नई दिल्ली: दिल्ली हाई कोर्ट ने मंगलवार को केंद्र और दिल्ली बाल अधिकार संरक्षण आयोग (डीसीपीसीआर) को दिल्ली की सड़कों पर भीख मांग रहे बच्चों को भिक्षावृत्ति से रोकने और उनके पुनर्वास के लिए उठाए कदमों की जानकारी देने का निर्देश दिया.
हाई कोर्ट के जस्टिस ने कही ये बात
दो सदस्यीय खंडपीठ की अगुवाई कर रहे मुख्य न्यायाधीश सतीश चंद्र शर्मा ने कहा कि वह पिछले दो महीनों से दिल्ली में हैं और उन्हें रोज सड़कों पर वही बच्चे भीख मांगते हुए दिखते हैं. उन्होंने अपने बयान में यह भी स्पष्ट किया कि वे इस मामले में परिणाम चाहते हैं.
उन्होंने बयान देते हुए कहा कि, ‘मैं दो महीने से दिल्ली में हूं और खुद कार चलाता हूं तथा मैं रोज सड़कों पर वही बच्चों को भीख मांगते हुए देखता हूं. आप एक दिन में नतीजों की बात कर रहे हैं. पिछले दो महीने से मैं देख रहा हूं.’
जनहित याचिका की सुनवाई में कही ये बात
दरअसल, दिल्ली हाई कोर्ट एक जनहित याचिका पर सुनवाई कर रहा था, जिसमें राष्ट्रीय राजधानी में बच्चों को भिक्षावृत्ति से दूर रखने का अनुरोध किया गया है. इस मामले में केंद्र, दिल्ली सरकार तथा डीसीपीसीआर को पहले ही नोटिस जारी किए जा चुके हैं. पीठ ने प्राधिकारियों को यहां सड़कों पर भीख मांगते पाए गए बच्चों को इससे रोकने तथा उनके पुनर्वास के लिए पूरी दिल्ली में जोन के आधार पर उनके द्वारा उठाए कदमों की जानकारी देने के लिए आठ हफ्तों का समय दिया.
याचिकाकर्ता ने की अदालत से ये डिमांड
याचिकाकर्ता अजय गौतम ने भीख मांगने वाले बच्चों के पुनर्वास के लिए प्राधिकारियों को निर्देश देने तथा उन लोगों को गिरफ्तार करने का अनुरोध किया, जो महिलाओं को शिशुओं, किशोरियों तथा छोटे बच्चों का इस्तेमाल कर भिक्षावृत्ति और अपराध में धकेल रहे हैं तथा युवतियों का शोषण कर रहे हैं. उन्होंने आरोप लगाया कि शहर के हर हिस्से में भिखारी होने के बावजूद प्राधिकारी इस समस्या से निपटने के लिए कोई कदम उठाने में नाकाम रहे हैं.
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