दिल्ली में 400 साल पुरानी मस्जिद, मज़ार और क़ब्रिस्तान को तोड़ने की तैयारी; 5 एकड़ ज़मीन पर नज़र
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दिल्ली में 400 साल पुरानी मस्जिद, मज़ार और क़ब्रिस्तान को तोड़ने की तैयारी; 5 एकड़ ज़मीन पर नज़र

Delhi Masjid: राजधानी दिल्ली के धौला कुआं में मौजूद 400 साल पुरानी मस्जिद, मजार और कब्रिस्तान को तोड़ने की तैयारी की जा रही है. कहा जाता है कि यह मस्जिद उस समय की है, जब मुग़ल हिंदुस्तान में आए थे.

दिल्ली में 400 साल पुरानी मस्जिद, मज़ार और क़ब्रिस्तान को तोड़ने की तैयारी; 5 एकड़ ज़मीन पर नज़र

Bulldozers Action On Mosque: दिल्ली में काफी समय से मस्जिद, मजार और दरगाहों पर बुलडोजर की कार्रवाई देखने को मिल रही है. चाहें वो बंगाली मार्केट की मस्जिद की दीवार हो या फिर आरटीओ पर मौजूद मस्जिद या फिर निजामुद्दीन में मौजूद 400 साल से ज्यादा पुराने बाबा भूरे शाह का मजार, इन जगहों पर बुलडोजर की कार्रवाई देखने को मिली है. अब धौला कुआं में मौजूद 400 साल पुरानी मस्जिद, मजार और कब्रिस्तान को तोड़ने की तैयारी की जा रही है. कहा जाता है कि यह मस्जिद उस समय की है, जब मुग़ल हिंदुस्तान में आए थे. माना जाता है कि मुगलों ने हिंदुस्तान पर 400 साल से ज्यादा समय तक राज किया.

 

ज़मीन पर DDA की नज़र
400 साल से ज्यादा मुगलों के राज करने के बाद, उसके बाद अंग्रेजी हुकूमत आने के बाद से हिंदुस्तान के आजाद होने तक 500 साल से ज्यादा का वक्त हो चुका है, जबकि इस मजार, मस्जिद और कब्रिस्तान की पांच बीघा आठ बिस्सा जमीन के 1908 के जमाबंदी के कागजात भी मौजूद हैं. अब ऐसे में सवाल यह खड़ा होता है कि किस आधार पर DDD इस जमीन को अपने कब्जे में लेना चाहती है जबकि यह पूरी जमीन वक्फ बोर्ड के अंदर आती है, जिसका 1976 का गैजेट भी सरकारी दस्तावेज के तौर पर मौजूद है. 

इलाक़े में सनसनी 
दरअसल यह विवाद उस वक्त शुरू हुआ, जब कुछ दिन पहले दिल्ली की धार्मिक कमेटी के पास यह पूरा मामला पहुंचा. कमेटी ने एक तरफा बात सुनकर इस पूरे इलाके को जिसमें मस्जिद, मजार और कब्रिस्तान मौजूद है, उसको तोड़ने का फरमान जारी कर दिया. हालांकि लिखित रूप में कोई फरमान जारी नहीं किया गया है. जिसके चलते इलाके में सनसनी फैल गई. उसके बाद मस्जिद कमेटी और वक्फ बोर्ड ने एक एप्लीकेशन तैयार की जिसमें यह कहा गया कि हमारा पक्ष भी सुना जाए.

 

मस्जिद कमेटी ने लिखी एप्लिकेशन
मस्जिद कमेटी और वक्फ बोर्ड की तरफ से वकील रईस अहमद ने एक एप्लिकेशन लिखकर दिल्ली के उपराज्यपाल, मुख्यमंत्री और DDA समेत कई लोगों को अपना पक्ष रखने के लिए कहा है. वहीं, इस पूरे मामले पर मस्जिद कमेटी का कहना है कि हमारे पास 1908 की जमाबंदी यानी सरकारी दस्तावेज मौजूद हैं, चाहे वह कब्रिस्तान की बात हो, मस्जिद की बात हो या फिर मजार की बात हो. इन तीनों चीजों का जो टोटल एरिया है वह 5 बीघा आठ बिस्सा है जबकि DDA लगातार हमारी ही जमीन पर कब्जा कर रही है.

Report: Mohd Mubashshir

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