नई दिल्ली: मध्यप्रदेश और मुंबई के बीच खेले गए रणजी ट्रॉफी फाइनल में कोच चंद्रकांत पंडित और कप्तान आदित्य श्रीवास्तव की अगुवाई में एमपी ने इतिहास रच दिया. 41 बार की चैंपियन मुंबई के पास तमाम स्टार खिलाड़ी थे लेकिन एमपी के युवा खिलाड़ियों के जज्बे के आगे मुंबई धराशाई हो गई.
कोच चंद्रकांत पंडित कहे जाते हैं घरेलू क्रिकेट के द्रोणाचार्य
मध्यप्रदेश के कोच चंद्रकांत पंडित को घरेलू क्रिकेट का द्रोणाचार्य कहा जाता है. उनके पास कोच के रूप में सबसे ज्यादा रणजी खिताब हैं. उन्होंने 6 सीजन में अपनी टीम को रणजी चैंपियन बनाया है. चंद्रकांत को बेहद सख्त और अनुशासित कोच माना जाता है. उन्होंने एमपी की जिम्मेदारी संभालने के बाद पूरी टीम को एकजुट किया और आदित्य श्रीवास्तव को कप्तान बनाया. चंद्रकांत पंडित स्कूल के प्रधानाचार्य की तरह कड़क कहे जाते हैं जिससे कई बार खिलाड़ियों की नाराजगी भ जगजाहिर हुई. लेकिन इस बार उन्होंने आवेश खान, वेंकटेश अय्यर और
दूर हुआ 23 साल पुराना दर्द
चंद्रकांत पंडित 23 साल पहले फाइनल में मध्य प्रदेश के कप्तान थे. उस समय नतीजे उनके पक्ष में नहीं रहे थे और टीम को हार का मुंह देखना पड़ा था. इन 23 सालों में चंद्रकांत पंडित ने मुंबई को तीन और विदर्भ को दो बार बतौर कोच चैंपियन बनाया. उन्हें दो साल पहले मध्य प्रदेश ने मुख्य कोच बनाया.
भारत के लिए खेल चुके हैं वर्ल्डकप
चंद्रकांत पंडित भारत की ओर से वर्ल्ड कप में भी उतर चुके हैं. 1987 के सेमीफाइनल में उन्हें विकेटकीपर की जगह बतौर बल्लेबाज मौका दिया गया. किरण मोरे विकेटकीपर के रूप में प्लेइंग-11 में शामिल थे.
टीम इंडिया को इंग्लैंड के हाथों सेमीफाइनल में हार का मुंह जदेखना पड़ा था. उस मैच में इंग्लैंड ने पहले खेलते हुए 6 विकेट पर 254 रन बनाए थे. जवाब में भारतीय टीम 45.3 ओवर में 219 रन बनाकर आउट हो गई थी. 5वें नंबर पर उतरे चंद्रकांत पंडित ने 30 गेंद पर 24 रन बनाए थे. 3 चौके लगाए थे. ये वर्ल्डकप भारत की मेजबानी में खेला गया था. इसी विश्वकप में चेतन शर्मा ने ऐतिहासिक हैट्रिक हासिल की थी.
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