नई दिल्लीः Ind vs SA, Rahul Dravid: भारत ने टी20 विश्व कप 2024 जीत लिया है. यह जीत कई मायनों में बेहद खास है. टी20 फॉर्मेट में चैंपियन बनी भारतीय टीम को खिताब जिताने में एक शख्स की अहम भूमिका है. वो हैं टीम के हेड कोच राहुल द्रविड़. राहुल द्रविड़ की कोचिंग में भारत ने एक साल में तीन फाइनल खेले, भले ही भारत को पिछले साल वर्ल्ड टेस्ट चैंपियनशिप और वनडे वर्ल्ड कप के फाइनल में हार मिली हो लेकिन भारत ने टी20 विश्व कप जीतकर खिताबी सूखा भी खत्म किया है.
टी20 विश्व कप जीतने के साथ ही मुख्य कोच के तौर पर भारतीय टीम के साथ राहुल द्रविड़ का कार्यकाल भी खत्म हो गया. उन्होंने आधुनिक क्रिकेट कोचिंग के भारी दबाव के बीच भी गरिमा और शालीनता से कामयाबी तक के सफर की बानगी दी.
पहली बार इतने जज्बाती दिखे द्रविड़
वैसे 11 साल बाद आईसीसी खिताब जीतने के बाद ‘द वॉल’ को भी जज्बाती होते देखा गया. जैसे ही फाइनल के ‘प्लेयर आफ द मैच’ विराट कोहली ने उन्हें ट्रॉफी सौंपी, उन्होंने इतनी जोर से आवाज निकाली मानो आखिर में अपने भीतर की तमाम भावनाओं की अभिव्यक्ति कर रहे हों. द्रविड़ को ऐसा करते देखने की कोई शायद कल्पना भी नहीं कर सकता है.
Rahul Dravid finally unleashed all his emotions.. this is a moment too! pic.twitter.com/52Pb3uHHDV
— Keh Ke Peheno (@coolfunnytshirt) June 29, 2024
यह अभिव्यक्ति उस जगह सामने आई है जहां 2007 में राहुल द्रविड़ के नेतृत्व में भारतीय टीम को बुरे सपने से गुजरना पड़ा था. दरअसल वेस्टइंडीज में आयोजित हुए 2007 के वनडे विश्व कप में भारतीय टीम के कप्तान राहुल द्रविड़ थे. तब मजबूत भारतीय टीम को आश्चर्यजनक रूप से बांग्लादेश से हार का सामना करना पड़ा था. इस बड़े उलटफेर के चलते भारतीय टीम 2007 विश्व कप के ग्रुप स्टेज से बाहर होना पड़ा था.
द्रविड़ ने दामन पर लगा दाग धोया
17 साल बाद वेस्टइंडीज की जमीन पर ही भारतीय टीम ने टी20 विश्व कप जीता है. इसके साथ ही द्रविड़ ने अपने दामन पर लगा दाग धो दिया है. जीत के बाद राहुल द्रविड़ ने कहा, एक खिलाड़ी के रूप में मैं ट्रॉफी जीतने के लिए पर्याप्त भाग्यशाली नहीं था लेकिन मैंने अपना सर्वश्रेष्ठ दिया. मैं काफी भाग्यशाली था कि मुझे एक टीम को प्रशिक्षित करने का मौका दिया गया, मैं भाग्यशाली था कि लड़कों के इस समूह ने मेरे लिए यह संभव बनाया. यह बहुत अच्छा एहसास है.'
चुपचाप काम करते रहे राहुल द्रविड़
द्रविड़ की कोचिंग की बात करें तो वह कभी सनसनीखेज हेडलाइन नहीं देते लेकिन गैरी कर्स्टन की तरह चुपचाप काम करते रहे. कोच के रूप में चुनौतियां आसान नहीं थी चूंकि उनके पास ऐसी टीम थी जिसके विश्व क्रिकेट में सबसे ज्यादा प्रशंसक हैं और जिस टीम में नामी गिरामी सितारे हैं. श्रीलंका के खिलाफ 2021 में सीमित ओवरों की एक सीरीज के बाद ही उनकी चुनौतियां शुरू हो गई थी.
शास्त्री के बाद बने थे भारत के कोच
उन्हें नवंबर में आधिकारिक तौर पर भारत का पूर्णकालिक मुख्य कोच बनाया गया. उनसे पहले रवि शास्त्री के कोच रहते भारत ने अच्छा प्रदर्शन किया था लिहाजा उन पर टीम को आगे ले जाने की बड़ी जिम्मेदारी थी. कोच के रूप में वह ऑस्ट्रेलिया दौरा तो नहीं कर सके लेकिन अलग-अलग प्रारूपों में उनकी टीम ने ऑस्ट्रेलिया को हराया.
बहुत चुनौतीपूर्ण काम करके दिखाया
मैदानी चुनौतियों के अलावा सुपरस्टार से भरे भारतीय ड्रेसिंग रूम को संभालना कम चुनौतीपूर्ण नहीं था. उन्हें पता था कि मामूली सी बात का भी बाहर तिल का ताड़ बनते देर नहीं लगेगी. द्रविड़ में लेकिन हालात और लोगों को संभालने की जबरदस्त खूबी है जिसका उन्होंने कोच के रूप में पूरा उपयोग किया. उन्होंने ऐसा माहौल बनाया जिसमें हर खिलाड़ी निखर सके.
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