लगातार बढ़ रहा पाकिस्तान का व्यापार घाटा, जिन्ना के देश के लिए जनसंख्या कैसे बनी 'बीमारी' की वजह?
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लगातार बढ़ रहा पाकिस्तान का व्यापार घाटा, जिन्ना के देश के लिए जनसंख्या कैसे बनी 'बीमारी' की वजह?

Pakistan News: पाकिस्तान को अपनी बढ़ती जनसंख्या, निरक्षरता, राजनीतिक अस्थिरता, शत्रुतापूर्ण पड़ोसियों और भारी विदेशी ऋण जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है.

लगातार बढ़ रहा पाकिस्तान का व्यापार घाटा, जिन्ना के देश के लिए जनसंख्या कैसे बनी 'बीमारी' की वजह?

Pakistan Trade Deficit: कर्ज के जाल में फंस चुके पाकिस्तान के लिए समस्याएं कम होने का नाम नहीं ले रही हैं. पाकिस्तान का व्यापार घाटा पड़ोसी देशों के साथ 43.22 प्रतिशत बढ़ गया है.

स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान (एसबीपी) के अनुसार, चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही (जुलाई 2024 से जून 2025) के दौरान यह घाटा बढ़ा है. एसबीपी द्वारा रविवार को जारी किए गए आंकड़ों के मुताबिक, इस बढ़े हुए व्यापार घाटे का मुख्य कारण चीन, भारत और बांग्लादेश से आयात में वृद्धि है.

पाकिस्तान के निर्यात में भी वृद्धि देखी गई है, खासकर अफगानिस्तान, बांग्लादेश और श्रीलंका को किए गए निर्यात में. इसने निर्यात में गिरावट की कुछ हद तक भरपाई की है. आंकड़ों के अनुसार, पाकिस्तान ने जुलाई से दिसंबर 2024 के बीच अपने निर्यात को 7.85 प्रतिशत बढ़ाकर 2.40 बिलियन डॉलर कर लिया है.

इन देशों को पाकिस्तान का बढ़ा निर्यात

पिछले साल इसी अवधि में निर्यात का मूल्य 2.23 बिलियन डॉलर था. पाकिस्तान का निर्यात चीन, अफगानिस्तान, बांग्लादेश, श्रीलंका, भारत, ईरान, नेपाल, भूटान और मालदीव सहित नौ देशों को बढ़ा है.

हालांकि, पाकिस्तान का आयात भी बढ़ा है. विशेष रूप से, क्षेत्रीय देशों से आयात में 29.97 प्रतिशत की वृद्धि हुई है. चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में पाकिस्तान का आयात 7.73 बिलियन डॉलर तक पहुंच गया, जबकि पिछले साल इसी अवधि में यह 5.95 बिलियन डॉलर था.

पाकिस्तान की जीडीपी नाममात्र के

पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था विकासशील मानी जाती है और यह जीडीपी (नाममात्र) के मामले में 46वीं सबसे बड़ी है. 2023 तक पाकिस्तान की कुल जनसंख्या 241.5 मिलियन थी और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के अनुसार पाकिस्तान प्रति व्यक्ति आय के मामले में जीडीपी (नाममात्र) के हिसाब से 161वीं और जीडीपी (क्रय शक्ति समता) के हिसाब से 138वीं स्थिति में है.

जनसंख्या और निरक्षरता बना रोड़ा 

पाकिस्तान की शुरुआती आर्थिक स्थिति निजी उद्योगों पर निर्भर थी, लेकिन 1970 के दशक में कई महत्वपूर्ण क्षेत्रों का राष्ट्रीयकरण किया गया. 1990 के दशक में फिर से निजीकरण की प्रक्रिया शुरू हुई. 

वर्तमान में पाकिस्तान में आर्थिक उदारीकरण की प्रक्रिया चल रही है, जिसमें सरकारी निगमों का निजीकरण शामिल है, ताकि विदेशी निवेश आकर्षित किया जा सके और बजट घाटे को कम किया जा सके. हालांकि, पाकिस्तान को अपनी बढ़ती जनसंख्या, निरक्षरता, राजनीतिक अस्थिरता, शत्रुतापूर्ण पड़ोसियों और भारी विदेशी ऋण जैसी समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है.

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