आपका बच्चा भी करता है ये हरकतें, कहीं अकेलेपन का शिकार तो नहीं, जानें कैसे उसे बनाएं आत्मविश्वासी

Health Tips: मां-बाप अपनी नौकरी और अन्य जिम्मेदारियों के बीच बच्चों के लिए बहुत अधिक समय नहीं निकाल पाते हैं, जिससे बच्चे अक्सर अकेलापन और समर्थन की कमी महसूस करते हैं और उनकी मेंटल हेल्थ भी इससे प्रभावित होती है. जानिए उन्हें कैसे मेंटल स्ट्रांग बना सकते हैं.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Jul 1, 2022, 07:43 AM IST
  • घर का माहौल रखें सकारात्मक
  • भावनाएं व्यक्त करना सिखाएं
आपका बच्चा भी करता है ये हरकतें, कहीं अकेलेपन का शिकार तो नहीं, जानें कैसे उसे बनाएं आत्मविश्वासी

नई दिल्लीः Health Tips: छोटे बच्चों को सही व्यवहार, बोलने-सीखने और संस्कारों से जुड़ी बारीकियां सिखाने की जिम्मेदारी उनके परिवार और माता-पिता की होती है और वर्तमान में जहां लोग नौकरी और काम के लिए एक शहर-से दूसरे शहर या दूसरे देशों में जा कर बस रहे हैं, ऐसे में यह जिम्मेदारी केवल माता-पिता तक ही सीमित रह गई है.

वहीं, मां-बाप अपनी नौकरी और अन्य जिम्मेदारियों के बीच बच्चों के लिए बहुत अधिक समय नहीं निकाल पाते हैं, जिससे बच्चे अक्सर अकेलापन और समर्थन की कमी महसूस करते हैं और उनकी मेंटल हेल्थ भी इससे प्रभावित होती है.

खासकर ऐसे बच्चे, जिनके साथ घर में कोई और बच्चा ना हो या काफी छोटे हैं और जो स्कूल या ट्यूशन नहीं जाते, उनके लिए स्थिति काफी संवेदनशील बन सकती है. ऐसे में जानिए बच्चों की मदद कैसे की जा सकती है और उन्हें मेंटली स्ट्रॉन्ग बनाने के लिए क्या उपाय किए जा सकते हैं.

घर का माहौल रखें सकारात्मक
बच्चे किस माहौल में रहते हैं, यह बात उनकी मेंटल और कई बार फिजिकल हेल्थ को भी प्रभावित करती है. जब बच्चों के आसपास का माहौल नेगेटिव होगा तो बच्चों के मानसिक स्वास्थ्य पर भी इसका असर पड़ेगा. इसीलिए, जब बच्चे आसपास हों तो उनके सामने घर का माहौल शांत रखें, उनके सामने बहस और झगड़े जैसी स्थितियों से बचें और जितना हो सके बच्चे को खुश रहने में मदद करें.

बच्चों को सिखाएं भावनाएं व्यक्त करना
हो सकता है कि आपके बच्चे अपनी भावनाओं को सही तरीके से व्यक्त न कर पा रहे हों, ऐसे में अपने बच्चे को सिखाएं कि वे किस तरह अपनी बात दूसरों के सामने रख सकते हैं. जैसे, बच्चे जब गुस्से में हों तो अपनी बात कहने की बजाय हाथ-पैर पटकने और चीजें यहां-वहां फेंकने जैसे काम करते हैं. उन्हें तोड़-फोड़ करने से रोकने के प्रयास करें और उन्हें थोड़ी देर के लिए अकेला छोड़ दें. जब बच्चे शांत हो जाएं तब उनसे बात करें. बच्चों को शांत कराने के लिए प्राणायाम, टेबल टेनिस खेलने या स्वीमिंग करने जैसी एक्टिविटीज की मदद ली जा सकती है.

आत्मनिर्भर बनने की ट्रेनिंग दें
बच्चों को आत्मनिर्भर बनाना सिखाएं, उन्हें अपनी पेंसिल्स, बुक्स और खिलौने अरेंज करना सिखाएं. इसके अलावा बच्चों को ऑनलाइन क्लासेस अकेले अटेंड करना सिखाया जा सकता है, घर के छोटे-मोटे बिल और खर्चों की लिस्ट को पढ़ना और पैसे गिनने जैसे काम भी सिखाए जा सकते हैं. इससे बच्चों का आत्मविश्वास बढ़ेगा और वे इसकी मदद से अपने मन का डर भी कम कर पाएंगे.

बच्चों के मन से डर खत्म करने के लिए इन बातों का भी रखें ध्यान
- बच्चे के सोने-जागने और खेलने-कूदने का एक टाइम टेबल बनाएं. बच्चे को इस टाइम टेबल को फॉलो करना सिखाएं. इससे वह अनुशासन भी सीखेगा और बच्चा हेल्दी लाइफस्टाइल भी अपना सकेगा.
- पढ़ाई और खेल-कूद से जुड़ी नई स्किल्स सीखने में बच्चे की मदद करें. इससे बच्चे को आगे बढ़ने और जिंदगी में एक गोल सेट करने में सहायता होगी.
- बच्चों को दूसरे बच्चों के साथ घुलना-मिलना सिखाएं, उन्हें खेलने के लिए पार्क लें जाएं या किसी हॉबी क्लास में उनका नाम लिखाएं. इस तरह बच्चों को दूसरे बच्चों के साथ घुलने-मिलने का मौका मिलेगा और बच्चों की एंग्जायटी कम होने में भी मदद होगी.

(डिसक्लेमर: बच्चों के एकांत में रहने की आदत को लेकर हमने आपको शोध पर आधारित कुछ पैरेंटिंग टिप्स दिए हैं. लेकिन ऐसी कोई समस्या होने पर पहले आप डॉक्टर या मनोचिकित्सक से जरूर सलाह लें. ज़ी हिन्दुस्तान इन बातों की पुष्टि नहीं करता है.)

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