नई दिल्लीः केरल हाई कोर्ट ने गुरुवार को 17 वर्षीय लड़की को अपने बीमार पिता को अपने लिवर का एक हिस्सा डोनेट करने की अनुमति दे दी है. रिपोर्ट के अनुसार, हाई कोर्ट ने नाबालिग लड़की को ट्रांसप्लांटेशन ऑफ 'ह्यूमन ऑर्गन एंड टिश्यू एक्ट, 1994 और नियमों की अन्य जरूरतों के अधीन अपने पिता की ट्रांसप्लांट सर्जरी करने के लिए लिवर का हिस्सा डोनेट करने की इजाजत दी है.
डॉक्टरों ने नहीं दी थी इजाजत
रिपोर्ट के अनुसार, डॉक्टरों ने लड़की को अपने बीमार पिता को लिवर का हिस्सा दान करने की इजाजत नहीं दी थी, क्योंकि वह नाबालिग थी. इसके बाद नाबालिग लड़की देवानंद ने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया. कोर्ट ने लड़की की याचिका को स्वीकार करते हुए उसे अपने बीमार पिता को लिवर डोनेट करने की इजाजत दे दी.
जज ने की लड़की की तारीफ
एकल न्यायाधीश न्यायमूर्ति वीजी अरुण ने अपने फैसले में कहा कि यह जानकर बहुत खुशी हुई कि नाबालिग लड़की देवानंद की अथक लड़ाई आखिरकार सफल हुई. उन्होंने लड़की की दृढ़ता के लिए उसकी सराहना की और कहा कि धन्य हैं कि वे माता-पिता जिनके देवानंद जैसे बच्चे हैं.
कोर्ट ने अपने आदेश में कहा कि अधिनियम और नियमों की अन्य आवश्यकताओं के अधीन याचिकाकर्ता को अपने पिता की प्रत्यारोपण सर्जरी करने के लिए उसके लिवर के एक हिस्से को दान करने की अनुमति देने के लिए रिट याचिका का निपटारा किया जाता है.
लिवर दान करने में नहीं है कोई बाधा
याचिकाकर्ता के पिता की हालत गंभीर है और डॉक्टरों ने उनकी जान बचाने के लिए लिवर ट्रांसप्लांट की सलाह दी थी. नाबालिग याचिकाकर्ता की ओर से दायर याचिका में कहा गया है कि वह अपने पिता को अपने लिवर का एक हिस्सा दान करने के लिए तैयार और इच्छुक है. लिवर को दान करने में कोई चिकित्सीय बाधा भी नहीं है.
नियम के तहत नाबालिग नहीं कर सकते दान
हालांकि, 'ह्यूमन ऑर्गन एंड टिश्यू एक्ट, 2014 के नियम 18 के अनुसार, अंग डोनेट करने वाले की आयु 18 साल से ज्यादा होनी चाहिए. याचिकाकर्ता ने कहा कि बेटी होने के नाते वह अपने पिता को अपने लिवर का एक हिस्सा दान करने को तैयार है क्योंकि उसके पिता केवल 48 वर्ष के हैं और घर के एकमात्र कमाने वाले हैं.
याचिका में कहा गया है कि अस्पताल के अधिकारियों ने उसे दाता बनने की अनुमति नहीं दी, क्योंकि कानून नाबालिग को जीवित अंग डोनेट करने की इजाजत नहीं देता. इसलिए, याचिकाकर्ता ने अदालत का दरवाजा खटखटाया और उसने कहा कि उसे उम्र से छूट दी जा सकती है.
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