Mary Stone Near Kaaba: मुसलमानों के लिए दुनिया की सबसे मुकद्दस जगह काबा के गेट के दाहिनी तरफ 8 पत्थर लगे हुए हैं. बहुत कम लोग इनके बारे में जानते हैं. ये दुनिया के सबसे कीमती पत्थरों में शुमार किए जाते हैं और एक बार यह चोरी भी हो चुके थे.
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सऊदी अरब के दो सबसे मुकद्दस शहर मक्का (Mecca) और मदीना (Madina) अपनी इस्लामी तारीख को लेकर सुर्खियों में रहते हैं. मक्का की मस्जिद अल हरम और मदीना की मस्जिद ए नबवी की तारीख भी किसी से छुपी नहीं हुई है. लेकिन आज इस खबर में हम आपको मक्का के मौजूद काबा के दरवाज़े के नजदीक लगे 8 संग-ए-मरमर के बारे में खास जानकारी देने जा रहे हैं.
दरअसल मस्जिद अल हरम में काबा के गेट के दाहिनी तरफ 8 पत्थर लगे हुए हैं. जिन्हें सोशल मीडिया के ज़रिए शायद कुछ लोगों ने देखा भी होगा. यहां लगे ये 8 पत्थर दुनिया में सबसे दुर्लभ पत्थर बताए जाते हैं. इन इन पत्थरों को मेरी स्टोन (Mary Stone) कहा जाता है. ये कीमती पत्थर गहरे पीले रंग की वजह से पहचाने जाते हैं. मुकद्दस काबे के गेट के करीब लगे हुए इन पत्थरों को तकरीबन 807 साल गुजर चुके हैं.
हरम से जुड़े हुए मामलों के रिसर्चर मुहयुद्दीन ने अलअरबिया को बताया कि पत्थर के टुकड़े खलीफा अबु जाफरुलमंसूर की तरफ से उस वक्त तोहफे के तौर पर दिए गए थे जब वो मस्जिद अल हरम में सेहन को ठीक करने का काम करवा रहे थे. ये पत्थर अलग-अलग साइज के हैं. इन पत्थरों में सबसे बड़ा 33 सेमी लंबा और 21 सेमी चौड़ा है. अल-हाशमी ने बताया कि टुकड़ों पर मौजूद निशान और उनका आकार हैरान करने वाला है.
अल-हाशिमी ने कहा कि इतिहासकारों ने उल्लेख किया है कि आठ कीमती पत्थरों को "अल-मुअज्जिन" नाम की जगह पर स्थापित किया गया था. हालांकि अब ये पत्थर अल-मुअज्जिन पर नहीं हैं. अल-मुअज्जिन जगह अल-मताफ के नीचे के और उस जगह के विपरीत है जहां अब पत्थर लगे हुए हैं. इतिहासकारों के मुताबिक यह वह स्थान है जहां जिबराइल अलैहिस्सलाम ने प्रोफेट मोहम्मद (स.अ.) को इस्लाम की शुरुआत में नमाज़ पढ़ने का तरीका सिखाया था.
अल-हाशिमी का कहना है कि अल-मुअज्जिन की जगह से इन पत्थरों को हटाने और काबा के दाहिनी तरफ लगाने के पीछे एक महत्वपूर्ण घटना है. उन्होंने कहा कि अल-मुअज्जन में सफेद रेत से जुड़े ये कीमती पत्थर 1213 हिजरी में चोरी हो गए थे. 1377 हिजरी में ये पत्थर एक मरे हुए शख्स के पास मिले थे. लेकिन तीर्थयात्रियों की आवाजाही में आसानी को देखते हुए अल-मुअजिन की खाली जगह भर दी गई और फिर इन पत्थरों को वर्तमान स्थान यानी काबा के दाहिनी ओर स्थापित करने पर सहमति बनी.