighth Pay Commission: आठवें वेतन आयोग के गठन को सरकार से मंजूरी मिलने के बाद रेलवे यूनियनों ने नाइट ड्यूटी भत्ते को लेकर पुनर्विचार करने का अनुरोध किया है. यूनियों ने कहा कि सरकार को रेलवे की कार्यप्रणाली को अन्य विभागों से अलग मानना चाहिए और उसके अनुसार ही व्यवहार करना चाहिए.
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Eighth Pay Commission: भारत सरकार ने गुरुवार ( 16 जनवरी ) को आठवें वेतन आयोग के गठन को मंजूरी दे दी है. इस घोषणा के बाद अब रेलवे यूनियनों के एक वर्ग ने सरकार से बड़ी मांग करते हुए रात्रि ड्यूटी भत्ते को लेकर अपने फैसले पर पुनर्विचार करने का अनुरोध किया है. कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग ( Department of Personnel and Training ) ने 13 जुलाई, 2020 को एक ऑफिस मेमोरेंडम जारी किया था, जिसके मुताबिक अन्य शर्तों के साथ-साथ "नाइट ड्यूटी भत्ते की पात्रता के लिए मूल वेतन की अधिकतम सीमा 43,600 रुपये प्रति माह होगी."
पूर्वोत्तर रेलवे ( North Eastern Railway ) मेंस कांग्रेस के असिसटेंट जेनरल सेक्रेटरी विवेक मिश्रा ने कहा, "डीओपीटी ओएम (कार्यालय ज्ञापन) के मुताबिक, अगर किसी कर्मचारी का मूल वेतन 43,600 रुपये से ज्यादा है, तो उसके नाइट ड्यूटी भत्ते (एनडीए) की गिनती उसके मूल वेतन को 43,600 रुपये मानकर की जाएगी, जो अनुचित और तर्कहीन है."
हालांकि, रेलवे बोर्ड ने 29 सितंबर 2020 को एक निर्देश जारी किया था और कहा था कि एनडीए ( NDA ) उन कर्मचारियों को ही दिया जायेगा, जो सिर्फ वेतन स्तर सात तक हैं. इससे हाई सैलरी लेवल आठ और नौ के कर्मचारियों को एनडीए का कोई भी फायदा मिलने की सम्भावना समाप्त हो गई.
मिश्रा ने आगे कहा, "रेल मंत्रालय ने भी इस तरह का बैन लगाने के लिए कोई तर्क नहीं दिया. यह हतोत्साहित करने वाला है. क्योंकि सरकार ने आठवें पे कमीशन के गठन की घोषणा की है, मैं डीओपीटी के साथ-साथ रेल मंत्रालय से अनुरोध करता हूं कि वे इस पहलू पर अलग से विचार करें, क्योंकि रेलवे का कामकाज अन्य सरकारी विभागों की तरह नहीं है."
यूनियनों ने क्या कहा?
यूनियनों के मुताबिक, "2020 से पहले, सभी सरकारी कर्मचारियों को उनके पदक्रम वेतन की परवाह किए बिना रात 10 बजे से सुबह छह बजे के बीच काम करने के लिए अलाउंस मिलता था, लेकिन सातवें वेतन आयोग की रिपोर्ट के बाद जब कार्मिक एवं प्रशिक्षण विभाग ने एक ज्ञापन जारी कर अधिकतम सीमा तय कर दी, तो सुरक्षा विभाग के कई कर्मचारी अब एनडीए से वंचित हो गए हैं."
‘नॉर्दर्न रेलवे ऑल इंडिया स्टेशन मास्टर्स एसोसिएशन’ के सेक्रेटरी सुमीर आइमा ने कहा, "एक स्टेशन मास्टर रात 10 बजे से सुबह छह बजे तक आठ घंटे काम करता है और उसे एनडीए का फायदा मिलता है, क्योंकि वह सैलरी लेवल सात में आता है. दूसरी तरफ, अगर किसी अन्य स्टेशन मास्टर को लेवल आठ या लेवल नौ में प्रमोटेड किया जाता है, तो उसे समान ड्यूटी घंटे करने के बावजूद फायदा नहीं मिलता,भले ही वह लेवल सात वाले से ज्यादा अनुभवी क्यों न हो."
"रेलवे को अपने अनुसार काम करना चाहिए"
ऑल इंडिया ट्रेन कंट्रोलर्स एसोसिएशन (एआईटीसीए) के पूर्व असिसटेंट सेक्रेटरी मनोज सिन्हा ने कहा, "जब सीनियर अफसर घर पर सो रहे होते हैं तो ये कर्मचारी लोगों को सुरक्षित रूप से उनके गंतव्य तक पहुंचने में मदद करने के लिए अथक परिश्रम करते हैं. सरकार को रेलवे की कार्यप्रणाली को दूसरे विभागों से अलग मानना चाहिए और उसके अनुसार ही व्यवहार करना चाहिए."