नई दिल्ली: Mangalwar Vrat Katha: हनुमानजी को बल और भक्ति के देवता माने जाते हैं. इसी वजह से पुराणों में हनुमानजी को सकलगुणनिधान भी कहा गया है. गोस्वामी तुलसीदास ने भी लिखा है कि- ‘चारो जुग परताप तुम्हारा है परसिद्ध जगत उजियारा.’ इस चौपाई का अर्थ है कि हनुमानजी इकलौते ऐसे देवता हैं, जो हर युग में किसी न किसी रूप गुणों के साथ जगत के लिए संकटमोचक बनकर मौजूद रहेंगे. शास्त्रों में कहा गया है कि हनुमानजी की सेवा करने और उनका व्रत रखने से उनकी विशेष कृपा अपने भक्तों पर बनी रहती है. जानिए मंगलवार की व्रत कथा और पूजन विधि.
हनुमानजी का व्रत करने से कुंडली में मौजूद सभी ग्रह शांत हो जाते हैं और उनकी अशीम कृपा प्राप्त होती है. अपने भक्तों पर आने वाले हर संकट को हनुमानजी दूर करते हैं. संतान प्राप्ति के लिए हनुमानजी का व्रत फलदायी माना जाता है. इस व्रत को करने से भूत-प्रेत और काली शक्तियों का प्रभाव नहीं पड़ता है. मंगलवार का व्रत करने से सम्मान बढ़ता है.
मंगलवार पूजन विधि
हनुमानजी का व्रत लगातार 21 मंगलवार करना चाहिए. मंगलवा के दिन ब्रह्म मुहूर्त में उठकर स्नान करने के बाद सबसे पहले हनुमानजी का ध्यान करें और व्रत का संकल्प करें. इसके बाद उत्तर-पूर्व कोने में किसी एकांत स्थान पर हनुमानजी की मूर्ति या तस्वीर स्थापित करें. फिर गंगाजल के छीटें देकर उनको लाल कपड़ा धारण कराएं. फिर पुष्प, रोली और अक्षत के छीटें दें. इसके बाद चमेली के तेल का दीपक जलाएं.
इसके बाद हनुमानजी को फूल अर्पित करें. उनकी कथा सुनें और हनुमान चालिसा और 1 बार सुंदरकांड का पाठ भी करें. इसके बाद आप भोग लगाएं और प्रसाद सभी में वितरण कर दें. 21 मंगलवार के व्रत होने के बाद 22वें मंगलवार को विधि-विधान के साथ बजरंगबली का पूजा कर उन्हें चोला चढ़ाएं. उसके बाद 21 ब्राह्मणों को बुलाकर उन्हें भोजन कराएं और क्षमतानुसार दान–दक्षिणा दें.
(Disclaimer: यहां दी गई सभी जानकारी सामान्य मान्यताओं और जानकारियों पर आधारित है. Zee Hindustan इसकी पुष्टि नहीं करता है.)