बनवारीलाल पुरोहित ने पंजाब के गवर्नर पद से दिया इस्तीफा, जानें क्या रही वजह

पंजाब के गवर्नर बनवारीलाल पुरोहित ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. इसके पीछे उन्होंने अपने व्यक्तिगत कारणों का हवाला दिया है. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को लिखे अपने इस्तीफा पत्र में बनवारीलाल पुरोहित ने लिखा, 'व्यक्तिगत कारणों और अन्य प्रतिबद्धता के कारण, मैं पंजाब के गवर्नर और केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ के प्रशासक के तौर पर अपना इस्तीफा देता हूं. कृपया इसे स्वीकार करें.'

Written by - Pramit Singh | Last Updated : Feb 3, 2024, 04:32 PM IST
  • पंजाब के 29वें गवर्नर थे बनवारीलाल पुरोहित
  • मान ने लगाया था तंग करने का आरोप
बनवारीलाल पुरोहित ने पंजाब के गवर्नर पद से दिया इस्तीफा, जानें क्या रही वजह

नई दिल्लीः पंजाब के गवर्नर बनवारीलाल पुरोहित ने अपने पद से इस्तीफा दे दिया है. इसके पीछे उन्होंने अपने व्यक्तिगत कारणों का हवाला दिया है. राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू को लिखे अपने इस्तीफा पत्र में बनवारीलाल पुरोहित ने लिखा, 'व्यक्तिगत कारणों और अन्य प्रतिबद्धता के कारण, मैं पंजाब के गवर्नर और केंद्र शासित प्रदेश चंडीगढ़ के प्रशासक के तौर पर अपना इस्तीफा देता हूं. कृपया इसे स्वीकार करें.' 

पंजाब के 29वें गवर्नर थे बनवारीलाल पुरोहित
पंजाब से पहले बनवारीलाल पुरोहित 2017 से 2021 के बीच तमिलनाडु के गवर्नर रह चुके हैं. इसके अलावा 2016 से 2017 के बीच वे असम के गवर्नर भी रह चुके हैं. अगस्त 2021 में उन्होंने पंजाब के 29वें गवर्नर के रूप में शपथ ली थी. वे भारतीय जनता पार्टी की ओर से नागपुर से तीन बार सांसद रह चुके हैं. इसी सीट पर वे पहले दो बार कांग्रेस के टिकट से भी सांसद रहे हैं. 

मान ने लगाया था तंग करने का आरोप
बता दें कि पिछले कई दिनों से पंजाब सीएम भगवंत सिंह मान और राज्यपाल बनवारीलाल पुरोहित के बीच कई मामलों को लेकर मतभेद चल रहे थे. उनके खिलाफ भगवान मान सरकार सुप्रीम कोर्ट भी पहुंच गई थी. इसके अलावा दो दिन पहले ही राज्यपाल पर निशाना साधते हुए उनपर तंग करने का आरोप लगाया था. 

राज्यों का प्रमुख होता है राज्यपाल
गौरतलब है कि जिस तरह से केंद्र में राष्ट्र का प्रमुख राष्ट्रपति होता है. ठीक उसी तरह से राज्यों में राज्य का प्रमुख राज्यपाल होता है. राज्य की सभी कार्यवाहियां उसी के नाम पर की जाती हैं. राज्यपाल की नियुक्ति केंद्रीय मंत्रिमंडल की सिफारिश पर राष्ट्रपति द्वारा की जाती है. राज्यपाल मुख्यमंत्री के सलाह से कार्य करते हैं. इनका कार्यकाल 5 सालों का होता है. हालांकि, इससे पहले भी ये अपना इस्तीफा राष्ट्रपति को सौंप सकते हैं. भारतीय संविधान के अनुच्छेद 153 से 162 तक में राज्यपाल की भूमिका का वर्णन किया गया है. 

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