नई दिल्ली: What is voice vote in Lok Sabha: राजस्थान के कोटा से सांसद ओम बिड़ला 18वीं लोकसभा के अध्यक्ष चुन लिए गए हैं. उनका मुकाबला विपक्ष के उम्मीदवार के. सुरेश से था. लेकिन खास बात ये है कि दोनों के लिए संसद में मतदान नहीं हुआ, बल्कि ध्वनि मत से ही बिड़ला स्पीकर चुन लिए गए. माना जा रहा था कि स्पीकर पद के लिए वोटिंग होगी, लेकिन ये प्रस्ताव ध्वनि मत से पारित हो गया. आइए, जानते हैं कि संसद में ध्वनि मत की क्या प्रक्रिया होती है.
क्या होता है ध्वनि मत?
जब सदन में सांसदों की ध्वनि के आधार पर बहुमत का निर्णय होता है, तो इसे ध्वनि मत कहा जाता है. ध्वनि मत के आधार पर प्रस्ताव पारित कर दिया जाता है. आमतौर पर ध्वनि मत तभी पारित होता है जब किसी पक्ष को भारी समर्थन मिल रहा होता है. ऐसा ही ओम बिड़ला के साथ हुआ. उनका चुनाव जीतना पहले से ही था, क्योंकि NDA के पास स्पीकर पद का चुनाव जीतने के लिए भारी बहुमत था. ध्वनि मत से चुनाव होने के बाद किसी प्रस्ताव पर मतदान नहीं होता.
विपक्ष चाहता था मतदान हो
विपक्ष ने मतदान की मांग की थी. विपक्ष के स्पीकर पद के उम्मीदवार के. सुरेश ने चुनाव से पहले मीडिया से बातचीत में कहा था कि हम ध्वनि मत का समर्थन नहीं करते, हम वोटिंग चाहते हैं. लेकिन प्रोटेम स्पीकर ने विपक्ष की वोटिंग की मांग को खारिज कर दिया.
PM मोदी ने प्रस्ताव रखा, प्रोटेम स्पीकर ने विजयी घोषित किया
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने ओम बिड़ला के नाम का प्रस्ताव रखा था. इसके बाद प्रोटेम स्पीकर भर्तृहरि महताब ने ध्वनि मत से बिड़ला को विजयी घोषित कर दिया. फिर पीएम मोदी और विपक्ष के नेता राहुल गांधी बिड़ला को आसंदी तक छोड़ने भी गए. मोदी और राहुल ने ओम बिड़ला को लोकसभा अध्यक्ष बनने पर बधाई भी प्रेषित की.
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