नई दिल्लीः नोएडा के बाद अब न्यू नोएडा को सजाने संवारने का काम शुरू हो चुका है. दादरी-नोएडा-गाजियाबाद निवेश क्षेत्र (DNGIR) यानी न्यू नोएडा के जमीन के अधिग्रहण को तीन अलग-अलग तरीकों से किया जाएगा. इसका उद्देश्य है कि अधिग्रहण के साथ-साथ इस पर विकास कार्य भी हो सके.
पांच चरणों में होगा न्यू नोएडा का विकास
न्यू नोएडा का विकास पांच चरणों में किया जाएगा. इसमें सभी की सहभागिता होगी. सरकारी एजेंसियां, प्राइवेट एजेंसियां और किसानों की सहमति के आधार पर जमीनों का अधिग्रहण किया जाएगा और फिर विकास कार्य होगा. 20911 हेक्टेयर में न्यू नोएडा का विकास कार्य होगा. इसमें अलग-अलग माध्यम से जमीनों का अधिकार किया जाएगा.
पहले मध्यम किसानों से सीधे जमीन खरीदी जाएगी. भू अधिग्रहण नीति 2011 के तहत जमीन मालिकों को उचित मुआवजा दिया जाएगा और उनसे जमीनों का अधिग्रहण किया जाएगा.
लैंड पूलिंग के जरिए भी ली जाएगी जमीन
लैंड पूलिंग के माध्यम से भी इसमें जमीन ली जाएगी. लैंड पूलिंग पॉलिसी के तहत किसानों से उनकी जमीन मांगी जाएगी. किसानों को इसके लिए आवेदन करना होगा, इसमें कम से कम 25 एकड़ का प्लॉट चाहिए. इसके साथ-साथ निजी एजेंसियों को भी भूमि अधिग्रहण करने का मौका मिलेगा. सरकार की भू अधिग्रहण पॉलिसी 2022 के तहत जमीन की खरीद के लिए निजी एजेंसी को भी मौका दिया जाएगा, हालांकि यह जमीनें वहां के औद्योगिक विकास प्राधिकरण, आवास विकास प्राधिकरण, शहरी निकाय की सीमा से बाहर होनी चाहिए.
25 प्रतिशत जमीन की खरीद पर लाइसेंस प्रदान किया जाएगा. यहां डेवलपर की ओर से 18 माह के भीतर विकास किया जा सकेगा. हालांकि इससे इसके लिए पहले से डिटेल प्रोजेक्ट रिपोर्ट देनी होगी. लाइसेंस मिलने के बाद 2 साल में तय लक्ष्य का 60 प्रतिशत जमीन अधिग्रहण करना जरूरी होगा.
75 प्रतिशत जमीनों का अधिग्रहण करने के बाद नक्शा पास कराना जरूरी होगा. इसका नक्शा यूपीसीडा करेगा. अगर 80 प्रतिशत जमीन के अधिकरण के बाद किसी प्रकार की दिक्कत आती है तो इसमें यूपीसीडा डेवलपर की मदद करेगा.
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