Dhirubhai ambani story hindi: भारत के दो बड़े बिजनेस टायकून धीरूभाई अंबानी और रतन टाटा का आज जन्मदिन है. दोनों ने देश के उद्योग जगत को नई दिशा दी और आज वे करोड़ों लोगों के प्रेरणा स्त्रोत भी हैं. जानिए उनके करियरके अनसुने किस्से.
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Indian business man success story: आज भारत के 2 बड़े दिग्गजों का जन्मदिन है. आज रतन टाटा 85 साल के हो गए हैं, वहीं रिलायंस ग्रुप के फाउंडर धीरूभाई अंबानी का 90वां जन्मदिन है. धीरूभाई अंबानी का जन्म 28 दिसंबर 1932 को गुजरात के छोटे से गांव चोरवाड में हुआ था और उनकी मृत्यु 6 जुलाई 2002 को हुई थी. उन्होंने कपड़े के छोटे से व्यापार से शुरुआत की थी और उनकी मेहनत के चलते उन्होंने रिटेल, एनर्जी, मीडिया-एंटरटेनमेंट और डिजिटल सर्विस में भी अपना कदम रखा और वहां भी कामयाबी की इबारत लिखी. इसी तरह रतन टाटा ने भी कई मोर्चे पर सफलता पाई. उन्होंने भारत की पहली एसयूवी टाटा सफारी को लॉन्च किया. पढ़ें उनके रोचक किस्से.
300 रुपये के लिए की थी नौकरी
एक समय धीरूभाई अंबानी ने पेट्रोल पंप पर 300 रुपये की नौकरी की थी, जब उनकी मृत्यु हुई, तब वे करोड़ों रुपये के मालिक थे. ये सब उनकी मेहनत और लगन की वजह से ही हुआ था. धीरूभाई ने कहा था बड़ा सोचो, सबसे पहले सोचो और आगे का सोचो. उन्होंने 18 साल की उम्र में यमन में नौकरी की, लेकिन 1958 में वे भारत वापस लौट आए और यहां आकर रिलायंस की शुरुआत की.
दलालों ने धीरूभाई के लिए बनाया था प्लान
ये बात 1982 के वक्त की है, जब शेयर मार्केट के दलालों ने धीरूभाई को नुकसान पहुंचाने की साजिश रची थी. उन लोगों का प्लान ये था कि धीरूभाई की कंपनी के शेयरों को निचले स्तर पर ले जाया जाए. उसके बाद उन स्टॉक को खरीदकर मुनाफा कमाया जाए.
रटन टाटा को मिला ऐसा जवाब
रतन टाटा अमीर परिवार में जन्मे थे, लेकिन उन्होंने अपनी जिंदगी में संघर्ष और मेहनत के दम पर ही सफलता पाई है. उन्होंने कहा था अगर आप तेज चलना चाहते हैं तो अकेले चलें, लेकिन अगर आप दूर तक जाना चाहते हैं, तो सबके साथ चलें. रतन टाटा ने 1998 में हैचबैक कार इंडिका को मार्केट में उतारा, लेकिन ये लॉन्च बुरी तरह फेल हो गया. उस समय कुछ लोगों ने उन्हें सलाह दी कि आपको कार डिवीजन बेच देना चाहिए, लेकिन उन्होंने रिस्क ली और आज आप जानते ही हैं. टाटा कंपनी की कार मार्केट में क्या वैल्यू रखती है? टाटा कार का व्यापार खरीदने के लिए फोर्ड के चेयरमैन ने उन्हें अमेरिका बुलाया. उस समय चेयरमैन ने टाटा को कह दिया कि हम इस कंपनी को खरीदकर आप पर एहसान ही करेंगे. उसके बाद क्या था? उन्होंने टाटा की कार को और बेहतरीन बनाने पर काम किया.
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