आतंकवाद को किसी धर्म से नहीं जोड़ा जाना चाहिए बोले, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह

आतंकवाद-रोधी वित्तपोषण पर ‘आतंक के लिए कोई धन नहीं’ (नो मनी फॉर टेरर) विषय पर आयोजित हुआ मंत्रिस्तरीय सम्मेलन. इसमें अमित शाह ने आतंकवाद के वित्त पोषण को आतंकवाद से विशाल खतरा बताया है. बोले, कुछ देश ऐसे भी हैं, जो आतंकवाद से लड़ने के लिए सामूहिक प्रयासों को कमजोर और नष्ट करना चाहते हैं. 

Written by - Zee Hindustan Web Team | Last Updated : Nov 18, 2022, 01:52 PM IST
  • शाह ने कहा कि आतंक को संरक्षण देना, आतंकवाद को बढ़ावा देने के बराबर है
  • आतंकवाद का वित्तपोषण दुनिया के देशों की अर्थव्यवस्था को कमजोर करता है
आतंकवाद को किसी धर्म से नहीं जोड़ा जाना चाहिए बोले, केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह

नई दिल्ली: केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने आतंकवाद के वित्त पोषण को आतंकवाद से बड़ा खतरा बताया है. राजधानी स्थित होटल ताज पैलेस में आतंकवाद-रोधी वित्तपोषण पर ‘आतंक के लिए कोई धन नहीं’ (नो मनी फॉर टेरर) विषय पर आयोजित तीसरे मंत्रिस्तरीय सम्मेलन को संबोधित करते हुए उन्होंने ये बात कही. उन्होंने शुक्रवार को कहा कि इसे किसी धर्म, राष्ट्रीयता या समूह से नहीं जोड़ा जाना चाहिए.  

बताया, आतंक रोकने के लिए क्या जरूरी
अमित शाह ने कहा कि टेरोरिस्ट को संरक्षण देना, आतंकवाद को बढ़ावा देने के बराबर है और यह दुनिया के सभी देशों की सामूहिक जिम्मेदारी है कि ऐसे तत्व तथा ऐसे देश अपने इरादों में कभी सफल न हो सकें. आतंकवादी हिंसा करने, युवाओं को कट्टरपंथ की ओर धकेलने और वित्तीय संसाधन जुटाने के लिए लगातार नए तरीके खोज रहे हैं और साइबर अपराध के उपकरणों का इस्तेमाल कर व अपनी पहचान छुपाकर कट्टरपंथ की सामग्री फैला रहे हैं. 

आतंकवाद का वित्तपोषण कितना खतरनाक
शाह ने कहा, ‘‘निस्संदेह, आतंकवाद वैश्विक शांति और सुरक्षा के लिए सबसे गंभीर खतरा है. मेरा मानना है कि आतंकवाद का वित्तपोषण आतंकवाद से भी ज्यादा खतरनाक है क्योंकि इस तरह के वित्तपोषण से आतंकवाद के 'साधन और तरीके' पोषित होते हैं. आतंकवाद का वित्तपोषण दुनिया के देशों की अर्थव्यवस्था को कमजोर करता है.’’ 

शाह ने कहा कि आतंकवाद का मुकाबला करने के लिए भारत ने सुरक्षा ढांचे के साथ-साथ कानूनी और वित्तीय प्रणालियों को मजबूत करने में महत्वपूर्ण प्रगति की है. पाकिस्तान पर परोक्ष रूप से हमला करते हुए केंद्रीय गृह मंत्री ने कहा कि पर कुछ देश ऐसे भी हैं, जो आतंकवाद से लड़ने के लिए सामूहिक प्रयासों को कमजोर और नष्ट करना चाहते हैं. कुछ देश आतंकवादियों का बचाव करते हैं और उन्हें पनाह भी देते हैं.’’ 

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