Waqf Board Act: वक्फ बोर्ड एक्ट में 40 से ज्यादा संशोधन किए जा सकते हैं. इस बिल का "इंडिया" गठबंधन के सहयोगी पार्टियों ने खुलकर विरोध किया है. लेकिन कांग्रेस ने इस बिल अब तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है.
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Waqf Board Act: वक्फ बोर्ड एक्ट में 40 से ज्यादा संशोधन किए जा सकते हैं. इसको लेकर के मोदी कैबिनेट 5 अगस्त को संसद में बिल पेश कर सकती है. इसको लेकर सियासी बयाबाजी भी तेज हो गई है. इस बिल का "इंडिया" गठबंधन के सहयोगी पार्टियों ने खुलकर विरोध किया है.
मार्क्सवादी कम्युनिस्ट पार्टी (माकपा) ने वक्फ बोर्ड के कामों का समर्थन करते हुए कहा कि वक्फ बोर्ड कई शिक्षण संस्थान और अनाथालय चलाते हैं. साथ ही लालू प्रसाद का पार्टी राष्ट्रीय जनता दल (RJD) भी इस पर अपनी राय रख चुका है. RJD ने अपने बयान में कहा कि संसद से कोई ऐसा विचार कोई ऐसा संवाद न हो जिससे समाज में बंटवारा हो. लेकिन इन संशोधनों पर कांग्रेस पार्टी की तरफ से कोई प्रतिक्रिया नहीं है. कांग्रेस फिलहाल चुप है.
वोटिंग के जरिए हुई थी सदन में बिल पेश
दरअसल, 8 दिसंबर 2023 को वक्फ बोर्ड एक्ट 1995 को निरस्त करने का प्राइवेट बिल उत्तर प्रदेश से भाजपा सांसद हरनाथ सिंह ने राज्यसभा में पेश किया गया था. इसके बाद राज्यसभा में इस बिल पर काफी विवाद हुआ था. ऐसे में सदन में बिल पेश करने के लिए भी वोटिंग कराई गई. तब बिल को पेश करने के सपोर्ट में 53 और विरोध में 32 सदस्यों ने वोट डाले.
भाजपा ने सांसद सदन में क्या कहा था?
यह बिल पेश करने की इजाजत मांगते हुए भाजपा नेता ने कहा था कि 'वक्फ बोर्ड एक्ट 1995' समाज में द्वेष और नफरत पैदा करता है. इसके साथ ही सांसद ने सदन से "देश हित में" वक्फ बोर्ड एक्ट 1995 को निरस्त करने के वाले बिल को पुनरस्थापित करने की इजाजत मांगी थी.
कांग्रेस-माकपा ने बिल किया था विरोध
हालांकि, राज्यसभा के कई सांसद इस प्राइवेट बिल के खिलाफ थे. वहीं, कांग्रेस के सीनियर नेता व सांसद जयराम रमेश ने वोट में विभाजन की मांग की थी. साथ ही माकपा के इलामारम करीम ने भी इस बिल का विरोध किया था. इस दौरान उन्होंने वक्फ बोर्ड का सपोर्ट करते हुए कहा था कि वक्फ बोर्ड कई शिक्षण संस्थान और अनाथालय संचालित करता है. उन्होंने कहा, "यह एक काफी संवेदनशील विषय है और यह समाज के अलग-अलग कम्युनिटी के बीच नफरत और बंटवारा पैदा करेगा, इसलिए इस बिल को सदन में पेश करने की इजाजत नहीं दी जानी चाहिए."
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सांसद मनोज झा ने बिल किया विरोध
वहीं, अब राजद नेता व राज्यसभा सांसद मनोज झा ने इस बिल का विरोध करते हुए कहा कि संसद की ह जिम्मेदारी है कि संसद से कोई ऐसा विचार कोई ऐसा संवाद न हो जिससे समाज में बंटवारा हो.
अब सरकार ऑफिशियली एक अलग बिल संसद में पेश कर सकती है. जानकारी के मुताबिक, "बीते शुक्रवार को कैबिनेट ने वक्फ एक्ट में 40 से ज्यादा संशोधनों पर चर्चा की है, जिसमें वक्फ बोर्ड के अधिकार क्षेत्र की जांच करने वाले कई संशोधन हैं. केंद्र सरकार वक्फ बोर्ड के 'असीमित' अधिकारों पर लगाम लगाना चाहती है." माना जा रहा है कि केंद्र बोर्ड के अधिकारों एवं प्रावधानों को कंट्रोल करना चाहती है.