नई दिल्लीः Wayanad Landslide Updates: केरल के वायनाड में पहाड़ों से बहकर आए सैलाब ने 22 हजार की आबादी वाले 4 गांवों में तांडव मचा रखा है. इस भीषण लैंडस्लाइड में अभी तक 150 से अधिक लोग मारे जा चुके हैं. वहीं, 100 से अधिक लोगों के अभी भी लापता होने की आशंका जताई जा रही है. लैंडस्लाइड की इस घटना को हाल के दिनों में राज्य में हुए सबसे बड़े हादसे के रूप में देखा जा रहा है.
लैंडस्लाइड के पीछे की वजहें
इस लैंडस्लाइड ने केरल में साल 2018 में आई भीषण बाढ़ की जख्मों को फिर से हरा कर दिया है. साल 2018 में केरल में भीषण बाढ़ आई थी. तब 500 से ज्यादा लोगों ने अपनी जान गंवा दी थी. मौसम विभाग की ओर से जारी रिपोर्ट्स की मानें, तो सोमवार और मंगलवार की सुबह के बीच यानी 24 घंटों में 140 मिमी से अधिक बारिश हुई. यह बारिश संभावित बारिश से लगभग 5 गुना अधिक है. बहरहाल, आइए एक नजर वायनाड में हुए इस भीषण लैंडस्लाइड के पीछे की 3 वजहों पर डालते हैं.
अनुमान से ज्यादा बारिश
अनुमान से ज्यादा बारिशः पिछले कुछ दिनों से केरल में भारी बारिश हो रही है, जो कि वायनाड में आए इस भीषण लैंडस्लाइड के पीछे की मुख्य वजहों में से एक है. मौसम विभाग की ओर से जारी रिपोर्ट्स की मानें, तो वायनाड के कई इलाकों में सोमवार की सुबह से मंगलवार की सुबह तक 300 मिमी से अधिक बारिश हुई, जो अपेक्षित बारिश से करीब-करीब पांच गुना ज्यादा थी.
लैंडस्लाइड के प्रति संवेदनशील इलाका
बता दें कि केरल का वायनाड जिला राज्य में लैंडस्लाइड के प्रति संवेदनशील स्थानों में से एक है. केरल के इस इलाके में लगभग हर साल बारिश की वजह से इस तरह की घटनाएं होती रहती हैं. पश्चिमी केरल का लगभग पूरा हिस्सा तीखे ढलानों वाला पहाड़ी इलाका है. साथ ही लैंडस्लाइड के लिए बेहद संवेदनशील भी है. साल 2018 में आई भीषण बाढ़ के दौरान भी इन इलाकों में लैंडस्लाइड की घटनाएं हुई थीं.
20 डिग्री से ज्यादा है ढलान
गौरतलब है कि केरल का लगभग आधा हिस्सा पहाड़ियों और पहाड़ी क्षेत्रों से बना हुआ है. इन इलाकों की ढलान 20 डिग्री से अधिक है. लिहाजा बारिश के दौरान यहां लैंडस्लाइड का खतरा बढ़ जाता है. साल 2021 में स्प्रिंगर की ओर से प्रकाशित एक रिपोर्ट में केरल के पश्चिमी क्षेत्र के कई इलाकों को लैंडस्लाइड का हॉटस्पॉट बताया गया. इसी में वायनाड का नाम भी शामिल था.
तेजी से बढ़ती जनसंख्या
इंडियन एक्सप्रेस में छपी रिपोर्ट के मुताबिक राज्य में और इस इलाके में तेजी से बढ़ती जनसंख्या भी कई हद तक इस हादसे का जिम्मेदार है. तेजी से बढ़ती जनसंख्या ने इलाके में प्रकृति को बुरी तरह के प्रभावित किया है.
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