चीन के डिक्टेटर मॉडल के खिलाफ क्या कर सकते हैं भारत-अमेरिका, US के सासंद ने बताया

सांसद कृष्णमूर्ति ‘स्ट्रैटजिक काम्पिटिशन बिटविन यूनाइटेड स्टेट्स एंड चाइनीज कम्युनिस्ट पार्टी (सीसीपी)’ पर प्रतिनिधि सभा में एक शक्तिशाली समिति के सदस्य हैं. उनका यह बयान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की इस माह अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन के आमंत्रण पर हो रही अमेरिका यात्रा से पहले आया है.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Jun 7, 2023, 01:13 PM IST
  • भारतीय मूल के अमेरिकी सांसद का बयान.
  • बताया, भारत और अमेरिका क्या कर सकते हैं.
चीन के डिक्टेटर मॉडल के खिलाफ क्या कर सकते हैं भारत-अमेरिका, US के सासंद ने बताया

वाशिंगटन. भारतीय मूल के अमेरिकी सांसद राजा कृष्णमूर्ति ने कहा कि भारत और अमेरिका को अपनी ताकत का लाभ उठाते हुए चीन के अधिनायकवादी मॉडल के खिलाफ एक व्यवहार्य विकल्प पेश करना चहिए. सांसद कृष्णमूर्ति ‘स्ट्रैटजिक काम्पिटिशन बिटविन यूनाइटेड स्टेट्स एंड चाइनीज कम्युनिस्ट पार्टी (सीसीपी)’ पर प्रतिनिधि सभा में एक शक्तिशाली समिति के सदस्य हैं. उनका यह बयान प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की इस माह अमेरिका के राष्ट्रपति जो बाइडन के आमंत्रण पर हो रही अमेरिका यात्रा से पहले आया है.

मोदी की यात्रा पर क्या बोले कृष्णमूर्ति
कृष्णमूर्ति ने कहा, ‘मेरा मानना है कि यात्रा (मोदी) भारत और अमेरिका के संबंधों की ताकत को प्रदर्शित करती है और मुझे यह इस वक्त राजनीति से ऊपर दिखाई देती है. हमें इसे मजबूत करना है, प्रगाढ़ करना है और यह सुनिश्चित करना है कि हम इसे नयी ऊंचाइयों पर ले जाएं.’ 

उन्होंने कहा, ‘हमें यह सुनिश्चित करना है कि हम अपनी ताकत का इस्तेमाल यह स्पष्ट करने में करें कि चीन की कम्युनिस्ट पार्टी दुनिया के सामने एक अधिनायकवादी तानाशाही मॉडल पेश कर रही है लेकिन उसके सामने एक व्यवहार्य विकल्प है. लोकतंत्र, मानवाधिकारों के प्रति प्रतिबद्धता ,बहुलवाद के लिए प्रतिबद्धता बेहद जरूरी है.’

‘स्ट्रैटजिक काम्पिटिशन बिटवीन यूनाइटेड स्टेट्स एंड चाइनीज कम्युनिस्ट पार्टी (सीसीपी)’ ने ताइवान की प्रतिरोधक क्षमता को बढ़ाने तथा भारत को शामिल करने सहित नाटो प्लस को मजबूत करने के लिए हाल में एक नीति प्रस्ताव को अंगीकार किया था. ‘नाटो प्लस’ वर्तमान में ‘नाटो प्लस 5’ है और एक प्रकार की सुरक्षा व्यवस्था है जो उत्तर अटलांटिक संधि संगठन (नाटो) तथा पांच सहयोगी देशों- ऑस्ट्रेलिया, न्यूजीलैंड,जापान,इजराइल और दक्षिण कोरिया को साथ लाता है. भारत को इसमें शामिल करने से इन देशों के बीच खुफिया सूचनाएं साझा करना आसान होगा तथा भारत बिना देरी के आधुनिक सैन्य तकनीक तक पहुंच बना सकेगा. 

कृष्णमूर्ति (49)ने एक प्रश्न के उत्तर में कहा, ‘मुझे लगता है कि हमें चर्चा करनी होगी कि हम हिंद-प्रशांत क्षेत्र के भीतर सुरक्षा व्यवस्था को कैसे मजबूत करते हैं. हम अपनी ताकत का लाभ कैसे उठाते हैं? हम यह कैसे सुनिश्चित कर सकते हैं कि उस क्षेत्र में हम एक अंतरराष्ट्रीय नियम-आधारित व्यवस्था बनाए रखने में सक्षम हैं?’ वहीं, सिलिकॉन वैली में भारतीय-अमेरिकी नेता योगी चुघ ने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी की यात्रा को लेकर अमेरिकियों के बीच काफी उत्साह है तथा भारतीय अमेरिकी द्विपक्षीय संबंधों को मजबूत बनाने में अहम भूमिका निभा सकते हैं.

सांसद बोले-पिता बहुत खुश
उन्होंने कहा, ‘खूब उत्साह है, तकनीक हो, चाहे समुदाय हो या भारत को अमेरिका में मिल रहे सम्मान की बात हो. तो मुझे लगता है कि खूब उत्साह है. मेरे पिता 90 वर्ष के हैं और इस बात से उत्साहित हैं कि प्रधानमंत्री अमेरिका आ रहे हैं.

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