नई दिल्ली: क्वालिफाइड MBA, ग्वालियर शहर और भारी आवाज और दमदार किरदार यही है शरद केलकर की आम सी पहचान. बचपन में बहुत शरारती, क्लासेज बंक करना, देर से आना और स्टाइल में रहना उन्होंने वो हर खुराफात की है, जो एक लड़का अपनी लाइफ में करना चाहता है. उनके जन्मदिन पर उनके डर और उनके अफसोस के कुछ किस्से जानते हैं.
बचपन में हकलाते थे शरद केलकर
आज सभी शरद केलकर को उनकी दमदार आवाज की वजह से जानते हैं लेकिन एक इंटरव्यू में उन्होंने बताया कि कैसे काफी लंबे समय तक उन्हें हकलाने की परेशानी थी. अगर वो अपनी मां को पुकारने के लिए आई कहना चाहते थे तो सुई सिर्फ आ...आ..आ... पर ही अटक जाती. कहते हैं कि कभी काफी स्लो तो कभी बहुत तेज बात किया करते थे.
पत्नी ने दूर किया डर
शरद केलकर अपनी आवाज में इस अनोखे बदलाव के लिए अपनी पत्नी को धन्यवाद कहते हैं. कहते कि जब वो एक्टिंग में आए तो पत्नी ने उन्हें कहा कि जरा आराम से बात किया कीजिए आपकी बात सिर्फ मैं ही समझ पाती हूं कोई और नहीं, थोड़ा खुलकर बोलिए और क्लियर बोलिए. फिर क्या धीरे-धीरे शरद ने खुद पर काम किया तब जाकर आज उनकी आवाज उनकी पहचान बनी.
शरद केलकर आर्मी का सपना
शरद केलकर आर्मी में जाना चाहते थे. कहते हैं कि एक बार इलाहाबाद में आर्मी के एक एग्जाम के लिए गए थे. काफी कॉन्फिडेंट थे कि फिजिकल तो क्लियर हो ही जाएगा और पढ़ने में भी अच्छा हूं ही तो इंटरव्यू भी क्लियर कर लूंगा. जब वहां पहुंचे तो फिजिकल क्लियर कर लिया. जब इंटरव्यू राउंड में पहुंचे तो उनसे तीन सवाल पूछे गए. यहां कैसे पहुंचे, जगह कैसी लगी और खाना कैसा रहा? शरद केलकर ने तीनों सवालों के अच्छे जवाब दिए.
शरद केलकर का इंटरव्यू 15 मिनट तक चला. अफसोस उनको आज भी इस बात का है कि वो एक बॉर्डर केस बनकर रह गए. ऑफिसर्स शरद को लेकर काफी डाउटफुल थे कि लें या न लें. बाद में उन्हें नहीं लिया गया. खैर भले ही शरद केलकर आर्मी में नहीं जा पाए हों पर आज वो पूरे भारत में अपने काम की वजह से जाने जाते हैं और लगातार नए कीर्तिमान स्थापित कर रहे हैं.
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