नई दिल्ली: Who is Kirodi Lal Meena: राजस्थान में विधानसभा चुनाव हो रहे हैं, भाजपा अपने 7 सांसदों को चुनावी मैदान में उतार चुकी है. इनमें एक नाम राज्यसभा सांसद किरोड़ी लाल मीणा का भी है, जिन्हें सवाई माधोपुर सीट से उतारा गया है. राजस्थान में इन्हें 'किरोड़ी बाबा' कहा जाता है. आज किरोड़ी लाल मीणा 72 साल के हो गए हैं. हर बार की भांति इस बार भी उनके समर्थकों को उनके मुख्यमंत्री बनने का इंतजार है.
छोटा-बड़ा हर काम बाबे के माथे
किरोड़ी लाल मीणा का जन्म दौसा के एक सामान्य किसान परिवार में हुआ था. पढ़ाई में होशियार थे, लिहाजा डॉक्डॉटर बन गए. लेकिन वे ज्यादा दिन इस पेशे में टिक नहीं पाए. डॉक्टरी छोड़ वे राजनीति में आए. 1985 में भाग्य चमका और BJP के टिकट पर दौसा की महवा सीट से जीतकर विधानसभा पहुंचे. किरोड़ी ने 1989 में पहला लोकसभा चुनाव जीता. आदिवासी समुदाय से आने वाले किरोड़ी लाल मीणा 2003 से 2008 तक वसुंधरा सरकार में कैबिनेट मंत्री रहे. दौसा और राजस्थान के मीणा बाहुल्य इलाकों में किरोड़ी लाल मीणा का सिक्का चलने लगा. पटवारी से लेकर कलेक्टर तक किसी से भी दिक्कत होती, तो लोग बाबा को याद करते.
'आप किरोड़ी जी को समझाती क्यों नहीं'
किरोड़ी लाल की वसुंधरा राजे के साथ ज्यादा दिन नहीं निभ पाई और 2008 में उन्होंने भाजपा छोड़ दी. 2013 के विधानसभा चुनावों से वे पी ए संगमा की राष्ट्रीय पिपुल्स पार्टी (NPP) में शामिल हुए. उन्होंने उस पार्टी को भी राजस्थान में 4 सीटें जीतकर दीं, जिसका नाम भी लोगों ने नहीं सुना था. गहलोत सरकार में किरोड़ी लाल मीणा ने अपनी पत्नी गोलमा देवी को मंत्री बनाया. गोलमा अक्सर कहती हैं, 'मैं तो अंगूठाछाप थी, लेकिन साब ने मुझे मंत्री बनाया.' यहां साब का तात्पर्य किरोड़ी लाल मीणा से है. हालांकि, गोलमा के मंत्री रहते हुए भी किरोड़ी मीणा गहलोत सरकार के खिलाफ धरना दिया करते थे. इस पर मुख्यमंत्री अशोक गहलोत ने एक बार गोलमा से कहा था, 'आप किरोड़ी जी को समझाती क्यों नहीं.'
'कौनसी चक्की का आटा खाते हैं'
नतीजा ये रहा कि गोलमा देवी ने गहलोत मंत्रिमंडल से इस्तीफा दे दिया. 2013 से 2018 तक भाजपा की सरकार रही, इस दौरान मीणा राजे सरकार के खिलाफ मुखर होकर बोले. हालांकि, मार्च 2018 में वह फिर से भाजपा में लौट आए और राजे के साथ एक मंच पर दिखाई दिए. इसके बाद पार्टी ने उन्हें राज्यसभा में भेजा. राज्यसभा जाने के बाद भी मीणा राजस्थान में ज्यादा सक्रिय रहे. वीरांगनाओं से लेकर बेरोजगारों के मुद्दे उठाते रहे. रीट परीक्षा में हुई धांधली के मुद्दे को लेकर प्रदेश की कांग्रेस सरकार को उन्होंने जमकर घेरा. राजस्थान में अक्सर मीणा के फुर्ती की चर्चा होती है. मंत्री प्रताप सिंह खाचरियावास ने एक बार पूछा था कि बाबा कौनसी चक्की का आटा खाते हैं, जो नौजवानों जैसा जोश लिए फिरते हैं.
'बाबा को गुस्सा क्यों आता है'
राजस्थान के सियासी गलियारों में अक्सर एक सवाल घूमता है कि बाबा को गुस्सा क्यों आता है. कुछ महीने पहले भाजपा के प्रदेश कार्यालय में पार्टी का एक कार्यक्रम था. किरोड़ी लाल मीणा अपने सैंकड़ों समर्थकों के साथ पार्टी कार्यालय के अंदर आ गए. नेता प्रतिपक्ष राजेंद्र राठौड़ ने पूछा कि ये सब अंदर घुसे चले आएंगे क्या? इस पर मीणा ने कहा आप रोकोगे क्या हमें? हालांकि, केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेंद्र शेखावत ने बीच-बचाव कर मामला शांत किया. किरोड़ी के समर्थकों का दावा है कि बाबा गुस्सा न करते तो अब तक मुख्यमंत्री बन चुके होते. खुद किरोड़ी लाल मीणा भी स्वीकार करते हैं कि गुस्सा उनकी कमजोरी और ताकत, दोनों है.
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