नई दिल्लीः झारखंड हाईकोर्ट की ओर से एक बड़ा फैसला लिया गया है. हाईकोर्ट ने एक मामले की सुनवाई के दौरान कहा कि किसी बच्ची का लगातार या बार-बार पीछा करना, घूरना या उससे जबरन संपर्क करने की कोशिश करना भी यौन उत्पीड़न की श्रेणी में आने वाला अपराध है. कोर्ट ने कहा कि इस तरह के मामले पॉक्सो (प्रोटेक्शन ऑफ चाइल्ड फ्रॉम सेक्सुअल ऑफेंस) एक्ट 2012 की धारा 11 (4) के तहत संज्ञेय है.
हाईकोर्ट ने शिक्षक की जमानत अर्जी की खारिज
झारखंड हाईकोर्ट ने चतरा जिले की एक स्कूली छात्रा के यौन उत्पीड़न के आरोपी शिक्षक की जमानत अर्जी खारिज करते हुए यह महत्वपूर्ण आदेश दिया है. आरोपी शिक्षक राहुल यादव पर यह आरोप है कि वह स्कूल में पढ़ने वाली छात्रा से छेड़खानी करता था. पीड़िता ने स्कूल के प्रिंसिपल से इसकी शिकायत की तो शिक्षक को स्कूल से हटा दिया गया.
छात्रा का लगातार पीछा करता रहा शिक्षक
स्कूल से निकाले जाने के बाद बाद भी शिक्षक लगातार छात्रा का पीछा करता रहा. वह छाक्षा से लगातार मिलने और जबरन बात करने का प्रयास भी करता था. इस मामले में केस दर्ज होने के बाद निचली अदालत में आरोपी शिक्षक के खिलाफ चार्ज फ्रेम किए जाने को हाईकोर्ट में चुनौती दी गई थी. जस्टिस सुभाष चांद की बेंच ने दोनों पक्षों को सुनने के बाद शिक्षक की याचिका को खारिज कर दिया और उसके कृत्य को पॉक्सो एक्ट के अंतर्गत यौन उत्पीड़न का मामला करार दिया.
जानें क्या है POCSO
दरअसल, बच्चों के हित और सुरक्षा का ध्यान रखते हुए, उन्हें यौन अपराध, यौन उत्पीड़न तथा पोर्नोग्राफी से संरक्षण प्रदान करने के लिए साल 2012 में POCSO लागू किया गया था. इसका फुल फॉर्म होता है Protection of Children from Sexual Offences Act. इस अधिनियम के तहत बालक को 18 वर्ष से कम आयु के व्यक्ति के रूप में परिभाषित किया गया है. इस अधिनियम में लैंगिक भेदभाव नहीं है.
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