RBI: श्रीवास्तव ने कहा, अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये में अचानक आई गिरावट नीति निर्माताओं के लिए एक चुनौती बनने जा रही है. राजकोषीय पक्ष पर बजट निर्माताओं के लिए और मौद्रिक पक्ष पर भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के लिए.
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Rupee Vs US Dollar: ईवाई के मुख्य नीति सलाहकार डीके श्रीवास्तव ने कहा कि सरकार आगामी बजट में पिछले कुछ महीनों में रुपये में आई भारी गिरावट को रोकने के लिए आयात पर उच्च शुल्क लगाने पर विचार कर सकती है. उन्होंने तर्क दिया कि उच्च आयात शुल्क से आयातकों की तरफ से डॉलर की मांग पर लगाम लगेगा और रुपये के गिरते मूल्य को रोकने में मदद मिलेगी. रुपया 13 जनवरी को 86.70 प्रति डॉलर के ऐतिहासिक निचले स्तर पर पहुंच गया था. श्रीवास्तव ने कहा, अमेरिकी डॉलर के मुकाबले रुपये में अचानक आई गिरावट नीति निर्माताओं के लिए एक चुनौती बनने जा रही है. राजकोषीय पक्ष पर बजट निर्माताओं के लिए और मौद्रिक पक्ष पर भारतीय रिजर्व बैंक (RBI) के लिए. उम्मीद है कि अमेरिकी इकोनॉमी में सुधार होने जा रहा है और इसलिए बहुत सारे वित्तीय संसाधन दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था का रुख कर रहे हैं.’
यूरोपीय मुद्राएं भी दबाव का सामना कर रही
श्रीवास्तव 15वें वित्त आयोग की सलाहकार परिषद के सदस्य भी हैं. उन्होंने कहा कि सिर्फ रुपया ही नहीं, बल्कि अन्य यूरोपीय मुद्राएं भी इसी तरह के दबाव का सामना कर रही हैं. श्रीवास्तव ने कहा, ‘बजट में उनके पास विनिमय दरों की गति को प्रभावित करने के लिए कोई बहुत शक्तिशाली राजकोषीय साधन नहीं है, लेकिन वे शुल्क दरों की थोड़ी अधिक बारीकी से जांच कर सकते हैं और वे संभवतः भारतीय अर्थव्यवस्था को घरेलू उद्योग के लिए अधिक सुरक्षा की ओर ले जा सकते हैं. इसके परिणामस्वरूप आयात शुल्क राजस्व भी बढ़ सकता है. इसके साथ ही, आयातकों की ओर से डॉलर की मांग में कमी आ सकती है.’
दो साल की सबसे बड़ी गिरावट दर्ज की गई
रुपये में 13 जनवरी को एक सत्र में करीब दो साल की सबसे बड़ी गिरावट दर्ज की गई थी और यह 66 पैसे के नुकसान के साथ 86.70 प्रति डॉलर के अपने सर्वकालिक निचले स्तर पर बंद हुआ था. रुपये में इससे पहले छह फरवरी 2023 को एक सत्र में 68 पैसे की गिरावट दर्ज की गई थी. रुपया 30 दिसंबर को 85.52 के स्तर पर बंद होने के बाद से पिछले दो सप्ताह में एक रुपये से अधिक की बड़ी गिरावट देख चुका है. रुपया पहली बार 19 दिसंबर 2024 को 85 प्रति डॉलर के पार गया था.
श्रीवास्तव ने कहा, ‘आत्मनिर्भर भारत की दिशा में आगे बढ़ने के लिए अधिक सुरक्षा या समर्थन प्रदान करना नीतिगत मामला है. आयात शुल्क में कुछ संशोधन हो सकते हैं. इस प्रकार, आयात की मांग में कमी आ सकती है और घरेलू उत्पादन के जरिये आयात के लिए कुछ प्रतिस्थापन हो सकता है.’ उन्होंने कहा, ‘डॉलर की मांग तथा अतिरिक्त आयात शुल्क राजस्व के संदर्भ में कुछ बचत हो सकती है. साथ ही इन सभी उपायों से शुल्क वृद्धि और युक्तिकरण की दिशा में कुछ प्रगति हो सकती है.’