हमारे पैरों के 4800 किमी नीचे घूम रही पृथ्वी की इनर कोर, नए शोध में पता चली रफ्तार

शोध में दावा है कि पृथ्वी की अंदरूनी सहत यानी इनर कोर तेजी से घूम रही है. पृथ्वी की इस इनर कोर की गति हमारे पैरों के करीब 3000 मील यानी करीब 4800 किलोमीटर नीचे हो रही है. 

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Jun 11, 2022, 12:00 PM IST
  • हर 6 साल में एक मील आगे पीछे होती है इनर कोर
  • अभी तक माना जाता था कि कोर सतह से तेज घूमती है
हमारे पैरों के 4800 किमी नीचे घूम रही पृथ्वी की इनर कोर, नए शोध में पता चली रफ्तार

लंदन: नए शोध में पृथ्वी के बारे में चौंकाने वाली जानकारियां सामने आई हैं. दावा है कि पृथ्वी की अंदरूनी सहत यानी इनर कोर (आंतरिक कोर) तेजी से घूम रही है. यह छह साल में करीब एक मील (1.6 किलोमीटर) दोलन करती है यानी आगे पीछे होती है. पृथ्वी की इस इनर कोर की गति हमारे पैरों के करीब 3000 मील यानी करीब 4800 किलोमीटर नीचे हो रही है. 

शोधकर्ताओं के मुताबिक पहले माना जाता था कि कोर सतह की तुलना में लगातार तेजी से घूमता है. लेकिन नए अध्ययन से पता चलता है कि यह हर छह साल में एक मील से अधिक आगे-पीछे होता है. शोधकर्ताओं के मुताबिक नए शोध का परिणाम दिनों की लंबाई में ज्ञात भिन्नताओं की व्याख्या कर सकता है. 

शोधकर्ताओं के मुताबिक वास्तव में हमारे पैरों के नीचे क्या है एक रहस्य बना हुआ है - आज भी हम अपने ग्रह के आंतरिक भाग की तुलना में शनि के वलयों के बारे में अधिक जानते हैं. पिछले 30 वर्षों में, हालांकि, पृथ्वी के आंतरिक कोर के बारे में हमारी समझ में नाटकीय रूप से विस्तार हुआ है. 

प्लूटो के बराबर आकार और सूर्य जितना गर्म
पृथ्वी का आंतरिक भाग प्लूटो के आकार का ठोस लोहे का एक गर्म, घना गोला है - और हमारे सूर्य जितना गर्म है. प्रत्यक्ष रूप से निरीक्षण करना असंभव है, जिसका अर्थ है कि शोधकर्ताओं को इसके आंदोलन और परिवर्तनों के पैटर्न, गति और कारण की व्याख्या करने के लिए अप्रत्यक्ष माप पर निर्भर रहना पड़ता है.

अमेरिकी टीम ने 1969 से 1974 तक के भूकंपीय डेटा का इस्तेमाल कोर की गति का एक कंप्यूटर मॉडल बनाने के लिए किया.

दक्षिणी कैलिफोर्निया विश्वविद्यालय के प्रमुख लेखक प्रोफेसर जॉन विडेल ने कहा, 'आंतरिक कोर स्थिर नहीं है - यह हमारे पैरों के नीचे घूम रहा है, और ऐसा लगता है कि हर छह साल में एक-दो किलोमीटर (1.25 मील) आगे-पीछे होता है.

1996 में प्रकाशित शोध यह प्रस्तावित करने वाला पहला था कि आंतरिक कोर ग्रह के बाकी हिस्सों की तुलना में तेजी से घूमता है - जिसे सुपर-रोटेशन के रूप में भी जाना जाता है - प्रति वर्ष लगभग 1 डिग्री. प्रो विडाले के बाद के निष्कर्षों ने इस विचार को पुष्ट किया कि आंतरिक कोर सुपर-रोटेट होता है, हालांकि धीमी गति से.

प्रोफेसर विडाले ने कहा, 'हमारी नवीनतम टिप्पणियों से पता चलता है कि आंतरिक कोर 1969-71 से थोड़ी धीमी गति से घूमती है और फिर 1971-74 से दूसरी दिशा में चली जाती है. 'हम यह भी नोट करते हैं कि भविष्यवाणी के अनुसार दिन की लंबाई बढ़ी और सिकुड़ गई. 'हमें यह देखकर बहुत आश्चर्य हुआ कि यह दूसरी दिशा में बढ़ रहा था.' अध्ययन साइंस एडवांस में प्रकाशित हुआ है.

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