आइजोल. पांच राज्यों के विधानसभा चुनाव में तेलंगाना इकलौता राज्य है जहां से कांग्रेस को खुशखबरी हासिल हुई है. राजस्थान, मध्य प्रदेश और छत्तीसगढ़ जैसे अहम राज्य हारने के बाद पार्टी के लिए सोमवार को उत्तर-पूर्वी राज्य मिजोरम से निराशाजनक खबर आई. मिजोरम में कांग्रेस पार्टी का लगभग सफाया हो गया है. कद्दावर नेता लाल थनहवला के मुख्यमंत्रित्व काल में 1984 के बाद से मिजोरम पर 22 साल से अधिक समय तक शासन करने वाली कांग्रेस का राज्य विधानसभा चुनावों में, जिनके परिणाम सोमवार को घोषित किए गए, निराशाजनक प्रदर्शन रहा.
राज्य में कांग्रेस ने सभी 40 सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारे लेकिन उसके एकमात्र विजेता उम्मीदवार लॉन्ग्टलाई पश्चिम सीट पर सी. न्गुनलियानचुंगा रहे जो 432 वोटों के अंतर से जीते. न्गुनलियानचुंगा, जिन्होंने 11,296 वोट हासिल किए, ने सत्तारूढ़ मिज़ो नेशनल फ्रंट के उम्मीदवार वी. ज़िरसांगा को हराया, जिन्हें 10,864 वोट मिले.
राज्य कांग्रेस के अध्यक्ष भी हार गए अपना चुनाव
कांग्रेस के अन्य नेताओं और पूर्व मंत्रियों के साथ राज्य कांग्रेस अध्यक्ष लालसावता भी अपनी आइजोल पश्चिम-3 सीट विपक्षी ज़ोरम पीपुल्स मूवमेंट (जेडपीएम) के उम्मीदवार वी.एल. ज़ैथनज़ामा से 4,582 वोटों के अंतर से हार गए. राज्य में कांग्रेस को 20.82 प्रतिशत वोट मिले, जबकि 2018 में 29.98 प्रतिशत (पांच सीटें) और 2013 में 44.63 प्रतिशत वोट (34 सीटें) मिले थे.
चुनाव से पहले बनाया था गठबंधन
चुनाव से पहले कांग्रेस ने बीजेपी के खिलाफ एकजुट होकर लड़ने के लिए दो स्थानीय पार्टियों - पीपुल्स कॉन्फ्रेंस (पीसी) और ज़ोरम नेशनलिस्ट पार्टी (जेडएनपी) के साथ 'मिजोरम सेक्युलर अलायंस' (एमएसए) का गठन किया था. पीपुल्स कॉन्फ्रेंस और जेडएनपी ने कोई उम्मीदवार नहीं खड़ा किया. पार्टी के खराब प्रदर्शन की नैतिक जिम्मेदारी लेते हुए प्रदेश कांग्रेस अध्यक्ष लालसावता ने मंगलवार को अपना इस्तीफा सौंपने की घोषणा कर दी. हालांकि उन्होंने 2028 में कांग्रेस की सत्ता में वापसी की बात कही है.
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