नई दिल्ली, Indra Lal Roy: आज से करीब 104 साल पहले एक ऐसा भारतीय पायलट हुआ करता था, जिसमें मात्र 19 साल की उम्र में दुश्मन की सरहद में घुसकर 9 लड़ाकू विमानों को तबाह कर डाला था. हम बात कर रहे हैं भारतीय फाइटर पायलट इंद्रलाल राय की. यह भारतीय वायु सेना के जाबाज पायलट हुआ करते थे. आज़ादी से पहले के बहादुर पायलट इंद्रलाल राय की कहानी पूरी दुनिया में मशहूर है. इंद्रलाल राय ने ब्रिटिश शासन के अधीन पहला विश्व युद्ध भी लड़ा था. आइए जानते हैं विस्तार से...
इंद्रलाल राय का जन्म कोलकाता में 2 दिसंबर 1898 के दिन हुआ था. सर्विस रिकॉर्ड की जानकारी के मुताबिक इंद्रलाल राय ने साल 1917 में रॉयल फ्लाइंग कॉर्प्स ज्वाइन कर ली थी. उस वक्त उनकी उम्र केवल 18 साल थी. लंदन के सेंट पॉल स्कूल में पढ़ने के दौरान ही इंद्रलाल राय ने उन्होंने फाॅर्स ज्वाइन कर ली थी और अचंम्भे की बात ये है कि मात्र 3 महीने के अंदर ही उन्हें प्रोमेशन मिल गया था. इसके बाद इंद्रलाल राय ने सेकेंड लेफ्टिनेंट के पद की जिम्मेदारी बखूबी निभाई.
रॉयल परिवार में हुआ जन्म
इंद्रलाल का जन्म काफी रॉयल परिवार में हुआ था. बंगाली ब्राह्मण पिता जाने-माने बैरिस्टर थे. बड़े भाई परेश लाल रॉय को भारतीय बॉक्सिंग का पितामाह भी कहा जाता है. वहीं उनके नाना देश के पहले एलोपैथिक डॉक्टरों में से एक थे. बाद में भी इस परिवार ने काफी नाम कमाया. भांजे सुब्रतो मुखर्जी भारतीय चीफ ऑफ एयर स्टॉफ बने.
जब लोगों ने मरा समझ लिया
इंद्र लाल के बारे में एक किस्सा काफी मशहूर है. एयरफोर्स ज्वाइन करने के दो महीने बाद ही उनका प्लेन क्रैश हो गया. जख्मी हालत में उन्हें अस्पताल ले जाया गया. जहां डॉक्टरों ने उन्हें मृत घोषित कर दिया. कहते हैं कि उनके शरीर को मुर्दाघर में ले जाकर बंद कर दिया गया. तभी इंद्र लाल जाग उठे और मुर्दाघर का दरवाजा खटखटाने लगे. लोग काफी डर गए. बाद में उन्हें अस्पताल ले जाया गया. जहां कुछ दिनों बाद वह पूरी तरह से सेहतमंद हो गए.
9 जहाज मार गिराए
पहले विश्व युद्ध की जानकारी के मुताबिक इंद्र लाल रॉय ने ब्रिटेन की रॉयल फ्लाइंग कॉर्प्स की तरफ से पहले विश्व युद्ध में लड़ते हुए जर्मनी वायुसेना का खात्मा कर दिया था. उन्होंने 14 दिन तक इस इस विश्व युद्ध में हिस्सा लिया. और करीब 170 उड़ाने भरी थीं. इस युद्ध में बहादुर पायलट इंद्र लाल रॉय ने 9 फाइटर प्लेन को मार गिराया था. कहते हैं कि अंतिम दिन लड़ते हुए कई दुश्मन के जहाजों ने उन्हें घेर लिया था. लड़ाकू विमानों की डॉग फाइट में वह शहीद हो गए. 22 जुलाई 1918 को उन्होंने वीर गति पायी. इस वीरता के लिए उन्हें डिस्टिंगुइश्ड फ्लाइंग क्रॉस अवॉर्ड से सम्मानित किया गया था. इसके साथ ही इंद्र लाल रॉय यह अवार्ड पाने वाले पहले भारतीय बन गए थे.
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