चाय पीने वालों को FSSAI का अलर्ट, हो सकती है ये गंभीर बीमारी

FSSAI को पता चला है कि खाने-पीने की चीजें बेचने और बनाने वाले लोग इसमें काफी मात्रा में रोडामाइन बी और कार्मोइसिन जैसे कैंसर फैलाने वाले फूड कलर्स का इस्तेमाल करते हैं.   

Written by - Shruti Kaul | Last Updated : Jul 10, 2024, 05:44 PM IST
  • कैंसर का कारण बन सकती है चाय
  • चाय को लेकर FSSAI का एक्शन
चाय पीने वालों को FSSAI का अलर्ट, हो सकती है ये गंभीर बीमारी

नई दिल्ली: भारत में इन दिनों बरसात का मौसम चल रहा है. इस समय लोग बारिश के बीच चाय की चुस्कियां लेना पसंद लेना पसंद करते हैं. अगर आप भी टी लवर हैं और दिनभर में 3-4 कप चाय ऐसे ही गटक लेते हैं तो ये आपके लिए कैंसर का कारण बन सकता है. बता दें कि गोभी मंचूरियन, कबाब, कॉटन कैंडी और गोलगप्पे के बाद अब आपकी फेवरेट चाय भी फूड सेफ्टी एंड स्टैंडर्ड अथॉरिटी ऑफ इंडिया ( FSSAI) की जांच के दायरे में आ चुकी है. 

चाय पत्ती में है हानिकारक केमिकल 
फूड सेफ्टी ऑफिसर्स ने चाय की पत्तियों और चूर्ण में प्रोसेसिंग के दौरान बड़ी मात्रा में रंगों और कीटनाशकों के इस्तेमाल को पाया है. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक FSSAI को पता चला है कि खाने-पीने की चीजें बेचने और बनाने वाले लोग इसमें काफी मात्रा में रोडामाइन बी और कार्मोइसिन जैसे कैंसर फैलाने वाले फूड कलर्स का इस्तेमाल करते हैं. वहीं चाय में काफी मात्रा में कीटनाशकों और फर्टिलाइजर का इस्तेमाल होता है. इसको लेकर कर्नाटक स्वास्थय मंत्रालय जल्द ही ज्यादा मात्रा में कीटनाशकों का इस्तेमाल करने वाले चाय बागानों पर कार्रवाई करने वाली है.  

एक्शन में आई कर्नाटक सरकार 
मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक कर्नाटक स्वास्थय मंत्रालय ने उत्तर कर्नाटक के उन कई जिलों से 48 सैंपल इकट्ठा किए हैं, जहां चाय का कसंप्शन काफी मात्रा में होता है. गादग, धारवड़, कोप्पल, बल्लारी, हुबली, बागलकोट और बीदर जैसे जिलों में पुलिस ने पाया है कि यहां चाय में काफी मात्रा में कीटनाशकों का इस्तेमाल किया जा रहा है. 

कैंसर का कारण बन सकती है चाय 
फूड रेगुलेटरी अथॉरिटीज ने पाया कि चाय प्रोसेसिंग के दौरान उसमें जरूरत से ज्यादा मात्रा में कीटनाशकों का इस्तेमाल किया जाता है, जो बाद में कैंसर का खतरा खड़ा कर सकते हैं. इसको लेकर एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि चाय उत्पादक बड़ी मात्रा में चाय में काफी मात्रा में कीटनाशकों का इस्तेमाल करते हुए पाए गए हैं. वहीं लैब में 35-40 से भी ज्यादा कंपाउंड या केमिकल का विश्लेषण किया जाएगा. 

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