अगले साल तक चल सकता है रूस-यूक्रेन युद्ध, जानिए कितनी बदल जाएगी दुनिया

संभावित परिणाम एक विवादित और भारी सशस्त्र सीमा रेखा के साथ एक असहज संघर्ष विराम होगा : न तो शांति और न ही युद्ध, कोई विजेता या हारने वाला, कोई वास्तविक वार्ता नहीं और किसी भी समझौते में कोई विश्वास नहीं.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Feb 19, 2023, 06:22 AM IST
  • जानिए कितना खतरनाक होगा युद्द
    इस रिपोर्ट में हुआ खुलासा
अगले साल तक चल सकता है रूस-यूक्रेन युद्ध, जानिए कितनी बदल जाएगी दुनिया

नई दिल्लीः यूक्रेन युद्ध के आर्थिक परिणाम लंबे समय तक रहेंगे और वैश्वीकरण को बाधित करेंगे. यह बात जीआईएस की रिपोर्टों में कही गई.जर्मनी की फेडरल इंटेलिजेंस सर्विस के पूर्व उपाध्यक्ष रुडोल्फ जी. एडम ने जीआईएस रिपोर्ट में लिखा है कि लड़ाकों के बीच असंगत युद्ध के लक्ष्यों के साथ, संघर्ष 2024 तक खिंचेगा और वैश्विक अर्थव्यवस्था और लंबे समय से चली आ रही सुरक्षा व्यवस्था को और अधिक नुकसान पहुंचाएगा.

और अधिक विनाशकारी होगा युद्ध
एडम ने कहा कि यूक्रेन के खिलाफ रूस का युद्ध लंबा, क्रूर, विनाशकारी और थकाऊ होगा. यह स्थायी शांति की वापसी की बहुत कम संभावना प्रदान करता है. संभावित परिणाम एक विवादित और भारी सशस्त्र सीमा रेखा के साथ एक असहज संघर्ष विराम होगा : न तो शांति और न ही युद्ध, कोई विजेता या हारने वाला, कोई वास्तविक वार्ता नहीं और किसी भी समझौते में कोई विश्वास नहीं. स्थिरता को मजबूत प्रतिरोध से लाना होगा.

दुनिया में होगा आर्थिक संकट
यूरोप के बाहर, यूक्रेन युद्ध के सबसे बड़े प्रभाव आर्थिक हैं. इंटरनेशनल क्राइसिस ग्रुप ने एक रिपोर्ट में कहा कि आक्रमण और प्रतिबंधों की घोषणा से वित्तीय झटके लगने शुरू हो गए. कोविड-19 ने वित्तीय स्थति को पहले ही हिला दिया था. खाद्य और ईंधन वस्तुओं की कीमतों में वृद्धि हुई, जिससे जीवन यापन की लागत का संकट पैदा हो गया.

हालांकि उसके बाद से कीमतों में कमी आई है, मुद्रास्फीति अनियंत्रित बनी हुई है, जिससे कर्ज की समस्या बढ़ रही है. महामारी और आर्थिक संकट कई पारस्परिक रूप से मजबूत करने वाले खतरों में से दो हैं, विशेष रूप से जलवायु परिवर्तन और खाद्य असुरक्षा भी शामिल हैं, जो कमजोर देशों को घेर सकते हैं और अशांति को बढ़ावा दे सकते हैं. इस वर्ष की सूची में, पाकिस्तान एक प्रमुख उदाहरण है.

आईएमएफ द्वारा संकलित आंकड़ों के अनुसार, नवंबर 2022 के अंत तक भारत दुनिया का छठा सबसे बड़ा विदेशी मुद्रा भंडार धारक था.रूसी उप प्रधानमंत्री अलेक्सांद्र नोवाक ने खुलासा किया है है रूस इस साल अपने तेल और पेट्रोलियम उत्पादों के निर्यात को 'मित्र' देशों में स्थानांतरित करने का इरादा रखता है, जिससे विदेशों में कुल आपूर्ति में उनकी हिस्सेदारी 75-80 फीसदी तक बढ़ जाती है.

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