राजस्थान में कांग्रेस तो हार गई, अब सचिन पायलट का क्या होगा?

Sachin Pilot Future: राजस्थान में हार के बाद पार्टी के पूर्व पीसीसी चीफ सचिन पायलट के भविष्य पर प्रश्न चिन्ह लग गया है. लोग पूछ रहे है कि अब पायलट का क्या भविष्य है. सचिन ने 2013 में संगठन को फिर से जिंदा किया, 2018 के चुनाव में कांग्रेस 21 से उठकर 100 सीटों पर आ गई. 

Written by - Ronak Bhaira | Last Updated : Dec 4, 2023, 07:50 AM IST
  • पायलट को फिर मिल सकता है प्रदेशाध्यक्ष पद
  • केंद्र का ऑफर स्वीकार नहीं करने के आसार
राजस्थान में कांग्रेस तो हार गई, अब सचिन पायलट का क्या होगा?

नई दिल्ली: Sachin Pilot Future: राजस्थान विधानसभा चुनाव के परिणाम आ चुके हैं, कांग्रेस रिवाज बदलने में कामयाब नहीं हो पाई. पार्टी को 69-70 सीटें मिली हैं, जो लाकर सम्मानजनक हार मानी जा रही है. चर्चा है कि अब अशोक गहलोत केंद्र की राजनीति में सक्रिय हो सकते हैं. वैसे भी प्रदेश में जब-जब कांग्रेस हारी है, गहलोत केंद्र में भूमिका निभाने चले जाते हैं. लेकिन इस हार के बाद पार्टी के पूर्व पीसीसी चीफ सचिन पायलट के भविष्य पर प्रश्न चिन्ह लग गया है. लोग पूछ रहे है कि अब पायलट का क्या भविष्य है. 

मिल सकता है प्रदेश अध्यक्ष पद
अशोक गहलोत के बाद सचिन पायलट प्रदेश में कांग्रेस के कद्दावर और लोकप्रिय नेता हैं. हार की जिम्मेदारी लेते हुए वर्तमान प्रदेश अध्यक्ष गोविंद सिंह डोटासरा इस्तीफा दे सकते हैं. फिर पार्टी को पीसीसी के लिए ने चीफ चुनना होगा. इस पद के पायलट प्रबल दावेदार हैं. 2013 की करारी हार के बाद भी पायलट को प्रदेश अध्यक्ष बनाया गया था. उन्होंने संगठन को फिर से जिंदा किया, 2018 के चुनाव में कांग्रेस 21 से उठकर 100 सीटों पर आ गई. उनकी क्षमता को देखते हुए फिर से उन्हें ये पद मिल सकता है.

अभी से पार्टी सीएम फेस बनाए
हाईकमान के कई करीबी नेता चुनाव हार गए हैं. इनमें धीरज गुर्जर, प्रोफेसर गौरव वल्लभ, प्रताप सिंह खाचरियावास और दिव्या मदेरणा शामिल हैं. ऐसे में सचिन पायलट और हरीश चौधरी को कोई बड़ी जिम्मेदारी मिल सकती है. मुमकिन है कि कांग्रेस पायलट को अभी से अघोषित तौर पर सीएम फेस बना दे. जिस तरह से मध्य प्रदेश में कमलनाथ पहले से तय सीएम कैंडिडेट थे, ठीक उसी तरह पायलट को भी चांस दिया जा सकता है.

केंद्र की राजनीति में चले जाएं
सचिन पायलट की लोकप्रियता और फेम राजस्थान में ही नहीं, बल्कि पूरे प्रदेश में है. पार्टी राजस्थान को किसी ओर के जिम्मे सौंपकर पायलट को केंद्र में ले जा सकती है. वे वहां अपनी सक्रिय भूमिका निभा सकते हैं और किसी ऐसे प्रदेश के प्रभारी के तौर पर काम कर सकते हैं, जहां आगामी साल में चुनाव हो. हालांकि, पायलट ये ऑफर पहले भी ठुकरा चुके हैं. वे शर्त रख सकते हैं कि कहीं का प्रभारी होने के साथ-साथ मैं राजस्थान में भी एक्टिव रहूंगा. 

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