नई दिल्ली: कलकत्ता हाई कोर्ट ने सोमवार को पश्चिम बंगाल में 8 जुलाई को होने वाले पंचायत चुनाव के नामांकन को बढ़ाने और मतदान स्थगित करने की बात कही. हालांकि, अदालत ने इस मामले पर अंतिम फैसला नहीं दिया है. कलकत्ता उच्च न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश टीएस शिवगणनम और न्यायमूर्ति हिरण्मय भट्टाचार्य की पीठ ने कहा कि नामांकन की अवधि बढ़ाई जानी चाहिए. अगर ऐसा किया जाता है तो मतदान की तारीख भी स्थगित करनी होगी. क्योंकि, नामांकन के लिए पांच दिनों का समय काफी कम है.
नामांकन को 16 जून तक बढ़ाने का प्रस्ताव
पश्चिम बंगाल राज्य चुनाव आयोग के वकील ने अदालत को बताया कि राज्य सरकार की मंजूरी के बिना इस पर फैसला नहीं लिया जा सकता. आयोग ने हाईकोर्ट को एक रिपोर्ट भी सौंपी, जिसमें नामांकन को 16 जून तक बढ़ाने का प्रस्ताव है. राज्य चुनाव आयोग ने नामांकन को हर दिन दो घंटे बढ़ाने का भी प्रस्ताव दिया है. आयोग ने दलील दी कि ये फैसला पिछली बार हुए नामांकन के रिकॉर्ड को देखते हुए पर्याप्त होगा. आयोग ने अदालत को ये भी बताया कि पंचायत चुनाव के लिए अभी तक लगभग 10,000 नामांकन हो चुके हैं.
खंडपीठ ने आयोग को मतदान और मतगणना के लिए केंद्रीय सश बलों की तैनाती की सलाह दी. अदालत का तर्क था कि अगर राज्य पुलिस बलों के अधिकांश कर्मियों को मतदान के लिए तैनात किया जाता है तो राज्य की नियमित सुरक्षा व्यवस्था बनाए रखने में पुलिसबलों की कमी हो सकती है.
हाईकोर्ट ने चुनाव कार्यों को लेकर दिए ये निर्देश
सुनवाई के दौरान हाईकोर्ट ने चुनाव कार्यों में राज्य सरकार के अनुबंधित कर्मचारियों और नागरिक स्वयंसेवकों को शामिल नहीं करने के निर्देश भी दिए. जस्टिस शिवगणनम ने कहा कि याद रखें स्वयंसेवक पुलिसकर्मी नहीं हैं. वो नियमित पुलिसकर्मियों को कुछ सहायता देने के लिए हैं. चुनाव आयोग एक निष्पक्ष संस्था है. लोगों को चुनाव आयोग पर भरोसा होना चाहिए. आयोग को अपने अधिकार से भलीभांति परिचित होना चाहिए. आपकी भूमिका काफी अहम है.
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