नई दिल्ली: Atishi Delhi New CM: अरविंद केजरीवाल (Arvind Kwjriwal) ने जेल से छूटने के बाद बड़ा सियासी दांव खेला है. खुद को 'ईमानदार' दिखाने के लिए उन्होंने CM पद से इस्तीफा दे दिया और दिल्ली सरकार में मंत्री आतिशी को विधायक दल की बैठक में नेता चुना है. आतिशी बेहद जल्द दिल्ली के CM के तौर पर शपथ लेंगी. कुछ राजनीतिक विश्लेषकों ने केजरीवाल के इस दांव को मास्टर स्ट्रोक माना है. हालांकि, ये तो समय ही बता पाएगा कि केजरीवाल का ये दांव फायदेमंद साबित होता है या नहीं.
ये 3 किस्से याद रखना जरूरी
लेकिन इसी बीच ऐसे 3 किस्से भी जानना जरूरी है जब सत्तासीन मुख्यमंत्री ने अपनी कुर्सी किसी को और को दे दी, इस उम्मीद में कि अपनी अमानत आसानी से वापस मिल जाएगी. लेकिन फिर जो हुआ, उससे हर मुख्यमंत्री सबक लेता है. यही कारण है कि लालू ने CM की कुर्सी अपने परिवार के बाहर नहीं दी, खुद की पत्नी राबड़ी देवी को ही मुख्यमंत्री बना दिया.
हेमंत सोरेन और चंपई सोरेन
सबसे ताजा किस्सा हेमंत सोरेन और चंपई सोरेन का है. झारखंड के मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन को ED ने हिरासत में लिया, इससे पहले उन्होंने अपने करीबी और JMM के वरिष्ठ नेता चंपई सोरेन को CM बनाया. चंपई 5 महीने तक CM रहे, लेकिन जैसे ही हेमंत सोरेन जेल से लौटे, उन्होंने मुख्यमंत्री पद वापस ले लिया. इस बात से खफा होकर चंपई ने इसे अपमान बताया और भाजपा में शामिल हो गए.
नीतीश कुमार और जीतन राम मांझी
दूसरा किस्सा नीतीश कुमार और जीतन राम मांझी का है. फिलहाल दोनों के दल NDA में हैं, एक समय था जब दोनों एक ही दल में थे. 2014 के लोकसभा चुनाव में पार्टी की करारी हार की जिम्मेदारी लेते हुए नीतीश कुमार ने मुख्यमंत्री पद से इस्तीफा दे दिया. उन्होंने JDU के वरिष्ठ नेता और अपने करीबी जीतन राम मांझी को CM बनाया. फिर नीतीश ने अगले साल मई में खुद CM बनना चाहा तो मांझी कुर्सी से नहीं हटे. नीतीश को मजबूरन मांझी को पार्टी से निकालना पड़ा. फिर मांझी ने खुद की हिंदुस्तान आवाम मोर्चा नाम से पार्टी बना ली.
उमा भारती और बाबूलाल गौर
तीसरा किस्सा उमा भारत और बाबूलाल गुट का है. उमा भारती मध्य प्रदेश की मुख्यमंत्री हुआ करती थीं. लेकिन 2004 में कर्नाटक की हुबली कोर्ट ने एक मामले में उमा भारती के खिलाफ वारंट जारी कर दिया. उमा ने अपनी जगह बाबूलाल गौर को CM बनाया. इससे पहले हाथ में गंगाजल दिया और कसम खिलवाई के वे जब भी कुर्सी छोड़ने को कहेंगी, तो बिना विरोध के बाबूलाल इस्तीफा दें देंगे. लेकिन गौर ने आते ही उमा के मंत्रिमंडल का पुनर्गठन किया. उमा के करीबियों की सरकार से छुट्टी की. उमा भारत को फिर से CM पद नसीब नहीं हुआ.
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