नई दिल्लीः टीम इंडिया के अनुभवी बल्लेबाज चेतेश्वर पुजारा ने सोमवार को स्वीकार किया कि भारतीय टेस्ट टीम से बाहर होना एक निराशाजनक अनुभव था और इससे उन्हें आत्म-संदेह और अहं पर चोट का सामना करना पड़ा. 35 साल के इस बल्लेबाजी को वेस्टइंडीज दौरे के लिए भारतीय टेस्ट टीम में जगह नहीं मिली थी. भारत के लिए 103 टेस्ट खेलने वाले पुजारा ने राष्ट्रीय टीम के लिए पिछला टेस्ट जून में द ओवल में ऑस्ट्रेलिया के खिलाफ विश्व टेस्ट चैंपियनशिप फाइनल के रूप में खेला था जिसमें उन्होंने 14 और 27 रन बनाए थे.
जानिए क्या बोले पुजारा
पुजारा ने कहा कि पिछले कुछ वर्षों में उतार-चढ़ाव का सामना करना पड़ा. यह एक खिलाड़ी के रूप में आपकी परीक्षा लेता है क्योंकि 90 से अधिक टेस्ट खेलने के बावजूद मुझे अब भी खुद को साबित करना पड़ता है. मुझे अब भी साबित करना पड़ता है कि मैं वहां रहने का हकदार हूं. यह अलग तरह की चुनौती है. पुजारा ने कहा कि टीम से बाहर होने से वह कभी-कभी हताश हो जाते हैं.
कहा- मेरी अहं को चोट पहुंची
उन्होंने कहा, कभी-कभी आप हताश हो जाते हो, यहां तक कि अगर आपको 90 टेस्ट के बाद या पांच-छह हजार रन या मैंने जितने भी रन बनाए उनके बाद, खुद को साबित करना पड़ता है. यह आसान नहीं है. कभी-कभी यह आपके अहं के साथ खेलता है. अब भी संदेह हो जाता है- क्या आप पर्याप्त सक्षम हो.’ इंग्लिश काउंटी क्रिकेट में ससेक्स की ओर से खेल रहे पुजारा ने कहा, अगर आपको बार-बार खुद को साबित करना पड़ता है तो आप सोचते हो कि क्या ऐसा करना जरूरी है.
कहा- मुझे इस बात का यकीन
पुजारा को यकीन है कि वह अब भी भारतीय क्रिकेट को काफी कुछ दे सकते हैं. उन्होंने कहा, मैं जानता हूं कि मैंने भारतीय क्रिकेट में जिस तरह का योगदान दिया है उसे देखते हुए मुझे अभी भी बहुत योगदान देना है. कुछ समय पहले मुझे एक दिलचस्प आंकड़ा बताया गया था.
पुजारा ने कहा, मुझे बताया गया कि जब भी मैंने भारतीय टीम के लिए 70 या 80 रन से अधिक बनाए तो लगभग 80 प्रतिशत समय भारत जीता या हमने वह टेस्ट मैच नहीं गंवाया. हालांकि पुजारा ने कहा कि वह चयन को लेकर चिंतित नहीं हैं और उनका ध्यान अपने खेल को तराशने पर है.
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