नई दिल्ली: आर. माधवन (R Madhavan ) की फिल्म 'रॉकेट्री: द नांबी इफेक्ट' (Rocketry) को रिलीज हुए एक महीने से ज्यादा हो चुका है. यह फिल्म वैज्ञानिक नंबी नारायणन की बायोपिक है. इस फिल्म में नंबी नारायणन का किरदार आर. माधवन ने निभाया है. फिल्म के निर्देशक की कुर्सी भी माधवन ने ही संभाली है. इस फिल्म को देशभर में खूब प्यार मिला है. लेकिन अब अचानक से इस फिल्म की कहानी को गलत बताया जाने लगा है. इसरो के पूर्व वैज्ञानिकों के एक समूह ने बुधवार को आरोप लगाया कि इसरो के पूर्व वैज्ञानिक नंबी नारायणन द्वारा फिल्म 'रॉकेट्री: द नंबी इफेक्ट' और कुछ टेलीविजन चैनलों के माध्यम से किए गए दावे झूठे हैं और अंतरिक्ष एजेंसी को बदनाम करने के समान हैं. डॉ. ए ई मुतुनायगम, निदेशक, एलपीएसई, इसरो, प्रो. ई वी एस नंबूतीरी, परियोजना निदेशक, क्रायोजेनिक इंजन और डी शशिकुमारन, उप निदेशक, क्रायोजेनिक इंजन और इसरो के अन्य पूर्व वैज्ञानिकों ने मीडिया से मुलाकात की और फिल्म में किए गए दावों को खारिज किया.
पूर्व वैज्ञानिकों ने बताया गलत
दरअसल, कुछ पूर्व इसरों वैज्ञानिकों ने फिल्म में किए गए दावों पर सवाल उठाए हैं. रिपोर्ट्स के मुताबिक केरल की राजधानी तिरुवनंतपुरम में इसरो के कुछ पूर्व वैज्ञानिकों ने कहा कि फिल्म में दिखाए गए कई दृश्य बिल्कुल गलत हैं.
उनका कहना है, 'फिल्म में दिखाया गया है कि नंबी नारायणन की गिरफ्तारी के कारण देश को क्रायोजेनिक इंजन बनाने में देरी का सामना करना पड़ा और इससे देश को वित्तीय नुकसान हुआ, लेकिन, यह दावा पूरी तरह से झूठा है.'
क्या बोले पूर्व वैज्ञानिक
पूर्व वैज्ञानिकों ने कहा, ‘‘हम जनता को कुछ मामलों को बताने के लिए मजबूर हैं क्योंकि नंबी नारायणन इसरो और अन्य वैज्ञानिकों को फिल्म ‘रॉकेट्री: द नंबी इफेक्ट’ और टेलीविजन चैनलों के माध्यम से बदनाम कर रहे हैं. उनका यह दावा गलत है कि वह कई परियोजनाओं के जनक हैं. उन्होंने फिल्म में यहां तक दावा किया है कि उन्होंने एक बार एपीजे अब्दुल कलाम को सही किया था, जो आगे चलकर देश के राष्ट्रपति बने.
यह भी गलत है।’’ पूर्व वैज्ञानिकों ने यह भी कहा कि उन्होंने इसरो के वर्तमान अध्यक्ष एस सोमनाथ से फिल्म में किए गए झूठे दावों पर निर्णय लेने के लिए कहा है. पूर्व वैज्ञानिकों ने कहा कि फिल्म में नारायणन का यह दावा गलत है कि उनकी गिरफ्तारी के कारण भारत को क्रायोजेनिक तकनीक हासिल करने में देरी हुई.
क्रायोजेनिक तकनीक परियोजना से नंबी का संबंध नहीं
उन्होंने कहा कि इसरो ने 1980 के दशक में क्रायोजेनिक तकनीक विकसित करना शुरू किया था, और ई वी एस नंबूदरी प्रभारी थे. नारायणन का परियोजना से कोई संबंध नहीं था. पूर्व वैज्ञानिकों के समूह ने यह भी दावा किया कि इसरो के संबंध में फिल्म में उल्लेखित कम से कम 90 प्रतिशत मामले झूठे हैं. उन्होंने कहा, ‘‘हमें यह भी पता चला है कि नारायणन ने कुछ टेलीविजन चैनलों में दावा किया है कि फिल्म में जो कुछ कहा गया है वह सच है. कुछ वैज्ञानिकों ने यह भी चिंता जतायी कि नारायणन उनकी कई उपलब्धियों का श्रेय ले रहे हैं. पूर्व वैज्ञानिकों के आरोपों के संबंध में नारायणन या फिल्म के निर्माताओं की ओर से तत्काल कोई प्रतिक्रिया नहीं आयी है.
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