कभी न भरने वाला अलौकिक घड़ा!

राजस्थान के पाली के भाटुंड गांव में शीतला माता का एक चमत्कारी मंदिर है. जहां एक चमत्‍कारी ओखली या घड़ा है जिसे साल में दो बार श्रद्धालुओं के लिए खोला जाता है और पूजा अर्चना के बाद पूरे गांव की औरतें उस घड़े में पानी उड़ेलती हैं लेकिन वो घड़ा कभी भरता नहीं है.

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Oct 25, 2020, 05:32 PM IST
    • राजस्थान के पाली के भाटुंड गांव में शीतला माता का एक चमत्कारी मंदिर है
    • यहां साल में दो बार श्रद्धालुओं के लिए खोला जाता है घड़ा
कभी न भरने वाला अलौकिक घड़ा!

नई दिल्लीः 800 साल से ज़मीन में एक अलौकिक रहस्य छुपा हुआ है. हर कोई उसको देखता है. हर कोई उसके बारे में जानता है लेकिन कोई आजतक उसके अलौकिक रहस्य के पीछे का तर्क नहीं खोज पाया. पौराणिक कथाओं में आपने कई बार सुना होगा कि ऋषि मुनियों ने सागर को सुखा दिया. उसे अपने कमंडल में भर लिया. ऐसा ही एक घड़ा है, जिसमें कितना भी पानी डाल दो, लेकिन आज तक वह नहीं भरा है. 

800 साल से जिंदा एक राक्षस
राजस्थान के पाली के भाटुंड गांव में शीतला माता का एक चमत्कारी मंदिर है. जहां एक चमत्‍कारी ओखली या घड़ा है जिसे साल में दो बार श्रद्धालुओं के लिए खोला जाता है और पूजा अर्चना के बाद पूरे गांव की औरतें उस घड़े में पानी उड़ेलती हैं लेकिन वो घड़ा कभी भरता नहीं है.

बताते हैं कि इस घड़े में अब तक 50 लाख लीटर तक पानी डाला जा चुका है लेकिन ये आज तक नहीं भरा है. 

यह है चमत्कार की कथा
800 साल से गांववाले इस चमत्कार के गवाह हैं. वैज्ञानिकों ने रिसर्च भी कर ली लेकिन वो खोज नहीं पाए कि आखिर पानी जाता कहां है. गांववालों का मानना है कि सारा पानी एक राक्षस के पेट में जाता है. मान्यता है कि 800 साल पहले गांव में बाबरा नाम का राक्षस था.

जो जब भी किसी की शादी होती तो दूल्हे को मार देता. गांव के ब्राह्मणों ने शीतला माता की पूजा की और उनसे राक्षस का वध करने का अनुरोध किया. भक्तों की पुकार सुन मां गांव में आईं और अपने घुटनों से राक्षस को दबोचकर लिया. 

देवी ने दिया राक्षस को वरदान
इसके बाद राक्षस ने शीतला माता से एक वरदान मांगा कि साल में दो बार उसे बलि दी जाये और मां ने उसे आशीर्वाद दे भी दिया लेकिन गांव ब्राह्मणों का होने की वजह से बलि चढ़ाना संभव नहीं था. तो माता ने राक्षस को बलि की जगह आटा शक्कर के साथ अन्य चीजों का सत्तू बनाकर भोजन और साल में दो बार पानी पीने का आशीर्वाद दिया. 800 साल से यही मान्यता है कि
सारा पानी राक्षस के पेट में जाता है.

सबसे हैरान करने वाली बात ये कि जैसे ही माता के चरणों में दूध का भोग लगाकर उसे उनको पिलाया जाता है घड़ा भी अपने आप भर जाता है फिर उसमें भी पानी नहीं डाला जा सकता. मंदिर के पुजारी साल में दो बार ऐसे ही घड़े में लाखों लीटर पानी डालकर फिर दूध का भोग लगाकर उसे पत्थर से ढक देते हैं. सदियों से ये परंपरा ऐसे ही चली आ रही है.

स्वच्छता की देवी का चमत्कार
हिन्दू पौराणिक कथाओं के हिसाब से शीतला माता चेचक और खसरा की देवी हैं. माता के हाथ में जो चार चीज़ें होती हैं वो चेचक को दूर करने का प्रतीक है. ये हिंदू मान्यता और वैज्ञानिक तर्क दोनों पर खरी उतरती है.

जैसे किसी रोगी को चेचक होता है तो वो अपने वस्त्र उतार देता है. उसे सूप से हवा दी जाती है. झाड़ू से उसके फोड़े फोड़ दिए जाते हैं. नीम से घाव पकता नहीं और अंत में घोड़े की लीद से घाव के निशान खत्म हो जाते हैं. 

माता देती हैं स्वच्छता की प्रेरणा
देवी का ऐसा स्वरूप जो अपने आप में एक रोग को दूर भगाने का वैज्ञानिक और आध्यात्मिक प्रतीक है. है ना ये भी अलौकिक रहस्य. माता के चमत्कार और उनका अलौकिक रहस्य जानकर आपको भी स्वच्छता के लिए शक्ति मिली होगी . हम उम्मीद करते हैं कि माता शीतला को खुश करने और उनसे आशीर्वाद पाने के लिए आप भी स्वच्छता के प्रति जागरूक होंगे. खुद भी स्वच्छ रहेंगे और समाज को भी स्वच्छ बनाएंगे.

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