असम की तीन मस्जिद समितियों ने फैसला लिया है कि वह उन लोगों को मस्जिद के कब्रिस्तान में दफनाने की इजाजत नहीं देंगे, जो लोग नशीली दवाओं का इस्तेमाल करते हैं और ऊंची ब्याज दरों में लोगों को पैसा उधार देते हैं.
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असम के जिला करीमगंज में मौजू कम से कम तीन मस्जिद कमेटियों ने बड़ा फैसला लिया है. इस फैसले के मुताबिक मस्जिद कमेटियों ने मस्जिद के कब्रिस्तान में उन लोगों को दफनाने की इजाजत नहीं देने का फैसला किया है, जो नशीली दवाओं के इस्तेमाल से मर गए हैं. मस्जिद ने उन लोगों को भी कब्रिस्तान में दफनाने की इजाजत नहीं दी है, जो पैसे उधार लेने वालों से ज्यादा ब्याज दर वसूलते हैं.
रिश्तेदारों पर भी होगी कार्रवाई
जिला करीमगंज में मैजडीही इलाके की तीन मस्जिद समितियां नशीली दवाओं के इस्तेमाल और सूदखोरी के खतरों से लड़ने के लिए कम्युनिटी के समर्पण को प्रदर्शित करते हुए आपसी रजामंदी से इस नतीजे पर पहुंचीं हैं. मस्जिद समिति के एक अफसर ने मंगलवार को कहा कि इसके अलावा, यह फैसला किया गया है कि इन गैरकानूनी कामों में शामिल लोगों के रिश्तेदारों को भी मैजडीही कब्रिस्तान में दफनाने की इजाजत नहीं दी जाएगी.
सभी लोगों ने किया सपोर्ट
मैज़डीही कब्रिस्तान समिति की तरफ से बुलाई गई मीटिंग में फैसलों की तस्तीक की गई. हेरोइन, याबा गोलियां और कैनाबिस की बिक्री और इस्तेमाल उन नशीली चीजों के उदाहरण हैं जो बैन हैं. यही नियम उन गैरकानूनी साहूकारों पर भी लागू होती हैं, जो ऊँची ब्याज दरें वसूलते हैं. इन जुर्म को करने वाले लोगों के सामाजिक बहिष्कार का भी सब लोगों ने सपोर्ट किया.
इसलिए लिया फैसला
बताया जाता है कि असम में बड़ी तादाद में मुस्लिम नौजवान नशीली दवाओं का इस्तेमाल करते हैं. कुछ लोग ऐसे भी हैं, जो ऊंची ब्याज दरों पर लोगों को पैसे उधार देते हैं. ऐसे में मस्जिद समितियों ने यह फैसला इसलिए लिया है, ताकि इन दोनों कामों में मुलव्विस लोगों को सबक सिखाया जा सके.
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