Research: नींद में गाड़ी चलाने वालों की अब खैर नहीं, 24 घंटे में कितना सोए, इस सिंपल टेस्ट से लगेगा पता

Research: 'साइंस एडवांसेज जर्नल' में पब्लिश एक रिसर्च के मुताबिक अब बायोमार्कर टेस्ट से पता लगाया जा सकता है कि कोई व्यक्ति 24 घंटों से सोया है या नहीं. इसको लेकर कुछ विशेषज्ञों ने शोध किया है.

Written by - Shruti Kaul | Last Updated : Mar 10, 2024, 02:21 PM IST
  • ब्लड टेस्ट लगाएगी नींद की कमी का पता
  • नींद की कमी से होती है सड़क दुर्घटनाएं
Research: नींद में गाड़ी चलाने वालों की अब खैर नहीं, 24 घंटे में कितना सोए, इस सिंपल टेस्ट से लगेगा पता

नई दिल्ली: Research: हेल्दी रहने के लिए समय पर सोना और समय पर जागना बेहद जरूरी है. इसके लिए नियमित 7-8 की नींद लेनी चाहिए. वहीं जो लोग 6 घंटे या उससे कम की नींद लेते हैं उनमें कई तरह की शारीरिक समस्याएं होने लगती हैं. इससे डायबिटीज और हृदय रोग समेत कई तरह की गंभीर बीमारियां भी होने लगती हैं. वहीं अब इसको लेकर वैज्ञानिकों की एक टीम ने एक ब्लड टेस्ट डेवलप किया है, जिससे आसानी पता लगाया जा सकता है कि कोई व्यक्ति 24 घंटों से जाग रहा है या नहीं. 

टेस्ट से लग सकता है नींद का पता 
ऑस्ट्रेलिया में मोनाश यूनिवर्सिटी और ब्रिटेन में बर्मिंघम यूनिवर्सिटी के विशेषज्ञों के मुताबिक नींद की कमी से गंभीर बीमारी या मृत्यु का खतरा बढ़ सकता है. 'साइंस एडवांसेज जर्नल' में पब्लिश एक रिसर्च के मुताबिक अब बायोमार्कर टेस्ट से पता लगाया जा सकता है कि कोई व्यक्ति 24 घंटों से सोया है या नहीं. 

नींद की कमी से होती हैं सड़क दुर्घटनाएं 
ब्रिटेन में बर्मिंघम यूनिवर्सिटी में नींद और सर्केडियन विज्ञान के प्रोफेसर क्लेयर एंडरसन ने कहा, 'वैज्ञानिकों के लिए यह वास्तव में एक रोमांचक खोज है. इससे अपर्याप्त नींद से संबंधित स्वास्थ्य प्रबंधन में परिवर्तनकारी हो सकती है. दुनिया भर में लगभग 20 फीसदी सड़क दुर्घटनाएं नींद की कमी के कारण होती है. शोधकर्ताओं को उम्मीद है कि यह खोज नींद से वंचित ड्राइवरों की आसानी से पहचान कर सकती है, जिससे भविष्य में इस मामले का आसानी से उपचार हो सके.' 

फोरेंसिक इस्तेमाल के लिए काम आ सकता है टेस्ट 
एंडरसन ने आगे कहा, 'इस बात के पुख्ता सबूत हैं कि 5 घंटे से कम नींद असुरक्षित ड्राइविंग से जुड़ी है, लेकिन 24 घंटे जागने के बाद गाड़ी चलाना, शराब पीकर गाड़ी चलाने से कहीं ज्यादा खतरनाक है.' यह टेस्ट भविष्य में फोरेंसिक इस्तेमाल के लिए भी हो सकता है, लेकिन आगे वेरिफिकेशन की जरूरत है. यह नींद की कमी का बायोमार्कर टेस्ट 24 घंटे या उससे अधिक जागने पर आधारित है, लेकिन 18 घंटे तक जागने का पता भी लगा सकता है.'

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