हीरे-माणिक से सजे जूते और शाही ठाट-बाट, हजारों करोड़ की मालकिन, स्कूल-कॉलेज में पढ़ने वाली पहली राजकुमारी… कौन थीं महारानी इंदिरा देवी?
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हीरे-माणिक से सजे जूते और शाही ठाट-बाट, हजारों करोड़ की मालकिन, स्कूल-कॉलेज में पढ़ने वाली पहली राजकुमारी… कौन थीं महारानी इंदिरा देवी?

1892 में जन्मी इंदिरा बड़ौदा के महाराजा सयाजीराव गायकवाड़ III की इकलौती बेटी थीं. सयाजीराव गायकवाड़ उस समय भारत के दूसरे सबसे शक्तिशाली राजा थे. 

हीरे-माणिक से सजे जूते और शाही ठाट-बाट, हजारों करोड़ की मालकिन, स्कूल-कॉलेज में पढ़ने वाली पहली राजकुमारी… कौन थीं महारानी इंदिरा देवी?

Maharani Indira Devi: आजादी से पहले के भारत में राजा-महाराजाओं का जीवन शानो-शौकत से भरा हुआ था. शाही ठाट-बाट दिखाने के लिए वे महंगी गाड़ियां, बेशकीमती गहने और लग्जरी चीजें खरीदते थे. इन राजघरानों की रईसी की कहानियों में कूच बिहार की महारानी इंदिरा देवी का जिक्र खास है. जिन्होंने कभी इटली के मशहूर डिजाइनर सल्वाटोर फेरागामो से 100 जोड़ी जूते ऑर्डर किए थे. इन जूतों में से कुछ पर हीरे, माणिक और पन्ना जड़े हुए थे.

1892 में जन्मी इंदिरा बड़ौदा के महाराजा सयाजीराव गायकवाड़ III की इकलौती बेटी थीं. याजीराव गायकवाड़ उस समय भारत के दूसरे सबसे शक्तिशाली राजा थे. वह अपने भाइयों के साथ लक्ष्मी विलास पैलेस के चमचमाते हॉलों के बीच पली-बढ़ीं. लक्ष्मी विलास अभी भी देश की सबसे महंगी संपत्तियों में से एक है. मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, लगभग 700 एकड़ में फैले इस पैलेस की अनुमानित कीमत लगभग 2400 करोड़ है. वह स्कूल और कॉलेज दोनों में दाखिला लेने वाली पहली भारतीय राजकुमारी थीं.

ग्वालियर के महाराजा से सगाई

इंदिरा अपनी खूबसूरती, बुद्धिमत्ता और शालीनता के लिए जानी जाती थीं. कई राजघरानों के युवराज उनसे विवाह के इच्छुक थे, लेकिन उनके पिता ने ग्वालियर के महाराजा माधवराव सिंधिया के साथ विवाह का प्रस्ताव तय किया. यह विवाह भारत के दो बड़े राजघरानों को जोड़ने वाला था. हालांकि, माधवराव इंदिरा से 20 साल बड़े थे, उनकी पहले से एक पत्नी थीं. 

इंदिरा इस विवाह के लिए तैयार नहीं थीं, लेकिन धूमधाम के साथ उनकी सगाई कर दी गई. एक साल बाद इंदिरा की मुलाकात कूच बिहार के राजकुमार जितेंद्र नारायण से हुई और वे उनसे प्रेम कर बैठीं. यह उस समय राजघरानों और समाज के लिए बेहद विवादास्पद कदम था. इंदिरा ने ग्वालियर के महाराजा को खुद पत्र लिखकर अपनी सगाई तोड़ दी.

कूच बिहार के राजा से सिंपल शादी

इंदिरा के लिए अगली चुनौती यह थी कि उनके नाराज माता-पिता उनकी शादी कूच बिहार के राजकुमार जितेंद्र से होने दें. जितेंद्र महाराजा नृपेंद्र नारायण और महारानी सुनीति देवी के दूसरे बेटे थे. लेकिन इंदिरा के माता-पिता के लिए इस रिश्ते को हामी भरना काफी मुश्किल था, क्योंकि जितेंद्र न केवल अलग जाति और धार्मिक परंपरा से थे, बल्कि उनका परिवार शाही रैंक में भी बड़ौदा के मुकाबले काफी नीचे था.

इंदिरा के माता-पिता ने किसी और विवाद से बचने के लिए उन्हें यूरोप भेज दिया. लेकिन जितेंद्र और इंदिरा अपने फैसले पर अडिग रहे. इंदिरा ने खुलेआम पत्रकारों से कहा कि वे कूच बिहार के राजकुमार से शादी करना चाहती हैं. आखिरकार, जब लगा कि इंदिरा भागकर शादी कर सकती हैं, तो गायकवाड़ परिवार ने मजबूरी में सहमति दे दी, लेकिन वे शादी में शामिल होने या समारोह आयोजित करने के लिए तैयार नहीं हुए. अगस्त 1913 में इंदिरा और जितेंद्र ने लंदन के एक साधारण से रजिस्ट्रार ऑफिस में शादी कर ली.

मंदी में भी राज्य को कुशलता से चलाया

शादी के बाद इंदिरा देवी कूच बिहार की महारानी बनीं. 10 साल बाद जब उनके पति का निधन हो गया, तो उन्होंने न केवल अपने पांच बच्चों की जिम्मेदारी उठाई, बल्कि राज्य की भी बागडोर संभाली. उन्होंने 15 वर्षों तक राज्य को कुशलता से चलाया. महा मंदी के दौरान उन्होंने न केवल राज्य को बचाया, बल्कि पुराने कर्ज भी चुकाए.

इंदिरा देवी का फैशन के प्रति प्रेम भी अनोखा था. उनकी सबसे प्रसिद्ध कहानी उनके फेरागामो जूतों के ऑर्डर की है. इटली के मशहूर डिजाइनर सल्वाटोर फेरागामो ने अपनी किताब में महारानी का जिक्र किया है. किताब में लिखा है कि महारानी ने मोतियों से जड़े और ब्लैक वेलवेट पर हीरों के डिजाइन वाले जूते मंगवाए थे. फेरागामो ने उनके पैरों का लकड़ी का कास्ट भी बनाया, जो आज फ्लोरेंस के फेरागामो म्यूजियम में रखा है.

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