नई दिल्ली: Why Protest in Uganda: युगांडा दुनिया के सबसे गरीब देशों में से एक है. यहां की करीब 75% आबादी गरीबी रेखा से नीचे आती है. इस देश की एक तिहाई आबादी ऐसी है, जो दिन के मात्र 167 रुपये ही कमा पाती है. बहरहाल, इन दिनों युगांडा चर्चा में है. यहां पर बीते 4 महीने से लोग सड़कों पर उतरे हुए हैं. ये सरकार के खिलाफ लोगों की बगावत मानी जा रही है. लोगों को डर है कि कहीं उनके आंदोलन को कुचलने के लिए तानाशाह ईदी अमीन के दौर जैसा कत्लेआम न शुरू हो जाए.
युगांडा में क्यों हो रहे प्रदर्शन?
युगांडा में मार्च से ही आक्रमक आंदोलन जारी है. दरअसल, सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म्स पर ये दावा किया गया कि सरकार ने भ्रष्टाचार किया है. पैसों का बड़े स्तर पर दुरुपयोग हुआ है. इस भ्रष्टाचार में युगांडा पार्लियामेंट की स्पीकर अनीता एनेट का नाम सबसे ऊपर आ रहा है. उन पर आरोप है कि उन्होंने अपने पद की ताकत के चलते अपने रिश्तेदारों को फायदा पहुंचाया और लग्जरी सुविधाओं का आनंद लिया. अमेरिका और ब्रिटेन समेत कई देशों ने युगांडा पार्लियामेंट की स्पीकर अनीता एनेट समेत तीन पूर्व व वर्तमान मंत्रियों और कई अफसरों पर बैन लगा दिया. लेकिन स्पीकर एनेट ने इस्तीफा नहीं दिया. सरकार ने स्पीकर के खिलाफ जांच करने के आदेश दिए हैं.
केन्या से कैसे प्रति है युगांडा का प्रदर्शन?
BBC की एक रिपोर्ट में कहा गया है कि युगांडा में होने वाला प्रदर्शन पड़ोसी देश केन्या से भी प्रेरित है. केन्या के राष्ट्रपति विलियम रूटो के खिलाफ लोगों ने टैक्स वृद्धि को लेकर बड़ा आंदोलन किया था. तब प्रदर्शनकारियों पर कई तरह की ज्यादतियां हुईं, उनके मूल अधिकार छीनने के भी प्रयास हुए. लेकिन कोर्ट से सरकार को झटका लगा. मजबूरन सरकार ने बीते महीने टैक्स वृद्धि का आदेश वापस ले लिया. इसके बाद युगांडा के प्रदर्शनकारियों के हौसले बुलंद हुए, उन्होंने प्रोटेस्ट और तेज कर दिया.
38 साल की सत्ता विरोधी लहर उफान पर
जैसे केन्या में राष्ट्रपति के खिलाफ आंदोलन हुआ, ठीक वैसे ही युगांडा के राष्ट्रपति योवेरी मुसेवेनी की मुखालिफत हो रही है. मुसेवेनी साल 1986 से युगांडा की सत्ता पर कब्जा जमाए हुए हैं. उनके खिलाफ लोगों का गुस्सा बढ़ गया है, बीते 38 साल से एक ही शासन को देखते हुए जनता तंग हो गई है. लिहाजा, जितने सत्ता विरोधी लोग थे, वे सब इस आंदोलन में उतर आए हैं. राष्ट्रपति मुसेवेनी ने कहा आंदोलनकारियों से कहा है कि वे आग से खेल रहे हैं.
लोगों को क्यों याद आया तानाशाह ईदी अमीन का दौर?
समाचार एजेंसी AFP को प्रदर्शकारियों ने बताया कि हम भ्रष्टाचार से तंग आ चुके हैं. विरोध प्रदर्शन के नेताओं को हिरासत में लिया जा रहा है. इनमें टेलीविजन और रेडियो प्रजेंटर फैज़ा सलीमा के आलाव जॉर्ज विक्टर ओटीनो, कैनेडी नद्यामुहाकी और अलोइकिन स्तुति ओपोलोजे को भी गिरफ्तार कर लिया गया है. इसी बीच लोगों को तानाशाह ईदी अमीन का दौर याद आ गया है. ईदी अमीन के शासन में 25 जनवरी, 1971 को युगांडा में करीब 5 लाख से अधिक लोगों की हत्या हुई. लोगों को ये भी डर है कि कहीं ये शासन भी वैसा ही रास्ता न अपना लें.
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