नई दिल्ली: देश के संत समाज ने सरकार से अल्पसंख्यक मंत्रालय, वक्फ बोर्ड और फिल्म सेंसर बोर्ड को खत्म करने की भी मांग की है. साथ ही बहुसंख्यक हिंदुओं की भावना का सम्मान रखने के लिए केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार को धन्यवाद कहा है. शुक्रवार को देश की राजधानी दिल्ली में दिन भर चली संतों की इस महत्वपूर्ण बैठक में चर्च की भूमिका, हिंदू धमार्चार्यों की छवि खराब करने के षड्यंत्र, धर्मांतरण, लव जिहाद, जीर्ण मंदिरों के जीर्णोद्धार सहित सनातन धर्म से जुड़े अन्य कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर भी चर्चा हुई.
अखिल भारतीय संत समिति की बैठक
अखिल भारतीय संत समिति की बैठक में अयोध्या में भव्य राम मंदिर के निर्माण , काशी विश्वनाथ कॉरिडोर, उज्जैन के महाकाल मंदिर के कॉरिडोर के साथ-साथ जम्मू कश्मीर से 370 और 35 ए को हटाकर हिंदू हितों की रक्षा करने के लिए केंद्र की नरेंद्र मोदी सरकार को धन्यवाद कहा गया है. यह समिति विश्व हिंदू परिषद,अखाड़ा परिषद, हिंदू धर्माचार्यों और हिंदू धर्म की 127 से भी अधिक संप्रदायों का प्रतिनिधित्व करती है.
बोले नवल किशोर दास
अखिल भारतीय संत समिति के राष्ट्रीय प्रवक्ता महंत नवल किशोर दास ने कहा कि संत समाज की बात मानकर मोदी सरकार ने हिंदुओं की भावना का सम्मान रखा है. हालांकि इसके साथ ही उन्होंने यह भी जोड़ा कि अभी भी सरकार को समान नागरिक संहिता, विवाह का एक समान कानून, अल्पसंख्यक मंत्रालय, वक्फ बोर्ड, फिल्म सेंसर बोर्ड के साथ ही काशी और मथुरा के मामले में काफी कुछ करने की जरूरत है.
वक्फ बोर्ड पर लगाए ये आरोप
महंत नवल किशोर दास ने वक्फ बोर्ड को खत्म करने की मांग करते हुए कहा कि रेलवे और रक्षा मंत्रालय के बाद इस देश में सबसे अधिक जमीन वक्फ बोर्ड के पास है. इसका बड़े पैमाने पर दुरुपयोग किया जा रहा है. संत समाज की सरकार से यह मांग है कि भारत सरकार अध्यादेश लाकर लीज पर दी गई जमीनों को वक्फ बोर्ड से वापस ले और इसके साथ ही वक्फ बोर्ड को हमेशा के लिए समाप्त भी कर दें. उन्होंने काशी और मथुरा में भव्य मंदिर के निर्माण के साथ ही देश में समान नागरिक संहिता भी लागू करने की मांग की.
सेंसर बोर्ड की भूमिका पर ऐतराज जाहिर करते हुए महंत नवल किशोर दास ने भी कहा कि इस तरह के सेंसर बोर्ड को पूरी तरह से खत्म कर एक सनातनी और भारतीय सेंसर बोर्ड का गठन करना चाहिए, जिसमें संस्कारवान लोगों को रखा जाना चाहिए. 'आदिपुरुष' फिल्म को भारतीय संस्कार और परंपरा का विरोधी बताते हुए उन्होंने कहा कि इस फिल्म को स्वीकार नहीं किया जाएगा, या तो सरकार इस फिल्म पर रोक लगाए या वो इस फिल्म को देश में कहीं भी चलने नहीं देंगे.
स्वामी जीतेन्द्रानंद सरस्वती की मांग
वहीं अखिल भारतीय संत समिति के राष्ट्रीय महामंत्री स्वामी जीतेन्द्रानंद सरस्वती ने अल्पसंख्यक मंत्रालय को समाप्त करने की मांग करते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट लगातार भारत सरकार से यह पूछ रहा है कि इस देश में अल्पसंख्यक कौन है, भारत सरकार इसकी परिभाषा बताए ? भारत सरकार लगातार राज्यों को पत्र लिख रही है कि अल्पसंख्यक तय करके बताइए. हमारा मानना है कि जहां अभी तक यह ही तय नहीं है कि अल्पसंख्यक कौन है तो वहां अल्पसंख्यक मंत्रालय की क्या जरूरत है.
काशी के ज्ञानवापी और कृष्ण जन्मभूमि का मुद्दा भी संतों की बैठक में उठा. स्वामी जीतेन्द्रानंद सरस्वती ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट का यह खुद का कहना है कि देर से मिला न्याय भी अन्याय की श्रेणी में ही आता है इसलिए हमारी अदालत से मांग है कि इन दोनों मामलों में एक निश्चित समय सीमा के अंदर अदालत जल्द से जल्द अपना फैसला सुनाएं.
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