नई दिल्ली: वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने देश की अर्थव्यवस्था पर कहा है कि यह आगे की ओर बढ़ रही है. इसके अलावा उन्होंने कमजोर होते रुपये पर कहा है कि भारत का रुपया हर एक मुद्रा के खिलाफ मजबूत है.
वित्त मंत्री ने विपक्ष को दिया जवाब
वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने सोमवार को लोकसभा में कुछ विपक्षी सदस्यों को आड़े हाथ लेते हुए कहा कि जब देश की अर्थव्यवस्था बढ़ रही है तो उस पर जलन नहीं करना चाहिए और मजाक नहीं बनाना चाहिए, बल्कि गर्व करना चाहिए. उन्होंने सदन में प्रश्नकाल के दौरान यह भी कहा कि ‘‘2014 से पहले सिर्फ रुपया आईसीयू में नहीं था, बल्कि पूरी अर्थव्यवस्था ही आईसीयू में थी."
2014 में ICU में थी अर्थव्यवस्था
सदन में प्रश्नकाल के दौरान यह भी कहा कि "2014 से पहले सिर्फ रुपया आईसीयू में नहीं था, बल्कि पूरी अर्थव्यवस्था ही आईसीयू में थी." कांग्रेस सांसद ए. रेवंत रेड्डी ने पूरक प्रश्न पूछते हुए डॉलर के मुकाबले रुपये की कीमत में गिरावट के संदर्भ में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के एक पुराने बयान का हवाला देते हुए सवाल किया कि आज रुपया 83 के पार चला गया है तो सरकार इसे 'आईसीय' से बाहर निकालने के लिए क्या कर रही है?
और क्या कहा वित्त मंत्री ने
इस पर जवाब देते हुए सीतारमण ने कहा, "प्रधानमंत्री जी जब (गुजरात के) मुख्यमंत्री थे तो उस वक्त के उनके बयान पर सवाल पूछ रहे हैं. अगर सदस्य उस जमाने की (2014 से पहले की) अर्थव्यवस्था के दूसरे संकेतकों को याद दिलाते तो ठीक रहता. उस समय पूरी अर्थव्यवस्था ही आईसीयू में थी. सिर्फ रुपया आईसीयू में नहीं था. उस वक्त भारत की अर्थव्यवस्था को पांच सबसे कमजोर अर्थव्यवस्थाओं में रखा गया था. उस समय विदेशी मुद्रा भंडार नीचे की तरफ था."
अर्थव्यवस्था पर करना चाहिए गर्व
वित्त मंत्री ने कहा, "आज कोविड और रूस-यूक्रेन युद्ध के बावजूद हमारी अर्थव्यवस्था सबसे तेजी से बढ़ती अर्थव्यवस्थाओं में शामिल है. अगर हमारी अर्थव्यवस्था अच्छी तरह चल रही है, आगे बढ़ रही है तो लोग जलन कर रहे हैं. इस पर तो गर्व करना चाहिए. अर्थव्यवस्था अच्छी तरह चल रही है तो उसका मजाक नहीं बनाना चाहिए. (ऐसा करने पर) शर्म आनी चाहिए."
रुपये पर क्या कहा वित्त मंत्री ने
वित्त मंत्री ने ‘प्याज नहीं खाने’ से संबंधित अपनी एक पुरानी टिप्पणी और ‘डॉलर के मजबूत होने’ से संबंधित बयान पर सोशल मीडिया में मीम्स बनने का भी उल्लेख करते हुए कहा, "भारत का रुपया हर मुद्रा के खिलाफ मजबूत है. अमेरिकी फेडरल रिजर्व की नीतियों के कारण डॉलर मजबूत होता जा रहा है. रुपये के कमजोर होने पर विदेशी मुद्रा भंडार का कुछ इस्तेमाल किया गया है. अब कोई इस्तेमाल नहीं हो रहा है. अब विदेशी मुद्रा भंडार बढ़ रहा है. एफडीआई और एफआईआई आने से बढ़ रहा है."
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