Pankaj Udhas Birthday Special: 'चिट्ठी आई है', 'चांदी जैसा रंग है तेरा', 'जीएं तो जीएं कैसे', 'आदमी खिलौना है', 'छुपाना भी नहीं आता', 'ना कजरे की धार' ये वो गाने हैं जो अक्सर हमें लोगों की जुबां से सुनने को मिल जाते हैं. इन सभी गानों में सिर्फ एक समानता है, और वो हैं पंकज उदास. उन्होंने बहुत खूबसूरती से इन गानों को अपनी आवाज से सजाया. पंकज का रुझान हमेशा से ही संगीत की ओर रहा है. 17 मई, 1951 में जन्में पंकज उदास अपने तीनों भाईयों में सबसे छोटे थे. चलिए शुक्रवार को उनके जन्मदिन के मौके पर उनसे जुड़ी कुछ खास बातों पर गौर करते हैं.
भाईयों का मिला साथ
पंकज के सबसे बड़े भाई मनहर उधास और दूसरे भाई निर्मल उधास भी भारतीय सिनेमा का एक नाम हैं. उनकी गजलों ने लाखों लोगों के दिलों को छुआ. ऐसे में पंकज उदास की रूचि भी संगीत की ओर काफी रही. इसी के चलते वह सिर्फ 7 साल की उम्र से गाने लगे थे. हालांकि, शुरूआत में वह केवल शौकिया तौर पर ही गाया करते थे, लेकिन उनका यह टैलेंट उनके भाई ने पहचाना और उन्हें इवेंट्स में गाने के लिए प्रेरित करने लगे. इसके बाद बड़े भाई पंकज को अपने साथ कई कार्यक्रम में भी ले जाने लगे.
इनाम के तौर पर मिले 51 रुपये
बड़े भाईयों की मदद से पंकज भी कार्यक्रम में गाने लगे. उन्होंने भाई के साथ एक कार्यक्रम के लिए गाना गाया था. उन दिनों भारत-चीन का युद्ध चल रहा था. इस मौके पर उन्होंने ‘ऐ वतन के लोगों’ गाना गाकर कार्यक्रम में आए दर्शखों को मंत्रमुग्ध कर दिया था. ऐसे में उन्हें ईनाम के तौर पर 51 रुपये दिए गए थे. इसके बाद से ही पंकज उदास की किस्मत चमक उठी और वह देखते ही देखते गायिकी और गजल की दुनिया में आगे बढ़ते गए.
राज कपूर की आंखें हुईं नम
पंकज उदास ने वैसे तो अपने नाम कई हिट गाने किए , लेकिन जब उनका गाना 'चिट्ठी आई है' को जब पहले बार राज कपूर ने सुना तो उनकी आंखें भी नम हो गई थीं. उन पंकज की आवाज का ऐसा जादू चला कि शोमैन ने उसी समय कह दिया था कि यह गाना बड़ा हिट होने वाला है और उनकी यह भविष्यवाणी सच भी साबित हुई. कहते हैं कि राज कपूर ने यह गाना उस वक्त जब वह एक दिन राजेंद्र कुमार के घर डिनर के लिए पहुंचे थे. राजेंद्र ने उन्हें अपने घर आमंत्रित किया और यह फिर यह गाना चला दिया.
26 फरवरी को हुआ निधन
पंकज उदास अपने आखिरी समय तक कई इवेंट्स का हिस्सा बन रहे थे. हालांकि, जब उनकी तबीयत ज्यादा बिगड़ने लगी तो उन्हें प्रोग्राम में जाना बंद करना पड़ा. 26 फरवरी, 2024 को लंबी बीमारी के बाद पंकज ने हमेशा के लिए इस दुनिया को अलविदा कह दिया. आज वह हमारे बीच न होते हुए भी अपने संगीत के जरिए चाहने वालों के दिलों में जिंदा रहेंगे.
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